Right or wrong

दुविधा 

दुनिया कौन कैसे देखता है? 
बस इतना ही फर्क है,
इसके अच्छा-बुरा होने में, 
यहाँ हर चीज अब भी,
बहुत खूबसूरत है,
बच्चों की नजर से देखे कोई,
उसने ठानी है, 
वह दिखाएगा,
हसीन रंग इस जहां के,
शायद कुछ कम हो जाएं,
शिकायतें अपनी,
उठा लिया है,
यह बड़ा सा बोझ,
अपने कंधे पर,
उसको सिर्फ़ इतना करना है,
सब बहुत अच्छा है, 
इस बात का लोगों को,
यकीं दिलाना है।
rajhansraju 
यह बेहतरीन काम उसे ही करना है,
आज उसके हाथ में एक कैमरा है।
©️rajhansraju
***************************
अच्छा तो चलता हूँ 
रुकने चलने की दुविधा 
उसके चेहरे पर 
नजर आती है 
कोई कह देता 
तो वह रुक जाता 
खुद कैसे कह दे
उसे नहीं जाना 
जब सफर की तैयारी 
पूरी हो गयी हो
और.. 
रुक पाना 
मुमकिन भी 
नहीं है 
©️rajhansraju 
************************

(2)

दिया 

ए सफर,
सिर्फ़ तलाश है,
किस बात का,
ए पता नहीं,
अंधेरे से,
शिकायत क्या करना?
उसको तो बस!
एक दिया मिटा देता है,
हमें केवल इतना करना है,
उसे बचा के रखना है...
कब तक यूँ ही,
ऐसे ही,
सबकुछ चलता रहेगा,
कभी तो,
कहीं से,
एक नई शुरुआत,
करनी होगी,
खुद ही दिया बनना,
और जलना होगा..
*************
©️rajhansraju
**************************

(३)

आइना 

आज
कई दिनों बाद
आइना देखा
हाँ! पहचानता हूँ
शक्ल तो तकरीबन 
वैसी ही है
जैसा देखा था
फिर यकीन क्यों नहीं होता?
अब भी लग रहा
तूँ वो नहीं है..
©️rajhansraju
****************************

(४)

ए मैं हूँ

*******
सच सिर्फ इतना है
मेरे नाकाम होने का
मै जैसा हूँ,
हर बार वैसा ही होता हूँ,
मेरा रंग,
नहीं बदलता गिरगिट की तरह
छुप नहीं पाता हूँ
औरों की तरह
क्या करूँ मै
सिर्फ दिखता ही नहीं हूँ
अब तलक इंसान हूँ
rajhansraju
***************************

(५)

तो ए कौन है? 

वो अकेली 
यूँ  ही चली जा रही थी
हर नजर उसकी तरफ बढ़ रही थी
आँख सबके हाथ है
वो जिस्म के सिवा कुछ नहीं थी
हलाँकि उस औरत से
सभी का एक रिश्ता था
शायद! घर पे जिन्हें वो छोड़ आया था
तभी उसे याद आया
बिटिया के साथ बाजार जाना था
उसके पीछे अब भी उसी के चर्चे हैं
ए जंगल बडा अजीब  है
कहने को यहाँ
सिर्फ इंसान रहते हैं
भीड़ तो बहुत है
पर
आज भी आदमी
बड़ी मुश्किल से मिलता है
rajhansraju
***********************

(6)

छात्र प्रदर्शन 

यहाँ हर आदमी,
एक कलाकार या फनकार होता है,
जिसे सब सुनना चाहते हैं,
क्योंकि उसके पास बेहतरीन शब्द हैं,
वह गुनगुनाता है,
तो लोग थिरकने लग जाते हैं। 
उसे पढ़ना चाहते हैं,
वह कहानियां कहता है,
किताबें लिखता है,
उस कोने में पेंटिंग बना रहा है
किसी कठपुतली की आवाज है
कोई धागा
बहुत देर से पकड़कर
मौन साधकर बैठा है
कहीं कुछ छिटक न जाए
क्या-क्या ऐसे ही संभालता है।
लोग हंसते हैं,
वह पूरा जोकर है,
चीखता है, फटकारता है,
चुप हो जाता है,
भूख लगती,
खूब रोता है,
क्या करें,
क्या कहे,
आदमी है,
देखता है,
सुनता है,
सबसे बुरी बात उसमें यह है,
थोड़ा बहुत सबकुछ समझता है
©️Rajhansraju
*******************

मन का दलिद्दर 

एक कमी,
जो हम सब में खटकती है
और उस कमी को,
पूरी करने की,
नाकाम कोशिश
ता-उम्र रहती है..
वह न जाने क्या है?
जो मुझमें,
हर वक्त रहता है,
मैं लाख कोशिश कर लूँ,
तब भी,
कहीं किसी कोने में,
मेरा दलिद्दर रहता है
- Rajhans Raju 
****************************
⬅️(49) Corona
*****************
➡️(47) Fursat
खैरियत - कुछ कहते, कुछ सुनते रहिए
खबर एक दूसरे की, लेते देते रहिए
😍😍😍
****
(48)
******
➡️ (1) (2) (3) (4) (5) (6)
🌹🌹🌹❤️🙏🙏🙏🌹🌹

 





























to visit other pages






















**********************
my You Tube channels 
**************
👇👇👇



**************************
my Bloggs
************************
👇👇👇👇👇


Comments

Post a Comment

स्मृतियाँँ

Hindu Jagriti

Ram Mandir

Yogdan

Be-Shabd

Teri Galiyan

agni pariksha

Sangam

Darakht

Yuddh : The war

Parinda। The Man Who Wanted to Fly