Darakht
सूखा दरख़्त
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(2)
कुछ बात तो है
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(3)
बसंत
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कोई कुछ भी कहे
वह अपना रास्ता नहीं भूलता
हालांकि काफी दिनों बाद लौटा
रास्ते में तमाम
तब्दीलियां हो चुकी हैं
ईंट-पत्थरों के
बड़े-बड़े मकान बन गये हैं
चमचमाती सड़कें
हर तरफ नजर आ रही है
पर यह क्या
उसे तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता
आज भी अपना रास्ता
पूरी तरह याद है
वह जैसे चला करता था
एकदम झूम कर
वैसे ही अपने पुराने
रास्ते से निकलता है
उसके साथ रास्ते में
जो भी मिलता है
उसे भी अपनी आगोश में
लेता चला जाता है
सफर अकेले करना
थोड़ा मुश्किल होता है
शायद इसीलिए
वह अपने साथ
रास्ते में जो भी मिलता है
उसका हाथ थाम लेता है।
पानी कभी रास्ता भूलता नहीं है
उसे कौन रोक सकता है
जिसे मालूम है
उसे कैसे बहना है
किस तरफ सफर तय करना है
इंसान ने भी फितरत नहीं छोड़ी
उसके बिना इजाजत
न जाने उसकी राह में
क्या क्या बनाते रहे
अपने काम को
भव्य आलीशान कहने लगा
जबकि पानी का इससे
कोई वास्ता नहीं है
सबको यह मालूम है
वह अपने रास्ते से
कोई समझौता नहीं करता
वह अब भी वैसे ही बहता है
उसकी पहचान
निरंतर बहते रहना है
वह भला कितनी देर तक
ठहर सकता है
उसे तो अपने रास्ते
चलना है
उसकी मंजिल तो समुंदर है
जो नदियों से होकर गुजरता है
रास्ते में जो भी मिला
अपने साथ लेकर चलता है
उससे शिकायत करने का
कोई मतलब नहीं है
हमें उसका रास्ता
खाली रखना है
©️Rajhansraju
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➡️(44) Ek Kahani
कुछ वक्त निकालते हैं और एक-दूसरे को
कहानियां सुनाते हैं
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(45)
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➡️(44) Ek Kahani
कुछ वक्त निकालते हैं और एक-दूसरे को
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शहर का आदमी हूँ,
ReplyDeleteलोगों से अपनी बात कहता हूँ,
सुनने वालों को दास्तनें बहुत भाती हैं,
सब यही कहते हैं
मैं कहानियां,
बहुत अच्छी कहता हूँ..