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Gadariya

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गडरिया गडरिया बेपरवाह दिखता है  उसके पास भेड़ बकरियों की  अच्छी खासी तादाद है  उसके हाथ में  एक लंबी सी लठ्ठ है  जिससे उनको हांकता है बकरियों को  लठ्ठ और गडरिए की आदत हो गई है  वह कोई आवाज निकालता है  बकरियां उसका मायने समझ जाती है  जिधर जा रही थी  अब वह रास्ता बदल देती हैं  गडरिया एकदम शांत  किसी छांव में बैठ जाता है  भेड़-बकरियां निश्चिंत  अपने काम में लग गई हैं इस तपती दुपहरी में   कुछ न कुछ  खाने को मिल जाता है  गडरिया दूर से उन पर  नजर गड़ाए रखता है  किसी अनचाहे जगह पर  जाने से उन्हें रोकना है  इनकी समझ बड़ी अनोखी है  कोई एक जिस तरफ चल दे तो बाकी भी उसके पीछे चल देती हैं  इसलिए बस उसी एक को  राह भटकने से  उसे रोकना है  यह जिम्मेदारी गडरिया की रहती है  इसके लिए उसके पास  उसका लठ्ठ जरूरी है  हम भी इन्हीं भेड़ों की तरह  अपने काम में लगे हैं  दूर गडरिया हम पर  नजर गड़ाए बैठा हैं  वह हमें  न जाने कहां-कहां लेकर जात...

काशी बनारस वाराणसी | Banaras

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बनारस  ********** बनारस की पचपन गलियां  ****** (1)  इन पचपन गलियों को  जब भी जहाँ से देखता हूँ  ऐसा लगता है हर गली से  मैं गुजरा हूँ या फिर ए गलियां मुझमें गुजर रही हैं  उस गली में जो जलेबी की दुकान है  बहुत मीठी है  लाख कोशिशों के बाद भी  जिंदगी सीधी सड़क जैसी नहीं होती,  वह इन्हीं किसी गली में  रह-रह के ठहर जाती है  अभी इस गली के मोड़ से  थोड़ी सी मुलाकात कर लें,  पता नहीं लौटकर आना कब हो?  हर गली का एक नाम और नंबर है  एकदम उम्र की तरह जिसकी मियाद है  फिर आगे बढ़ जाना है जो गली पीछे छूट गई  वहां मेरा बचपन  अभी वैसे ही ठहरा हुआ है  बगैर चश्मे के भी  उसे देख लेता हूँ  मैं कितना शरारती था  सोचकर हंस देता हूं  यही वजह है  नाती पोतों को डाटता नहीं हूँ  यही उस गली को जीने का वक्त है  गलियों के चक्कर लगाने हैं  इश्क किसी चौखट पर  न जाने कब दस्तक देने लगे  हर पल एक जगह वह ठहरने लगे  किसी शायर को खूब पढ़ता है  गुलाब संभाल कर किताबो...