Mera Bharat

मेरा भारत 
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वह सुबह से शाम तक,
एक बोरी पीठ पर टांग कर,
किसी छप्पर से निकलता है,
रद्दी बीनता है,
यह व्यापार भी,
मुनाफे से ही तो चलता है,
जो इन मासूम के कंधों,
पर रहता है।
वह तो महज,
एक खेल समझता है
पूरे दिन खेलना है,
यही समझकर निकल लेता है,
वह गली के हर मकान पर,
दस्तक लगाता है,
घर के कबाड़,
के चर्चे करता है,
किसी और को मत देना,
यह गुजारिश करता है,
पुराने अखबार और गत्ते,
बड़ी खबर हैं उसके लिये,
कुछ मांग कर खा लेने में,
उसे दिक्कत नहीं होती,
दुत्कार और डाट पर,
मुस्करा देता है,
कुछ नहीं मिला तो,
कौन सी नयी बात है,
प्यार से किसी ने बात कर ली,
तो कुछ अचरज सा होता है।
वह ढूँढ़ता है उस शख्स को,
अपने जहान में,
जो रखदे हाथ उसके कंधे पर,
पूछ ले उसका हाल,
वो हर उस आदमी से डरता है,
जिन्हें फिक्र करनी है,
इन पौधों की,
उन्हें चिंता बहुत है,
सिर्फ़ अपने जेब की,
दिलो-दिमाग रद्दी हो चुके हैं,
इन खेवनहारों के,
हर मोड़ पर मौजूद है,
एक शातिर कबाड़ी,
वह बिना कुछ कहे,
काम पर रखता है,
लोगों को इस तरह,
हर आदमी उसके लिए है,
रद्दी की तरह।
कल बड़े जोरशोर से जलसा हुआ था,
सबने बड़ी-बड़ी बातें की,
भाषण और वादे हुए,
अंत में राष्ट्रगान हुआ,
रद्दी का ढेर देखकर,
और भी लोग खुश होने लगे,
जश्न का दिन बीता,
नयी सुबह हुई,
वो बच्चे जो सड़कों की,
खाक छान रहे हैं,
उनकी जेब में आज,
कल वाला फटा तिरंगा है,
हाँ यहीं कूडे से मिला है,
जो अब उनकी अमानत है,
कल वाले नारे,
अब किसी को याद नहीं,
पर इन्हीं नन्हे हाथों में,
आने वाला हिन्दुस्तान है..
©️rajhansraju
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अभिव्यक्ति
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जब देश रहेगा, लोग रहेंगे,
लोकतंत्र तभी रहेगा,
न जाने कितनी,
सरकारों का आना जाना होगा,
जब सवाल उठेगे,
उनके जवाब मिलेंगे,
तब राह बनेगी,
हम बनेंगे,
देश बनेगा,
जो आवाज उठी,
वो घुट गयी
तो सोचो?
सच कौन कहेगा?
कुछ कड़वी, कुछ बुरी लगी,
पर बात तो उसने सही कही,
मुझको भी अच्छा लगता है,
सुनना कहना अपने मन की,
सच तो सच होता है,
पर कह पाते हैं कितने?
कुछ आवाजें,
जो रखती हैं जिन्दा,
न जाने किस किसको,
कभी उम्मीद बन जाती है वो,
किसी ऐसे कि,
जो न था खबरों में,
वह न तो मेरे जैसा दिखता,
न मेरे जैसा कहता है,
पर वह हम में ही रहता है,
अपना ही हिस्सा है,
कुछ उसकी बात भी होनी है,
कुछ ऐसी जगहे रहने दो,
औरों को भी कुछ कहने दो,
असहमत होने का हक तुमको है,
उनको भी अपनी कहने दो..
©️rajhansraju
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India an idea
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कैसे होगी मेरी पहचान,
बिना सम्मान के ,
एक भाव मेरे होने का,
एक राग मेरे जीवन का,
जो ताल है जीने का। 
मेरे साथ, 
मेरी आह में जो रहता है ,
भारत नाम है उसका,
जो मेरी सांस में बसता है। 
हर रंग भर जाता है, 
खुश हो जाता हूँ ,
यह दिल, 
इसकी गोद में सकून पाता है,
जब भी नाम लबों पर आता है ,
धड़कन तेज हो जाती है .
यह जमीन, 
हमारा जीवन है ,
इसे हरदम हरा रखना है ,
हर कोने को खुशियों से भरना है .
इसकी हरियाली, 
हर घर तक जाए ,
नदिया सबकी प्यास बुझाए .
कुछ इस तरह आज, गलें मिलें 
जब हम चले,
 पहाड़, नदिया, रेत, समंदर,
सबको अपना कहे। 
उड़ने को पूरा आकाश हो ,
सारे रंग एक हो जाए ,
भारत सिर्फ नाम नहीं ,
 पहचान है ,
हम एक रंग में,
 रंग जाएँ, 
सबमे भारत भाव,
 भर जाए .....
©️Rajhans Raju
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