israel hamas war
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युद्ध और बेबसी जब भी युद्ध हुआ सबने यही दावा किया वह सही हैं क्योंकि यह लड़ाई वह अपनी पहचान बताने बचाने के लिए लड़ रहे हैं जबकि यह अपनी-अपनी बर्बरता-क्रूरता, निर्ममता जताने का मौका है भला कैसे छोड़ दे कोई अपनी फितरत उसने बताया वह अब भी इंसान नहीं बन पाया है वह जानवरों से भी बद्तर है क्योंकि जानवर तो जंगल में रहते हैं और जंगल के अपने नियम है वहां जिंदा रहने की कुछ शर्त है पर हमने तो अपने अंदर एक अंधेरा जंगल सहेज रखा है जिसमें कोई नियम नहीं है हम कौन से जानवर हैं आज तक पता नहीं है शिकार करते हैं होते हैं। पर इंसान जब इंसान को मारता है तो वह शिकार नहीं करता है वह अपनी हदें बताता है वह इंसान नहीं है। जानवर कहलाने लायक भी नहीं हालांकि हमारे पास शब्द है भावनाओं कि अभिव्यक्ति के तरीके है मगर किस काम के जब सिर्फ बंदूक गोला बारूद से काम होता हो यही सच है हम ऐसे ही हैं बस सच स्वीकार करने की सामर्थ्य नहीं है हम क्यों लड़ रहे हैं इस बात का जो तर्क देते हैं वह पूरा सच नहीं है दुनिया का कोई भी कोना हो युद्ध हकीकत है सबसे ज्यादा वही लोग मारे जाते हैं जिनकी