Bal Krishna Rashmika
"बाल कृष्ण रश्मिका"
पूज्य पिता जी
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
पूज्य पिता श्री आज आपकी
बर्बस याद सताती है।
आज आप की पूर्ण तिथी है
अखियां जल भर आती है।
एक वर्ष बीता पल भर में
उन यादो की सौगात् लिए ।
लगा नहीं इतने दिन हमको
आप हमारे साथ नहीं ।
कृपा आपकी शक्ती हमारी
पग-पग् पथ उजियार करें ।
सहज प्रेरणा सम्बल बनके
जीवन नद को पार करें ।
रहे सदा हम कुटुम जनो पर
आपकी अमृत छाया ।
चलें सदा उन्नति पथ पर हम ।
राह ना रोके माया ।
©️Balkrishna
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सावधान युद्ध जारी है
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सावधान युद्ध जारी है
आज युक्रेन की कल
किसी और की बारी है।।
कहीं दिया जले कहीं दिल
जीना कितना मुश्किल
ये आग बुझेगी कब?
सब जल जाएंगे तब
जो, भी बुरा हाल है।
बस एक नाक का सवाल है
ना वो झुके ना हम
भयानक होगा एटम बम् ।।
ये युद्ध जो हो रहा ,दिन-रात है।
किसी एक की सनक की बात है
यही सनक एक दिन
जो बचे है कुछ दिन।।
सारे संसार को ले डूबेगा ।
कोई बचेगा तो सो'चेगा
चलो करते है इन्तजार
होगा कब ? आर या पार ।।
©️Balkrishna
मंगलमय हो वर्ष नया
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बीती,सहमी,ठिठुरी सी रात
हुआ दिवा का नवल प्रभात
निकला सूरज होले-होले
नम कोहरे की चादर ओढ़े
अभिनन्दन है ये दिवस नया
मंगलमय हो ये वर्ष नया...
है,समय चक्र गतिमान सदा
जो बीता वो इतिहास बना
आओ फिर नूतन सृजन करें
जीवन जीने का यतन करें
खुश रहो सदा न हो उदास
शाश्वत जीना ही है प्रयास
ये गीत नया ये रंग नया
मंगलमय हो ये वर्ष नया...
अपनी हो ,अपनो कि खुशियाँ
सतरंगी हो जीवन बगिया
जीना है जी भर कर जी ले
बिखरे मन मोती को चुन ले
ऐसे ही जीना, जीना क्या?
ये चुप-चुप् दुःख को पीना क्या
ये देश नया ये दौर नया
मंगलमय हो ये वर्ष नया...
हम्म है तो हमसे है दुनिया
हम नहीं तो जाने क्या होगा
अब तक जो देखा जाना है
कुछ तो परखा पहचाना है
वो बात कहुँ या मौन रहु
जो रात गई सो बात गई
ये गीत नया ये पर्व नया
मंगलमय हो.............
स्वागत है जो मनमीत मिला
निखरा जीवन यूँ प्रीत मिला
ये साथ सदा ही बना रहे
जीवन खुशियों से भरा रहे
ये नेह नया ये निलय नया
अपनो का पावन मिलन नया
अभिनन्दन् है ये दिवस नया
मंगलमय हो ये वर्ष नया।।
©️Balkrishna
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दीप जले आयी दिवाली
देखो इसकी शमा निराली।
अंधकार में दीप जलाये
हर दिल में उत्साह जगाये
हर घर देखो आज सजा है।
शहरो जैसा गांव् बना है
हर तरफ देखो हुई सफाई
घर घर में है बनी मिठाई
हाथी घोड़ो का देखो राज
हर कोई ले आया है आज।
बच्चों में है खुशियाँ छायी
चंदा की बारात है आई
लक्ष्मी गणेश की हो रही पूजा
इनसे बढ़ कोई आज न दूजा।
आओ मिलकर हम्म भी खेले
जाति-पांति का बंधन भूले
दूर करे मानस अँधियारा
हम है एक हमारा नारा
आ सको तो तुम भी आओ
पहले मन् का दीप जलाओ।।
©️Balkrishna
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याद आते हो तुम
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छाये नभ में धूम मचाये
रिम-झिम-2 जल बरसाए
खोये मन में नेह जगाये
याद आते हो तुम
तड़पाते हो तुम।।
निकले रवि जब हुआ सवेरा
किरणों ने धरती को घेरा
पवन करे नभ जल का फेरा
मन व्याकुल मिलने को मेरा
याद आते हो तुम
तड़पाते हो तुम.......
हुई शाम जब दिन का ढलना
अम्बर में जो जब चाँद निकलना
घर-घर में दीपक का जलना
मन में बीती बातें चलना
याद आते हो तुम
तड़पाते हो तुम..
©️Balkrishna
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संध्या रानी
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इधर चले रवि अस्तांचल को
लाल हुई धरती सारी
उधर निलय के झुरमुट से
चुप निकल पड़ी संध्या रानी।
चुपके- चुपके धीरे-धीरे
जंगल,नादिया तीरे-तीरे
अपलक बढ़ती पल-पल,छण-छण
होते ओझल पथ,तरु, कण-कण
आवाज नही,झंकार नही
मधु,मस्त,भ्रमर गुंजार नही।
उड़ चले परिंदे बेचारे
अपने-अपने घर को सारे
हर ओर फैलती अँधियारी
जल,शैल, शिखर बारी-बारी
इस तरह धरा के कोनो में
जग जीवन रैन बसेरों में
जल उठे दिए मद्धिम-मद्धिम
जगमग जुगनू के पंखों सम।
रीवा,झेगुर भी ध्वनित हुऐ
बुँदे ओशो के द्रवित हुऐ
ऐसे में ब्याकुल कवि कोई
छेड़े गीतों के सुर कोई।
संध्या- रजनी सुकुमारी सी
पलकों में बसी खुमारी सी
खोये नैना मन अलसाये
आये-आये रैना आये।।
©️Balkrishna
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ज़िंदगी
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ज़िन्दगी एक दिन ये गुजर जायेगी
छोड़ हमको सफर में निकल जाएगी
मन को बहकाओ ना तुम इधर से उधर
रुक भी जाओ ना बदलो शहर दर शहर
ज़िन्दगी एक दिन ये...........
है बिखरना जो किस्मत के बस में नही
अब सम्भलना जो दिल को मुनासिब नही
ख़्याल आयी न अपनी गुजर दिन गये
हम न समझे सनम भी बदल से गये
आएगी शाम - शोहरत बदल जायेगी
ज़िन्दगी एक दिन ये..............
हम जो बैठे हैं अपना यहाँ मान कर
ज़िन्दगी के जुए में स्वयं हारकर
मान ली हां ये गलती जो मैने किया
मगर तूने भी तो मना ना किया
एक दिन ये डगर भी ठहर जायेगी
ज़िन्दगी एक दिन...................
छोड़ हमको सफर में निकल जाएगी।।
©️Balkrishna
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क्या कहूँ लिखूं मैं?
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उत्सुक हृदयांगन प्रथम बार
मन में भी है खुशिया अपार
श्रद्धा अभिसिंचित सजल नयन
होगा अपनों से आज मिलन..
तन पुलकित है मन चंचल है।
जाने क्यूँ उर में हलचल है
मौसम पावस का है समीप
जलते प्रज्ञा के प्रखर दीप
नभ में उमड़े- घुमड़े बादल
है मीत मिलन को मन पागल
क्या भेट करू मै आज अभी
आते ऐसे छण कभी-कभी...
दुविधा,प्रश्नों के विविध जाल
उठते अगणित मन में सवाल
क्या कहूँ, लिखूं मैं बार- बार
स्वीकार करो ये सुमन हार
ये प्रथम मिलन है प्रथम बार।।
©️Balkrishna
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श्रद्धांजलि (पूज्य पितु श्री)
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हम सबको बहलाकर
फुसलाकर रुलाकर
यूँ इस तरह आप का जाना
और नीले अम्बर में खो जाना।
परिवार और जीवन को छोड़कर
निकल चले उस अनंत सफर पर
समय भी कितना निस्ठुर है।
अब यादे ही जो सम्मुख हैं
पहली बार हुआ है आभास
अपनों से बिछड़ने का दर्द
अपनों से टूटने का कष्ट
अविस्वसनीय असह्य...
याद है वो बचपन
याद है वो उँगली
जिसे पकड़कर
पहली बार उठा..
और चल पड़ा जीवन पथ पर...
याद है वो सृजन के स्वप्न से भरी आँखे।
याद है वो विस्वास से भरी प्रेरणा की बाते
एक दृढ़ व्यक्तित्व। जो जानते थे
आँधियों में लंगर डालने का हुनर...
चुप रह कर के बहुत कुछ कह गए वो
समय की गहराइयों में कही खो गए वो
अडिग,अविचल,सृजन के स्वप्न दृस्टा
हमारे जीवन दाता, हमारे भाग्य विधाता
आपको सत-सत नमन।।
©️Balkrishna
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होली की मस्ती
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होली केरंगों में सरोबार
कुछ शिकायते कुछ गुबार
चलता रहा मन में ....
वर्षो बार - बार
एक अंजानी परिवर्तन की चाह
एक सीमित दायरे में जीने की राह
असंतुष्ट मन में संतुष्टि की चाह
पर इस होली में अब की बार
ढेर सारे खुशियाली के रंगों में बार बार
है डूबने का विचार
गुझियों का मीठा चासनी सा स्वाद
भांग मिली ठंडई की सुरमई गंध
फागुनी गीतों में खिंले खुशियो के स्वर
सब जगह छाया अपनापन
आपस में गले मिलते गुलाल
लगाते लोग
शायद कितना दुर्लभ है यह संयोग
एक दूसरे के साथ होती
हँसी ठिठोली
आखिर यही तो है
होली......
©️Balkrishna
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happy new year
आओ चले स्वागत करें
नव वर्ष का नव गीत से।
है छण नई, मंगलमयी
अभिषेक हो मधु प्रीत से
आओ चले स्वागत करें.......
फूल सुरभित हँस रहे हैं ।
डालियो। में झूम के
सुबह बसंती हुई
है। मुस्कुराती बढ़ रही
पवन भी चंचल हुआ
बहका हुआ सा चल रहा।।
गाँव में बच्चो की टोली
खिल-खिलाती धूप से
आओ चले स्वागत करें
नव् वर्ष का। नव गीत से..
रात अलसाई हुई हैं।
है, उनींदी नीद में।।
मन्दिरो में बज रही है।
घंटियाँ द्रुत वेग से।।
गाँव में गुँजार है ,नव वर्ष की
नव फेरिया।।
रास्ते हर्षित। हुए है।
है,मिलन मन प्रीत से।।
आओ चले स्वागत करें....
नव वर्ष का नव गीत से
आपको स्वर्णिम सुबह की
ढेर सारी कामना
डाल से टूटे हुए
बिछड़े हुए को जोड़ना
दीप के जलते दिए
सब दे रहे। सदभावना
नीड़ का निर्माण कर फिर
नव सृजन, नव रीत से
आओ चले स्वागत करें
नव वर्ष का नव गीत से।।
©️Balkrishna
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नव गीत
आओ चले स्वागत करें
नव वर्ष का नव गीत से।
है छण नई, मंगलमयी
अभिषेक हो मधु प्रीत से
आओ चले स्वागत करें.......
फूल सुरभित हँस रहे हैं ।
डालियो। में झूम के
सुबह बसंती हुई
है। मुस्कुराती बढ़ रही
पवन भी चंचल हुआ
बहका हुआ सा चल रहा।।
गाँव में बच्चो की टोली
खिल-खिलाती धूप से
आओ चले स्वागत करें
नव् वर्ष का। नव गीत से..
रात अलसाई हुई हैं।
है, उनींदी नीद में।।
मन्दिरो में बज रही है।
घंटियाँ द्रुत वेग से।।
गाँव में गुँजार है ,नव वर्ष की
नव फेरिया।।
रास्ते हर्षित। हुए है।
है,मिलन मन प्रीत से।।
आओ चले स्वागत करें....
नव वर्ष का नव गीत से
आपको स्वर्णिम सुबह की
ढेर सारी कामना
डाल से टूटे हुए
बिछड़े हुए को जोड़ना
दीप के जलते दिए
सब दे रहे। सदभावना
नीड़ का निर्माण कर फिर
नव सृजन, नव रीत से
आओ चले स्वागत करें
नव वर्ष का नव गीत से।।
©️Balkrishna
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शुभ दीपावली
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एक जलता हुआ दिया
घनघोर अन्धेरे के विरुद्ध
चुप चाप विद्रोह कर दिया
फिर क्या?
बहुत सारे दिए जल पड़े
लोग क्रांति के पथ पर चल पड़े
जगमग हो उठी ये सारी धरती
ये सारा अम्बर
उफनता रहा अपने लहरों में
सारी रात चुप सा समुन्दर
सारी रात यूँ ही गर्जती रही
पटाखों की आवाज
और चलता रहा मन का साज
इस सुरमई साँझ की
सुरमई बेला में
मधुरिम मोदमयी मन मंजूसा में
अपने स्वर्णिम प्रगति पथ का
अवलोकन करे
जलते हुए दीप लड़ियों का
फुलझड़यो का स्वागत करें
अभिनंदन करे
©️Balkrishna
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शुभ नवरात्री
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जयति जगत जननी जगधात्री
सुमिर मनावहु शुभ नवरात्री
नव दुर्गा नव् निधि नव रूपा
शक्ति सनातन मातृ स्वरूपा
तू है जग को जनने वाली
हर दुख पीड़ा हरने वाली
आदि अन्त अविरल अविनाशी
काल चक्र खल दम्भ विनाशी
शून्य सृजन सचराचर करती
माँ तू ममता पालन करती
माँ तू सहज सरल मन भावन
बरसे बादल बन ज्यो सावन
भीगे तन मन रूप हमारा
धो दे कल्मष जग का सारा
माँ हम मानव है अभिमानी
लेकिन तू है जग कल्याणी
©️Balkrishna
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तुम्हे हमारा नमन
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सुनो देश के पहरेदारो
सरहद पर न झुकनेवालो
दुश्मन से ना डरने वालो
देश के ख़ातिर मरनेवालों
तुम्हे हमारा नमन प्रणाम
सुनो हमारा ये पैगाम...
देश तुम्हारे साथ खड़ा है
देखो जन अब उमड़ पड़ा है
सब में पौरुष भरा पड़ा है
साथ तिरंगा लहर रहा है
लेने को अपना प्रतिकार
सुनो हमारा ये पैगाम...
आज हमारी है तैयारी
हम है सौ दुश्मन पर भारी
शोला बन गया है चिंगारी
गूंजे धरती दुनिया सारी
देखे नभ गर्जन अभिराम
सुनो हमारा ये पैगाम...
चीन हो चाहे पाकिस्तान
नही झुकेगा हिंदुस्तान
मोदी जी कि है ललकार
हम हैं लड़ने को तैयार
यही हमारा प्रण- परिणाम
सुनो हमारा यह पैगाम...
©️Balkrishna
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जन-जन के राम
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खास हो या आम
सब के है राम।
मेरे अपने राम
सब के अपने-अपने राम
हिन्दू अस्मिता के राम
भारत के राम
अयोध्या के राम
मर्यादा के राम
दशरथ के राम
सीता के राम
लक्ष्मण के राम
भरत के राम
हनुमान के राम
रावण के राम
कितने है। नाम
सबके है राम
देश के भी राम
काल में भी राम
इतिहास में भी राम
वर्तमान में भी राम
कांग्रेस के भी राम
बीजेपी के भी राम
जीत में राम
हार में राम
मोदी के राम
योगी के राम
घर-घर में राम
कण-कण में राम
जन-जन में राम
मन-मन में राम
हे राम तुम्हे प्रणाम।।
©️Balkrishna
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प्रकृति के रंग
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ये कैसा जादू है जिसने करके..
जमी सितारों में रंग भरके..
छबी बनाई है खूबसूरत
परी या परियो के जैसे मूरत
ये रंग-रोगन है कितने प्यारे
है जिनसे चमके ये गुल बहारे
हज़ारो झरने हज़ारो नदिया
सुरो से भीगी हमारी गलिया
हमारी पृथ्वी हमारा जीवन
है कितना अच्छा हमारा उपवन
है ये प्रकृत का कौन चितेरा
जिसने सभी में छबि उकेरा
है चित्र सारा ये कितना सुन्दर
हर रंग में है भरा समंदर|
©️Balkrishna
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गुस्से में है सूरज भाई
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पारा ऊपर चढ़ के बैठा।
पेड़ो पर चिड़ियों के जैसा
गुस्से मे है सूरज भाई
गर्मी आफत बन के आई
मुश्किल हो गया अब तो जीना
टप-टप सर से चुए पसीना
अम्बर में बादल तो छाये
टहले-घूमे बरस ना पाये
पल-पल दिन का लगता भारी
धूप चढ़े छाया अब हारी
बिजली की लय समझ ना आये
व्यर्थ में कूलर पंखा जाये
उमस बढ़ी मौसम बेहाल
ना पूछो बस बुरा है हाल
वर्षा भैया अब तो आओ
गर्मी से राहत दिलवाओ।।
©️Balkrishna
****×*******
जीवन अनंत
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ये दुनिया जीवन का रंजन।
नैनो में स्वप्नों का बंधन
आकुल मन चाहत समीप
मन में आशा के अंतरीप
भरकर स्वासों में प्राण वायु
निखरे,नित,चित होकर चिरायु
ऊपर आशा के अनघ मेघ
बरसे मधुरस मन को सनेह
ये नीला नील गगन सारा
ये सागर,सागर की धारा
ऊँचे,गहरे,या समनान्तर
जीने मरने में जो अंतर
ये समय सहज ये काल खंड
जोड़े जीवन जग में अखंड
ये पल दो पल चिर, आदि-अन्त
आओ जी ले जीवन अनंत।।
©️Balkrishna
********
हार में भी जीत है
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बैठो ना खुद यूँ हार कर
उम्मीद पंख है अभी
इस हार में भी जीत है।
देखा नही तुमने कभी?
हर कार्य के निश्चित नियम..
है सर्वथा बने हुए
हम पात्र रूपी पुतलियां
सतरंज पे सजे हुए
है डोर कही और हैं,
और राह कही और है।
जो खेल हमको दिख रहा
ये खेलता कोई और है।
सारे जहाँ संसार में
उसकी अदा की धूम है।
कहते है जिसको अजनबी
किस्सा बहुत मशहूर है।
जो वस्तुएं नीलाम है
पहले से है रखी हुई
उन वस्तुओं के मोल में
हमसे कहाँ गलती हुई
©️Balkrishna
*********
नही है कोई बांवरा
**************
नही है कोई बांवरा
ये भावना का देश है।
निकल पड़े कई कदम
ये हौसला विशेष है।
धरा के धूप छाँव की
न फिक्र है इन्हें कही
बढ़े कदम जो ठाव को
वो मार्ग में रुके नही
डगर बड़ी कठोर है।
न पास अपनी मंजिले
ये देश अपना मानकर
निकल पड़े ये काफ़िले
बैठा न शान्त देश है।
हर जान है लगा हुआ
कैसे ये कोप शांत हो
इन्सान है जुटा हुआ
मिटेगी शीघ्र व्याध ये
जो बीज है विनाश का
जलेंगे दीप फिर यहाँ
ये भूमि है प्रकाश का
देखे न बनकर अजनबी
इनको मदद और प्यार दे
ये देश है जावान का
आओ इन्हें सलाम दे।।
©️Balkrishna
*********
संरचना
" यह संसार मानव का आधार।
यहाँ बहुत कुछ है।
कुछ मानव कृत
कुछ प्राकृतिक।
इन सब में है,
एक सुन्दर समन्वय ।
आखिर किसने किया ?
ये सब कुछ कब और कैसे ?
ये चिर प्रश्न गूँजते रहे है।
पहले भी और आज भी,
और शायद कल भी।
इनके उत्तर के चाह में
जीता रहा है इंसान
बिना थके,बिना हारे,
अविचल अपने कर्म पथ पर,
होता रहा अग्रसर।
हुए है समय के जाने कितने निर्मम प्रहार।
बिता न जाने कितना समय
फिर भी निर्भय।
तोड़ता तिलस्म,बनाता अपना स्वप्नलोक ।
शायद यही है जीने का रास्ता।
और शायद यही है मेरी आस्था....
©️Balkrishna
********
मानूँगा नहीं हार
************
सुनो बस एक बार।
मानूँगा नही हार
माना जीवन है कठोर
अँधेरा है घनघोर
फिर भी है आस
करता रहूँगा प्रयास
डरूंगा नही चलूँगा
अविचल निरंतर
उस जीवन पथ पर
तेरे उस स्वप्न को पाने को
अपने अस्तित्व को बचाने को
समय जो नित्य है प्रवाहित
असंख्य जीवन जिसमे समाहित
अनंत है इसका क्रम
चिरकाल से रहा है यह भ्रम
फिर भी हम तुम
ये दुनिया ये जीवन
है शाश्वत और चिरंतन।।
©️Balkrishna
*********
स्वागत है
शाश्वत मधुर कदम
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ऊँचा पर्वत सागर गहरा
जीवन पर स्वांसों का पहरा।
ये रंग बिरंगे अनजाने
रिश्ते बनते है पहचाने।
तन छड़मय, ढलती धूप छाँव
नैनो में झिलमिल नगर गाँव।
मन प्यासा आकुल हो अधीर
आशा बनकर शीतल समीर।
रिम-झिम बरसे बादल फुहार
महके पतझड़ बनकर बहार।
भीगे उर अंतर आंगन मन
ये चिर अपनो का मधुर मिलन।
हो सृजन चले जीवन का क्रम
स्वागत है सास्वत मधुर कदम।
अपनी छाया अपना बचपन
नव आगत से झंकृत तन-मन।।
©️Balkrishna
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Mother's day special
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माँ तेरे ममता का आँचल
बरसे हम पर बनकर बादल
माँ तू ममता माँ तू करुणा
माँ तू श्रद्धा माँ तू वसुधा
माँ तू बड़ी महान
माँ तेरे ममता के आगे
नतमस्तक भगवान
माँ तेरे हाँथो की रोटी
जिसके आगे दुनिया छोटी
माँ तू माया माँ तू छाया
माँ तुममे ब्रह्माण्ड समाया
है अमृत मुस्कान
माँ तेरे चरणों के नीचे
जन्नत और जहाँन
माँ तू बड़ी महान।।
©️Balkrishna
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अपना गाँव बहुत याद आता
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हम अनजाने शहर बेगाने मन को,
कुछ ना भाता।
अपना गाँव बहुत याद आता...
ना जाने कब ज़हर ये आया
कोरोना का कहर है आया
मिलना जुलना हो गया दुभर,
चुभा समय का कांटा।
अपना गाँव......
रोजी- रोटी के चक्कर में
आकर के बस गए शहर में
गली ,चौक,चौराहा सूना
सड़को पर सन्नाटा...
अपना गाँव बहुत याद आता।
आँगन में सूरज का आना
चिड़ियों का जी भर के गाना
हरे भरे पेड़ो की छाया
जहाँ प्रकृत मन भाता
अपना गाँव बहुत याद आता...
है अपना घर याद वो आया
अपना बचपन जहाँ बिताया
आस-पास अपने परिजन सब
जिनसे अपना नाता..
अपना गाँव बहुत याद आता।
अपना गाँव बहुत याद आता.......
©️Balkrishna
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है अधूरी
फिर कहानी क्या कोई?
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झिलमिलाते झील के उस पार में
चमकते चन्दा की जो तस्वीर हैं।
रात की खामोश, चादर के तले
उसमे जाने राज कितने है छिपे।
कौन जाने कैसा है मंजर वहाँ?
रास्ता उसका कहाँ हैं क्या पता?
चल रहा चलचित्र सा जैसे वहाँ?
घन तिमिर में बाँसुरी सी बज रही
दैत्य और परियों की मीठी सी कथा
अनछुए उस अजनबी की दास्ता...
स्वप्न का अपना कही क्या गाँव है?
कल्पना का है कही क्या लोक भी?
स्वास की डोरी कहाँ फिर है बंधी?
सृजन का आधार जाने कौन है?
कौन सुलझाये ये सारी गुत्थिया...
है अधूरी फिर कहानी क्या कोई?
©️Balkrishna
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आशा की ये लड़ी
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आशा की ये लड़ी,जाने कब टूट जाये
ख्वाबो की फूलझड़ी, जाने कब फूट जाए
सम्भलना है मना, न हम बहके कही
मिला जो जीवन है, मिले फिर या नही
ठिकाना ये जहाँ, न जाने क्या पता
सुहाना स्वप्न है, जरा चिलमन हटा
जरूरी है नही, सभी देखे इसे
कौन खाली यहाँ ,हमी सोचे इसे
जरा सी बात है ,गिले शिकवे नही
छलकना दर्द का,बहाना है नही
तुम्ही जो पास हो, तुम्ही से इल्तजा
रहो नजदीक यू , कभी मत दूर जा
सही सपने चुने सही हो वास्ता
नयी है मंजिले, नया है रास्ता
मुनासिब हो अगर, तो ये एहसान कर
कौन मुजरिम यहाँ, तुम्ही इन्साफ कर
जबाना क्या कहेगा, सभी करते यही
जरा सी बात है गिले शिकवे नहीं।
©️Balkrishna
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आओ थोड़ा मस्ती करले
रंग बिरंगी नटखट होली
मधु ,मिश्री और मीठी बोली
कुमकुम,केसर,पवन,जल
खुशियो के ये चन्द पल
भीगा-भीगा है, हर अंग
बरस रहा हैं प्रीत के रंग
होली हम तुम मिलकर खेले
ऊंच नीच का बंधन खोले
जीवन का है नहीं ठिकाना
बीत गया जो पल, कब आना
भाग दौड़ ये दुनिया दारी
बदले मौसम बारी-बारी
मन चंचल पुरवा का झोंका
होगा बुद्धू जिसने रोका
जब से है ये फागुन आया
खुशियो का है बादल छाया
तो फिर आओ जल्दी कर ले
यादो की पिचकारी भरले
सुख-दुःख है दो रंग अजूबे
आओ थोड़ी मस्ती कर ले ।।
©️Balkrishna
*****
एक और कलमकार से हमारा परिचय करने के लिए आभार
ReplyDeleteस्वागतम् सुस्वागतम्
Deleteजो कहानी, कविता लिखते हों उनके लिए छापना, छपवाना और बहुत सारी समस्याएं होती हैं, जबकि ए digital कम खर्चे में यह काम हो जाता है और एक हफ्ते के अंदर एक link मिल जाएगा..
ReplyDeleteबस ए चीजें करनी है..
-कम से कम दस कविता होनी चाहिए, title के साथ हो तो अच्छा होगा
-कविता संग्रह का नाम?
-अपना परिचय?
-Social network के link
-Photo अपनी, घर वालों की, दोस्तों की या आपके मोबाइल में जो अच्छी लगती हो..
इसके बाद editor का काम..
मतलब blog पर देख लीजिए कई कविता संग्रह छपे है...
और... /- ₹ Technician का न्यूनतम खर्च, जो इसको सजाने, बनाने में आता है