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Showing posts from February, 2021

Hindi poem | World of trees

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 दरख़्तों की दुनिया ******** गाँव छोड़कर बहुत दूर चला आया है आम का पेड़ बहुत याद आता है वह सोचता है गाँव वैसा ही होगा एक दूसरे के लिए खूब सारा वक्त होगा  जबकि शहर ने कोई कसर छोड़ा नहीं है धीरे-धीरे सब कांक्रीट में बदल रहा है शहर के हाथ में गजब का जादू है जिसे छू लेता है वह पत्थर बन जाता है ए बोनसाई बन जाने में हम सबने हुनर दिखाया है अपनी ही दुनिया में  अनाम होकर गमलों में  न जाने क्या लगाया है ©️rajhansraju *********** (1) ******* जब किसी पौधे को कहीं और रोपा जाये वक्त का थोड़ा ध्यान रखा जाये  कहीं धूप बहुत तेज तो नहीं है क्योंकि जब किसी को कहीं से जड़ से उखाड़ा जाता है तो उस जगह की मिट्टी पानी से जो नाता है वह भी तोड़ा जाता है यह बात किसी को भी सहज नहीं रहने देता है क्योंकि वह उनसे जड़ से जुड़ा होता है जड़ों से जुड़ने का मतलब  वजूद से होता है वह उसी मिट्टी-पानी से बना है ऐसे में किसी और जगह जाते वक्त उसकी पत्तियां देखो कैसे मुरझा जाती हैं जैसे तैयार नहीं हों कहीं और जाने को एकदम बेबस कुछ कह नहीं पाती ऐसे में इस बात का ख्याल रखना जरूरी हो जाता है जब किसी पौधे को कहीं और रोपा जाए उस वक

हिन्दी काव्य | Protest and democracy

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 लोकतंत्र है भाई लोकतंत्र में,  चुनकर आने वाला,  बादशाह बनकर रहता है? हलांकि हर पांच साल पर,  इम्तिहान होता है, खुद ही तो चुना है,  फिर क्यों इतना,  बेकरार होता है  चुनाव आने वाला है  जो भी चुना जाएगा  उसे भी कोई न कोई गरियाएगा,  कोई जाप करेगा  कोई तानाशाह कहेगा  अपना तो हाल  अब भी वही है  जिस पार्टी का झंडा लेकर जिस नेता के पीछे चले थे,  उसने बस यह काम किया  एक मौका मिलते ही  अच्छा सौदा कर लिया  जिसे हमने वोट दिया था  वह पार्टी भी अब नहीं रही।  अभी-अभी एकदम,  नया नेता मार्केट में आया है  हर तरह का डर दिखाता है  मोटा असामी लगता है  खूब खाता और खिलाता है  धरम-जाति वाला,  इमोशनल कार्ड भी रखता है  जयकारा लग रहा है  नेता आगे बढ़ रहा है  उस पर कोई सवाल नहीं है  नेता जी की संपत्ति चौतरफा बढ़ रही है। आँख मूंद कर जनता जिंदाबाद कर रही है  नेता अपना बड़ा शातिर है  पूरी भीड़ में उसके घर का कोई नहीं है,  बेटा-बेटी विदेश में है इसी चंदे से पल रहे हैं  युवा महीनों से आंदोलित हैं  स्कूल कॉलेज बंद पड़े हैं  बच्चों के भी बड़े मजे हैं। डंडा लेकर निकल पड़े हैं  किसी भी चौक चौराहे पर  जितने चाहे पत्थर मार