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Showing posts from October, 2017

Mera asaman

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मेरा आसमान  ************ सोचता हूँ क्या कहूँ? लड़खड़ाते कदम अच्छे हैं, या फिर लड़खड़ाती आवाज, कुछ भी हो? अच्छा नहीं लगता, नींद का यूँ खो जाना। शायद! कभी-कभी, किसी को अलविदा कहना, बड़ा मुश्किल होता है, वो भी जिसके साथ इतना वक्त गुजारा, उसने भी तो भरपूर साथ निभाया, फिर उसके लिए, चंद रातें जाग लेना, बुरा तो नहीं है, हो सकता है, उसको आखरी बार, जी भर कर देखने की चाहत हो, अब एक दूसरे को, आखरी अलविदा कहना है। वो दुःख जो उसका अपना है, जिसकी चादर ओढ़े है, उसी से एक सुकून है, जिसको कसके थामा है, कम से कम वो उसका अपना है, हलाँकि साँस उसकी चलती नहीं, धड़कन सुनाई देती नहीं, पर गरदन जिसने पकड़ा है, वह कहता उसको अपना है, छोड़कर उसको चल न दे, यूँ ही जिंदा छोड़ दे, ए भी उसके लिए, अच्छा नहीं है, जिंदगी से डरता है, खुद का सामना, कहाँ करता है? कहीं आँख पूरी खुल गयी, या नींद उसको आ गयी, कुछ और सपने आ गए, या सच थोड़ा सा दिख गया, तब पुराना दुःख कहाँ रह पाएगा, बिना उसके, पास क्या रह जाएगा? जबकि, एक कच्

Sangam

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गंगा-यमुना का संगम ****************** कुछ पल,  ठहर कर देखा, वह अब भी वैसे ही, बाँह फैलाए, अपने दामन में भरने को, धीरे-धीरे बढ़ रही, मै मूरख भागा डरके, समझ न पाया, उसके मन को, ऐसे ही भाग रहा, न जाने कब से? जबकि उसकी बाँहे, तो गंगा-यमुना हैं, जो निरंतर बाँध रही, हम सबको। rajhansraju *************************** तूँ नदी है   *************** बस यही करना है, जो कुछ? अच्छा या बुरा हुआ, उसे भुला कर, कत्ल न तो करना है, और न होना है। फिर जो दरिया है, वो भला क्या डूबेगा? कभी कुछ वक्त के लिए, नदी भी समुन्दर बन जाती है, तो वह सिर्फ, पानी की ताकत बताती है, ऐसे में कुछ नहीं करना है, बस किनारों को, थामकर रखना है, ए दोनों तेरे अपने हैं, इन्हीं के बीच रहना है, अभी बरसात का मौसम है, ए भी गुजर जाएगा, तूँ फिर वही नदी हो जाएगा, जो सबकी प्यास बुझाती है। फिर क्यों इतना परेशान है? जो अपनी प्यास बुझाने को, इधर उधर भटकता है, जबकि तूँ... खुद नदी है, पानी से बना है लबालब भरा है। जिसे दर बदर ढूँढता फिर रहा है,