Sangam
गंगा-यमुना का संगम
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कुछ पल,
ठहर कर देखा,
वह अब भी वैसे ही,
बाँह फैलाए,
अपने दामन में भरने को,
धीरे-धीरे बढ़ रही,
मै मूरख भागा डरके,
समझ न पाया,
उसके मन को,
ऐसे ही भाग रहा,
न जाने कब से?
जबकि उसकी बाँहे,
तो गंगा-यमुना हैं,
जो निरंतर बाँध रही,
हम सबको।
rajhansraju
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कोई भी युग हो ए अग्नि परीक्षा
कभी खत्म नहीं होती
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तूँ नदी है
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जो कुछ?
अच्छा या बुरा हुआ,
उसे भुला कर,
कत्ल न तो करना है,
और न होना है।
फिर जो दरिया है,
वो भला क्या डूबेगा?
कभी कुछ वक्त के लिए,
नदी भी समुन्दर बन जाती है,
तो वह सिर्फ,
पानी की ताकत बताती है,
ऐसे में कुछ नहीं करना है,
बस किनारों को,
थामकर रखना है,
ए दोनों तेरे अपने हैं,
इन्हीं के बीच रहना है,
अभी बरसात का मौसम है,
ए भी गुजर जाएगा,
तूँ फिर वही नदी हो जाएगा,
जो सबकी प्यास बुझाती है।
फिर क्यों इतना परेशान है?
जो अपनी प्यास बुझाने को,
इधर उधर भटकता है,
जबकि तूँ... खुद नदी है,
पानी से बना है
लबालब भरा है।
जिसे दर बदर ढूँढता फिर रहा है,
वो कहीं और नहीं है?
बस थोड़ा चुप बैठ,
गौर से देख,
अब सुन,
जो तुझसे कुछ
कह रहा है।
कमबख्त!
वह कोई और नहीं है,
तेरा ही कुछ है,
जो तुझमें टूट गया है,
अब भी जुड़ना चाहता है,
कब से कह रहा है,
पर! तूँ कहाँ?
सुनना चाहता हैं?
बस चुप रहकर,
उसे महसूस करना है,
तूँ दरिया है,
ए किसी से कहना,
थोड़ी पड़ता है।
©️rajhansraju
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काफी दिनों बाद सोचा!
चलो संगम हो आता हूँ,
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मेरी गंगा
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(Photo From The Wall of Sunil Umar) |
चलो संगम हो आता हूँ,
अरे यह क्या?
तुम कहाँ हो?
कहाँ गयी?
तुम कहाँ हो?
कहाँ गयी?
अपनी बहन यमुना से मिलकर,
कितना खिल जाती थी,
कितना खिल जाती थी,
पर आज़ ?
तुम्हारे साथ ऐसा नहीं हो सकता?
वह तो अरैल किनारे डरी, सहमी,
एक दम से सिमटी दुबकी,
तुम्हे...ऐसे......देखकर....क्या कहूँ?
ज़ोर-ज़ोर से रोने का मन कर रहा था,
ए हमने क्या किया?
जब तुम्हारा ए हाल है,
तो बाकी का क्या होगा?
तो बाकी का क्या होगा?
भगीरथ की संतानों...
गंगा को मनालो,
उसको उसका हक़,
उसका पानी,
उसकी ज़मीन लौटा दो
उसका पानी,
उसकी ज़मीन लौटा दो
तुम्हे सिर्फ अपने हिस्से का लेना है,
गंगा का परिवार बहुत बडा है,
उसको तो सबके लिए जीना है
उसको तो सबके लिए जीना है
जिसमे निर्झर जीवन बहता हो,
उसको खुलकार जीने दो,
उसको खुलकार जीने दो,
हाँ! माँ कह देने से मन तो भर जाता है,
पर! अरे! अभागे, निष्ठुर, निर्दय,
कब तक हाथ पसारोगे,
जब खुद वह भूखी प्यासी हो,
कब तक प्यास बुझाएगी,
अंतहीन लालच तेरी,
उसकी...ज़ान...
©️rajhansraju
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©️rajhansraju
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ए नदी और समुंदर यात्रा और मुकाम कि निशानी हैं
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