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Fakir। a seeker

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फकीर  ********* फकीर के हँसने का सिलसिला,  कठघरे में भी चलता रहा,  लोग उसको पागल कहने लगे,  जबकि शहर में हर तरफ,  उसी का चर्चा है,  भला फकीर से किसको खतरा है,  उसके पास तो कोई झोली भी नहीं है,  जिसमें कुछ रखा हो,  या भरके ले जाता।  वह तो एक दम खाली हाथ,  फक्कड़, बेपरवाह, लगभग अवारा है,  फिर वह गिरफ्तार क्यों हो गया,  कहीं कोई और बात तो नहीं है?  ए फकीर हो सकता है बहुरूपिया हो,  नहीं  तो भला,  सरकार का उससे क्या वास्ता है,  सड़क की खाक छानने वालों की कोई कमी तो नहीं  है,  रोजी-रोटी की जंग तो वैसे ही जारी है।  सुनने में तो ए आ रहा है  फकीर की बदजुबानी से,  शहर का काजी,  सबसे ज्यादा परेशान था,  सवाल ए भी है,  वो भागा क्यों नहीं?  जब यहाँ पर उसकी होने की,  कोई वाजिब वजह नहीं है,  वो तो कहीं भी किसी भी,  खानकाह का हो लेता,  पर उसने ऐसा नहीं किया,  उसके सामने भी सिक्के बरसते,  बस इतना करना था,  आँख, कान बंद रखना था,  और कभी सच नहीं कहना था,  शहर का काजी बनने की,  सिर्फ़ यही मामुली शर्त थी।  सभी रहनुमा उ