Zameen
जमीन
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मेरे पास में ही,
ज़मीन का एक टुकड़ा था,
ज़मीन का एक टुकड़ा था,
बेवज़ह बैठने,
बच्चों के खेलने की जगह थी,
कुछ सालों से ज़मीन की कीमतें,
तेज़ी से बढ़ने लगी,
तेज़ी से बढ़ने लगी,
वह तमाम शातिर लोगों की,
नज़र में गड़ने लगी,
नज़र में गड़ने लगी,
पता चला उसमे कुछ,
जाति और धर्म के विशेषज्ञ थे,
जाति और धर्म के विशेषज्ञ थे,
उनके पास हथियार और झंडा था,
पता नहीं किससे? किसकी?
सुरक्षा की बात होने लगी,
घंटो बैठकें हुई,
बच्चों को भी उनके झंडे और हथियार,
नए खिलौने जैसे लगे,
चलो..अब इनसे खेलते हैं,
इस खेल-खेल में
न जाने?
कब वो खुद से बहुत दूर हो गए,
घर की फ़िक्र छोड़,
झंडा लेकर चलने लगे,
कुछ बच्चों की लाशें, घर आयी,
कुछ पहचानी गयी,
ज्यादातर का अब तक,
पता नहीं चला,
उस मैदान में खेलने गए,
बच्चों का घर में, अब भी,
इंतज़ार होता है,
माँ-बाप को झण्डों का फर्क,
समझ नहीं आता है।
खैर...
अब उस ज़मीन पर,
एक बड़ा शॉपिंग मॉल है,
एक बड़ा शॉपिंग मॉल है,
आज किसी दूसरे शहर में
फसाद की खबर आयी है,
सुना है वहाँ भी,
ज़मीन का कोई टुकड़ा
खाली था.....
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(2)
Smart City
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उसने कपड़े की तरह,
शरीर बदल लिया है,
पर! जगह वही है,
शरीर बदल लिया है,
पर! जगह वही है,
कुछ नहीं बदला,
न भूख, न बेबसी,
न भूख, न बेबसी,
बस सड़क चौड़ी हो गई,
मकान, और ऊँचे हो गए,
मकान, और ऊँचे हो गए,
हरे पेड़ वाले किनारे छिन गए,
वह जब तक चाहती,
उनके छाँवों बैठी रहती,
उनके छाँवों बैठी रहती,
खाली वक़्त यूँ ही गुज़र जाता,
कोई रोक-टोक नहीं थी,
कोई रोक-टोक नहीं थी,
अफसोस!
उन छाँवों को शहर कि नज़र लग गई,
उन छाँवों को शहर कि नज़र लग गई,
खैर?
किससे क्या शिकायत करे?
किससे क्या शिकायत करे?
इस शहर में उसका क्या था?
जो अब उसका नहीं रहा?
हद से ऊँची होती इमारतें,
हर तरफ गज़ब की रोशनी,
प्रगति का शोर,
प्रगति का शोर,
हलाँकि हर ईंट को,
उसी ने तराशा,
रंग और आकार दिया है,
रंग और आकार दिया है,
उसे मालूम है,
इस वाली इमारत की नींव खोखली है,
इस वाली इमारत की नींव खोखली है,
मुनाफे का खेल खूब खेला गया था,
वो जो सबसे ऊँची वाली है,
उसमें भरतिया का,
पूरा परिवार दफन हो गया था,
पूरा परिवार दफन हो गया था,
किसी ने कुछ नहीं दिया था,
चंदा लगाके क्रिया कर्म हुआ था,
सिर्फ एक दिन काम बंद हुआ था,
उस दिन,
लाल, नीली बत्ती वाली गाड़ियाँ आई थी,
लाल, नीली बत्ती वाली गाड़ियाँ आई थी,
हम लोगों से,
किसी ने कोई बात नहीं की,
किसी ने कोई बात नहीं की,
अगले दिन अखबार मे,
कुछ नहीं छपा था,
कुछ नहीं छपा था,
रमइया ने आज़ सबको बताया,
हमारा शहर,
अब स्मार्ट सिटी बन जाएगा,
अब स्मार्ट सिटी बन जाएगा,
और आलीशान,
और ऊँचे मकान बनेंगे,
और ऊँचे मकान बनेंगे,
हरिया के गाँव तक शहर हो जएगा,
ज़मीन का अच्छा भाव मिलेग,
सब खेती-बाड़ी छोड़के,
दूसरा काम करेंगे,
दूसरा काम करेंगे,
कुछ नही तो,
चार हज़ार महीने वाले,
चौकीदार बन जाएंगे,
चार हज़ार महीने वाले,
चौकीदार बन जाएंगे,
फिर एक बात नहीं समझ में आयी,
इतने पैसे वाले,
बाबू लोग कहाँ से आएंगे,
बाबू लोग कहाँ से आएंगे,
सब लोग तो कहते हैं,
हमारा देश गरीब है,
हमारा देश गरीब है,
आज ही हमारी,
गैर कानूनी बस्ती,
उजाड़ने कि नोटिस आयी है,
गैर कानूनी बस्ती,
उजाड़ने कि नोटिस आयी है,
आठ लेन वाली सड़क,
यहीं से गुजरनी है,
यहीं से गुजरनी है,
अब तो हमारे लिए,
काम ही काम है,
काम ही काम है,
मुन्ने को देखो,
कितनी बढ़िया हथौड़ी चलाता है,
कितनी बढ़िया हथौड़ी चलाता है,
आज़ भी उसके मास्टर साहेब,
स्कूल नहीं आए,
स्कूल नहीं आए,
मुन्ना बता रहा था,
आज़ उनका,
शहर मे गृह प्रवेश है।।
rajhansraju
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(3)शहर मे गृह प्रवेश है।।
rajhansraju
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परिवर्तन
जिंदगी में बदलाव आते है,
हर पल कुछ नया हो जाता है,
शक्ल सूरत भी,
एक सी कहाँ रहती,
एक सी कहाँ रहती,
अरमान कुछ और हो जाते हैं,
नए इरादे नए फ़साने बन जाते हैं,
हकीकत से जब दो-चार होते हैं,
जिंदगी के मायने बदल जाते हैं,
अपनों से ही गिला-शिकवा होता है,
दुशवारियों में जब घिरा होता है,
उड़के आसमान में कहाँ जाओगे,
थक जाओगे !
लौट कर जमीन पर ही आओगे,
भाग लो खुद से कितना भी,
एक दिन ठहर जाओगे
rajhansraju
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⬅️(12) Tanhai***************
➡️(10)Ahat
तूँ कौन है ए पता नहीं चलता है
पर तेरा आहट सुनाई देता है
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(11)
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शहर का आदमी हूँ,
ReplyDeleteलोगों से अपनी बात कहता हूँ,
सुनने वालों को दास्तनें बहुत भाती हैं,
सब यही कहते हैं
मैं कहानियां,
बहुत अच्छी कहता हूँ..