Posts

Showing posts with the label Hindi Kavita

adhura

Image
 incomplete  इस सूखे पेड़ पर  अब भी चिड़ियों का आना-जाना है  रिश्ता बरकरार है  यह यही बताता है पेड़ सूख गया तो क्या हुआ  कभी तो हरा था यहीं पर सबके घोसले थे यह आसमानी फरिश्ते  कहीं भी आशियाना बना सकते हैं  और यहाँ आने की जरूरत नहीं है जहां हैं वहाँ सब कुछ मिलता है फिर इतने सफर की जरूरत ही क्या है? शायद कुछ यहाँ पर रह गया है जो हर बार पीछे छूट जाता है वह  कहीं और जा नहीं पाता है वह यहीं का है जो यहाँ से छूटता नहीं है पर क्या ? मेरा वजूद ? या कुछ और ? खैर इस बूढ़े पेड़ की याद सताती है  इससे जुड़ी हम सबकी अपनी कहानी है जिसमे यह पेड़ है उसके फूल, पत्ते और कांटे हैं छाँव है सुकून है वो बरसात की रात याद है जब बहुत तेज आंधी आई थी बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला था ऐसे ही न न जाने कितनी बार कम ज्यादा काटा गया अब एक बड़ा हिस्सा सूख गया है मगर उसने खुद से उम्मीद नहीं छोड़ी है उससे अंकुर फूटना बंद नहीं हुआ है जिन परोंदों ने उसे ठी...