Aahat

आहट

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आवाज़ आहट की उसके,
कुछ इस तरह आती है,
हवा चुप-चाप छूकर गुज़र जाती है।
उसके होने की तमाम निशानियाँ,
बिखर जाती हैं,
वह ख़ामोशी से
जब कहीं से गुज़र जाती है,
उसकी खुशबू अब तक यहाँ कायम है,
तितलियाँ आकर यही बताती हैं,
चिड़ियों ने चहचहाकर जो गीत गाया है,
उसकी धुन से यह राग आया है,
बंद आँखों से जो दुनिया दिखाई देती है,
उसकी चाहत है,
हर तरफ,
एक आहट सुनाई देती है।
rajhansraju 
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(2)

Tsunami

 पल में ही, 
ख़त्म हो गया सब कुछ ,
चिता जलाने को भी, 
कम पड़ गए लोग ।
दफ़नाने को भी, 

कहीं नहीं कोई ,
सारे पहचान, 
हो गए ख़त्म ।
बस एक ही नाम मृत, 

लाश बन गए सब लोग,
जीवन कितना छडिक, 

हर कोई भाग रहा है,
कोई जीवन के लिए, 

तो कोई म्रत्यु के डर से।
पर ! सभी नाकाम,

एक सा ही अंजाम,
कोई इस पल, 

तो कोई उस पल ,
इसी मिट्टी में मिल गया,
बिना किसी नाम, 
बिना किसी पहचान के,
कुछ लोगों को, 

न मिट्टी मिली,
 न आग,
वह काम आए,. 

परिंदों के
rajhansraju
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(3)

बंधन

क्या कहीं कोई आज़ाद है?
सब कुछ एक नियम से, 
एक व्यवस्था में बंधा है, 
जन्म लेते ही, 
बंधन में बंधना है, 
पहले माँ का प्यार, 
पिता का दुलार, 
थोडा वक्त गुजरा ,
रिश्तों की डोर बड़ी हो जाती है, 
चारों तरफ से जकड लेती है, 
हर इच्छा, 
हर जरूरत, 
एक बंधन है, 
इसमें बंधना ही नियति है, 
 इसी से रिश्ते-नाते, 
देश -समाज बनता है, 
पहली सांस से,
 आखरी सांस तक, 
सब बंधा है, 
कोई आज़ाद कहाँ है ?
rajhansraju
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बहुत दूर चला जाता है
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