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Alvida। a Hindi poem to say someone Goodbye

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अलविदा ******** स्मृतियों में वह,  इस तरह बरकरार रहता है,  हर वक्त साथ में है,  यही तो लगता है,  यह आने-जाने का सिलसिला,  यूँ ही चलता रहता है,  भीतर जो ठहर गया है,  अपना सा लगता है,  वह जो दूर जाता दिखाई देता है,  कुछ और नहीं है,  रोशनी का सफर है,  जो परछाई को,  छोटा-बड़ा कर देता है,  जबकि बड़े होते आकार,  देखकर वह हंसता है,  दोनों हाथ उठाकर, कुछ और बड़ा हो जाता है,  फिर दोपहर,  रोज की तरह,  उसे कदमों में ला देता है,  खुद को इस तरह,  एक जगह में सिमटा देखकर,  मुस्करा देता है,  तभी अपने अंदर मौजूद,  कुछ सुनने लग जाता है,  फिर कैसे अलविदा कह दे,  वह अब भी यहीं मौजूद है,  कोई, कहीं आता-जाता नहीं है। बुलंदी पर पहुँचने की ख्वाहिश में,  क्या कुछ करता रहता है,  लम्बे सफर पर,  बिना ठौर के चलता रहता है,  उसके जैसा बनने की,  हसरत लिए,  सब चल पड़े हैं,  जबकि सबसे ऊपर,  वह एकदम अकेला है,  उसके पास तन्हाइयों के सिवा,  कुछ भी तो नहीं है,  ऐसे में किसी अकेले को,  पूरा आसमान मिल जाये,  तो क्या होगा? नि:संदेह,