Be-Shabd
बे-शब्द
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बहुत देर तक बोलता रहा,
सुनता रहा,
सुनता रहा,
शब्दों के सहारे,
न जाने,
कितने अर्थ गढ़ता रहा,
कितने अर्थ गढ़ता रहा,
इनकी कारीगरी,
बडी बारीकी से,
सब कहती रही,
सब कहती रही,
इस कहने सुनने का,
शोर होने लगा,
शोर होने लगा,
अब सुनने को,
कोई तैयार नहीं था,
कोई तैयार नहीं था,
हर जगह,
कहने का सिलसिला,
चलता रहा,
चलता रहा,
ऐसे में शब्द,
बिना अर्थ लगने लगे,
बिना अर्थ लगने लगे,
पर बिना अर्थ के शब्द?
या फिर शब्दों के बिना ही?
हाँ! जब वह खामोशी,
हमारे बीच आयी थी,
उस वक़्त.......
शायद!
हमने एक दूसरे का,
अर्थ,
समझा था
समझा था
©️rajhansraju
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(2)
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⬇️⬇️पुराने पन्ने पर नई बातें ⬇️⬇️
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"जय सियाराम"
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पिछली बार से,
और बडा बनाते रहे,
और बडा बनाते रहे,
अब तो चारों तरफ,
उसकी फौज दिखती है,
उसकी फौज दिखती है,
उसे ही देखने को भीड़ जुटती है,
उसी की वैल्यू है,
वह अनोखा है,
वह अनोखा है,
सोचो किसी और के,
दस सीस देखा है,
दस सीस देखा है,
आज़ का सबसे बिकाऊ,
कमाऊ, होनहार है,
कमाऊ, होनहार है,
वही आदर्श है, उसी का सम्मान है,
न मर्यादा चाहिए, न पुरूषोत्तम,
यहाँ तो सभी को,
सोने के लंका की दरकार है,
सोने के लंका की दरकार है,
अब तो वह सदा वन में रहेंगे,
रावण की जय-जयकार करेंगे,
उसी का क्रोध है,
उसी का अहंकार है,
उसी का अहंकार है,
सब हडप लेने वाला,
वही विचार है,
वही विचार है,
उसकी एक देह मे दस सीस थे,
अब यहाँ लाखो देह है,
हर देह में न जाने कितने सीस हैं,
उसकी सेना का सेनापति,
अब हर घर में रहता है,
अब हर घर में रहता है,
अपनेपन वाला वह रिश्ता,
न जाने कहाँ रहता है?
न जाने कहाँ रहता है?
लखनजी का तो नाम,
सुने एक अर्सा हो गया,
सुने एक अर्सा हो गया,
क्या वह अब भी साथ में रहते हैं?
या फिर कहीं और शिफ्ट हो गए,
वैसे भी भाइयों की अब,
बनती कहाँ है,
जब से सब आन लाइन हो गया,
रिश्तों की गरमाहट भी,
लाइक,शेयर में पोस्ट हो गया,
घर वालों की अब जरूरत नहीं पड़ती,
बनती कहाँ है,
जब से सब आन लाइन हो गया,
रिश्तों की गरमाहट भी,
लाइक,शेयर में पोस्ट हो गया,
घर वालों की अब जरूरत नहीं पड़ती,
सारा काम आउट्सोर्स हो गया,
वैसे तुम यूँ दूर-दूर कब तक रहोगे?
अपनी जिम्मेदारी से कब तक बचोगे,
अपनी जिम्मेदारी से कब तक बचोगे,
चलो बहुत हुई बेरुखी,
अब आओ अपनी अयोध्या सँभालो,
बस थोडी तकनीक,
और तरीके बदल चुके हैं,
और तरीके बदल चुके हैं,
तुम्हे न देखकर,
रावण-रावण करने लगे हैं,
रावण-रावण करने लगे हैं,
तुम्हारी एक दस्तक ही बहुत है,
तमाम दरवाज़े खोलने को,
तुम साथ हो यह भरोसा,
आज़ भी चाहिए,
कोई भी लडाई,
खुद से लडने को।
©️rajhansraju
©️rajhansraju
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(3)
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Post : 16 October 2019
After Ram Mandir judgment
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सुना है वह महज अफवाह थी
सच में ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था .
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➡️(5) (9) (13) (16) (20) (25)
(33) (38) (44) (50)
तश्वीर
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सुनते आए हैं,
एक तस्वीर,
हजारों शब्द की बात,
एक नजर में,
कह देती है,
कहानी गढ़ने की,
बेपनाह आजादी,
हर शख़्स को दे देती है,
फिर ए क्यों कह दूँ,
इसका मतलब यही है,
जब हर आदमी अपने,
किस्से में यकीन रखता हो,
चलिए एक दूसरे को,
कोई कहानी सुनाते हैं,
कुछ लम्बी हो,
तो अच्छी है,
नहीं तो,
कोई बात नहीं,
आज नयी गढ़ते हैं,
थोड़ी-थोड़ी रोज सुनते हैं,
बस यूँ ही,
मिलते रहना है,
बातचीत का सिलसिला,
बनाये रखना हैं
©️rajhansraju
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(4)
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जय राम जी
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May 2020
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अभी तो सिर्फ नींव भराई देखकर,
ए हाल है,
आगे-आगे देखिए होता क्या है?
जैसे-जैसे मंदिर का भव्य रूप,
आकार लेने लगेगा,
जिन्होंने सर्वस्व न्यौछावर किया है,
राम नाम के शिवा,
जिनके पास कुछ नहीं है,
जो राम के वानर हैं,
सोचिए उनसे कोई कैसे लड़ेगा?
खैर उन पर आरोप शुरू हो गए हैं,
और आगे न जाने कितने लगेंगे,
अच्छा है,
यहाँ सब वानर और गिलहरी हैं,
जिनके पास सिर्फ राम हैं,
और कुछ नहीं है,
जो कुंदन है
वो आग से क्यों डरेगा,
गौर से देखें
यहाँ तो आग भी नहीं है,
धुआँ-धुआँ कह रहे हैं,
जबकि आँख बंद है,
©️rajhansraju
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आइए जगजीत सिंह जी की
गजल "मैं नशे में हूँ" सुनते हैं
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⬅️(16) Mera Bharat********************
सुना है वह महज अफवाह थी
सच में ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था .
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मौन संवाद भी होता है
ReplyDeleteइस दुनिया को,
ReplyDeleteआबाद रखने की यही शर्त है,
इसका खारापन सोखने को,
हमारे पास,
एक समुंदर हो।
तुम रोशनी लेकर
ReplyDeleteयूँ रात में
क्यों फिरते रहते हो
भला कौन खो गया है
जिसकी तलाश में
अंधेरे से लड़ते रहते हो
यह रोशनी कितनों को
रास्ते पर ले आएगी
इसका अंदाजा तो नहीं है
मगर तुम कहां हो
यह सबको बता देगी।