Astitv। existence-being real
अस्तित्व
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अभी-अभी कहीं और से,
उखाड़ के रोपा है,पौधा हरा है,
जड़े बची है,
सुबह देखना, मुरझाई पत्तियाँ,
कैसे अँगड़ाई लेती हैं,
ऐसे ही जिन्दगी के,
ऐसे ही जिन्दगी के,
तमाम जख्म भर जाते हैं
नया सवेरा, नई रोशनी,
नई बात बता जाती है,
कोई कुछ नहीं कहता,
कहानी खुद ही अपनी,
दास्ता कह जाती है,
दास्ता कह जाती है,
अगर उसमे कुछ भी बचा होगा,
वह उठेगा नया घरौंदा,बना लेगा,
मिट्टी में जड़ जमा लेगा,
फिर पतझड़ में पत्तियाँ गिरेंगी,
तब तक वह पेड़ बन चुका होगा..
rajhansraju
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धीरे-धीरे मचल ऐ दिले बेकरार
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rajhansraju
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धीरे-धीरे मचल ऐ दिले बेकरार
दीवाली
न जाने कितने बरस बीत गए,
वह अपनी जद्दो-जहद में उलझा रहा,
खाने-कमाने का,
वह अपनी जद्दो-जहद में उलझा रहा,
खाने-कमाने का,
न खत्म होने वाला सिलसिला,
कुछ,
फिर और पाने कि इच्छा,
यूँ ही वक्त का बीतते जाना,
और कुछ भी न समेट पाना,
थककर कहीं गुम हो जाना,
अनायास ही,
अतीत की पगड़ंड़ी की तरफ,
लौट जाने की,
नाकाम कोशिश,
न जाने कब खत्म हो यह वनवास?
वह तो चौदह वर्ष में ही लौट आए थे,
पर! क्यों नहीं खत्म होता,
ईंट-पत्थरों में फंसे,
अनगिनत लोगों की यात्रा,
शायद! आज़ की रात,
कोई दिया जलता होगा,
घर से दूर गए,
कुछ,
फिर और पाने कि इच्छा,
यूँ ही वक्त का बीतते जाना,
और कुछ भी न समेट पाना,
थककर कहीं गुम हो जाना,
अनायास ही,
अतीत की पगड़ंड़ी की तरफ,
लौट जाने की,
नाकाम कोशिश,
न जाने कब खत्म हो यह वनवास?
वह तो चौदह वर्ष में ही लौट आए थे,
पर! क्यों नहीं खत्म होता,
ईंट-पत्थरों में फंसे,
अनगिनत लोगों की यात्रा,
शायद! आज़ की रात,
कोई दिया जलता होगा,
घर से दूर गए,
उन मुसाफिरों के लिए,
जिन्हें लौट के आना था,
अपने घर,
जो न जाने कहाँ खो गए,
खुद की तलाश में।
शायद! याद आ जाए,
यह सोच कर,
एक दिया कहीं भी,
यूँ ही रख दें,
जो किसी के,
घर लौटने का....
rajhansraju
जिन्हें लौट के आना था,
अपने घर,
जो न जाने कहाँ खो गए,
खुद की तलाश में।
शायद! याद आ जाए,
यह सोच कर,
एक दिया कहीं भी,
यूँ ही रख दें,
जो किसी के,
घर लौटने का....
rajhansraju
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गुलज़ार जी की नज्म
पानी पानी रे..
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गुलज़ार जी की नज्म
पानी पानी रे..
कोशिश
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ऐसी कोशिश
ताउम्र होनी चाहिए,
ताउम्र होनी चाहिए,
कोई कुछ भी कहे
कोई फर्क न पड़े .
कोई फर्क न पड़े .
औरों जैसा होने की चाहत न रहे ,
इस दौड़ से दूर,
एक मुकाम हो,
एक मुकाम हो,
अपनी कुछ अलग पहचान हो .
कुछ अजीब लोग भी
इस दुनिया को चाहिए ,
इस दुनिया को चाहिए ,
जो महसूस करें हर दर्द,
हर आह को,
हर आह को,
अपने से परों की भी परवाह हो,
बिना कहे बिना सुने,
किसी को देख के,
मुस्करा देना,
किसी को देख के,
मुस्करा देना,
थोड़ी देर रुक जाना,
साथ बैठ जाना .
साथ बैठ जाना .
अनजाना सा कुछ बाँट लेना,
साथ होने का भरोसा,
साथ होने का भरोसा,
एहसास अपने पन का,
कितना कुछ दे जाता है .
कितना कुछ दे जाता है .
एक पल में भरोसा-प्यार,
और न जाने क्या-क्या.
और न जाने क्या-क्या.
अनकही बातें भी समझ ली जाती हैं,
एक दिलासा दे जाती हैं,
एक दिलासा दे जाती हैं,
किसी के पास चुपचाप,
यूँ ही बैठे रहें,
यूँ ही बैठे रहें,
बिना शब्दों के,
खुद का एहसास होने दें .
खुद का एहसास होने दें .
कुछ देर के लिए दुनिया का
गुणा-गणित भूल जाएं
गुणा-गणित भूल जाएं
दुनिया को खूबसूरत,
निगाहों से देख पाएं,
निगाहों से देख पाएं,
किसी के काम आए,
इसी में सकूं पाएं,
इसी में सकूं पाएं,
शिकवा शिकायत की आदत भूल जाएं ,
एक कोशिश,
यह भी करें ,
यह भी करें ,
औरों के खुश होने पर,
हम भी खुश हो जाएँ
rajhansraju
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rajhansraju
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दीपक
हर अँधेरी राह में,
एक छोटा सा दीप जलाएँगे,
प्यार की तेल बाती से,
एक नया सूरज उगाएँगे.
वह सबके हिस्से आएगा ,
अपनी रोशनी घर-घर ले जाएगा .
जब दीप से दीप मिल जाएँगे ,
यह सूरज थोडा बड़ा हो जाएगा .
आज अमावास की बेला में ,
सबको यह जगाएगा.
उमंगों और खुशियों को लपेटे ,
बड़ी सुबह उठ जाएगा .
हम सब की आँखों में ,
गुनगुनाता, हँसता ,
एक नया सवेरा ,
बस जाएगा ..
rajhansraju
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एक छोटा सा दीप जलाएँगे,
प्यार की तेल बाती से,
एक नया सूरज उगाएँगे.
वह सबके हिस्से आएगा ,
अपनी रोशनी घर-घर ले जाएगा .
जब दीप से दीप मिल जाएँगे ,
यह सूरज थोडा बड़ा हो जाएगा .
आज अमावास की बेला में ,
सबको यह जगाएगा.
उमंगों और खुशियों को लपेटे ,
बड़ी सुबह उठ जाएगा .
हम सब की आँखों में ,
गुनगुनाता, हँसता ,
एक नया सवेरा ,
बस जाएगा ..
rajhansraju
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आधा-अधूरा
आधा छूटता नहीं,
पूरा होता नहीं,
कम्बख्त,
वह भी पौना छोड़े जाता है।
अजीब तरह से सब होता है,
आधा-अधूरे को ही,
पूरा समझा जाता है,
ऐसे ही हरदम,
कुछ बचा रह जाता है।
चलते-चलते,
तमाम रस्ते गुज़र जाते हैं,
पर! यह दूरी क्यों ?
उतनी ही रह जाती है ?
फिर अधूरा ही रह जाता,
एक बनने की कोशिश में...
rajhansraju
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rajhansraju
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मैं ही हूँ
जब कभी,
कहीं तुम अकेले होना,
कहीं तुम अकेले होना,
खुद में मुझे महसूस करना.
रोने का मन करे,
उदास होना अच्छा लगे,
उदास होना अच्छा लगे,
अपनी सिसकियों में मुझे ढूँढना,
जब अँधेरे के सिवा कुछ नहीं होगा,
एक दीपक तुम्हें मिलेगा.
मेरी लौ होगी उसमे,
मै तुम्हारे लिए जलूँगा .
तुम्हारे हर एहसास कि,
छोड़ी हुई परछाइयाँ मेरी हैं.
तुम्हारा यह अकेलापन भी,
मैं ही हूँ,
तुम कहाँ,तन्हा, कभी रह सके,
तुम्हारा वजूद,
मेरे होने कि पहचान है.
तुम्हारी हर बात मेरे साथ है ,
यह सांस मेरी ही सांस है.
तुम मुझे कैसे ढूंढोगे ?
जब मै तुम्ही में रहता हूँ,
तुम्हीं में बसता हूँ.
भूलाने परेशान होने कि आदत !
पुरानी है,
वैसे हम तुम जुदा ही कब थे ?....
rajhansraju
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रुक जा रात
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rajhansraju
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रुक जा रात
गिरगिट
एक ही ड़ाल पर बैठे,
कई दिन बीत गए थे.
सोचा !
इस आलस को छोड़ा जाए,
इस आलस को छोड़ा जाए,
कुछ नए फूल,
पत्तों को परखा जाए ,
पत्तों को परखा जाए ,
कुछ नहीं तो,
एक डाल से,
दूसरी पर ही जाया जाए.
दूसरी पर ही जाया जाए.
अपना रंग भी बदला जाए,
काफी दिन हो गए,
काफी दिन हो गए,
एक डाल ही पर,
एक पत्ते के साथ रहते,
एक पत्ते के साथ रहते,
उनमे ही खो गया था,
उन जैसा हो गया था,
उन जैसा हो गया था,
इस आलस ने रंग कुछ,
पक्का कर दिया,
पक्का कर दिया,
लगता है,
एक रिश्ता बन गया,
एक रिश्ता बन गया,
पर रंग तो बदलना होगा,
जिन्दा रहने को,
नए डाल, नए पत्तों पर जाना होगा .
उन्ही के रंग में रंगना होगा .
यहाँ तो रोज़ पुराने पत्ते गिरते हैं,
नए लगते हैं,
उसे भी रोज़ बदलना होगा,
उसे भी रोज़ बदलना होगा,
जो उसकी पहचान है,
सबकी रंग में रंग जाना,
हर फूल-पत्ती में मिल जाना,
उनके जैसा हो जाना,
जिससे वह खुद को ढूंढ न पाए,
कोई उसे देख न पाए,
वैसे भी,
गिरगिट का तो स्वभाव ही है,
गिरगिट का तो स्वभाव ही है,
रंग बदलना.......
©️Rajhansraju
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आइए दिल हूम हूम-हूम करे
सुनते हैं
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➡️(14) Afwah
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➡️(12)Tanhai
तना भी दूर जाना हो,
कितनी भी भीड़ हो,
वह वैसे ही उतना ही अकेला है
🥀🥀🌹🌹🥀🥀
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(13)
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➡️(5) (9) (13) (16) (20) (25)
(33) (38) (44) (50)
©️Rajhansraju
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आइए दिल हूम हूम-हूम करे
सुनते हैं
➡️(14) Afwah
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➡️(12)Tanhai
तना भी दूर जाना हो,
कितनी भी भीड़ हो,
वह वैसे ही उतना ही अकेला है
🥀🥀🌹🌹🥀🥀
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➡️(5) (9) (13) (16) (20) (25)
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तना भी दूर जाना हो,
कितनी भी भीड़ हो,
वह वैसे ही उतना ही अकेला है
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➡️(12)Tanhai
तना भी दूर जाना हो,
कितनी भी भीड़ हो,
वह वैसे ही उतना ही अकेला है
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➡️(5) (9) (13) (16) (20) (25)
(33) (38) (44) (50)
कहते हैं कब्र में सुकून की नींद आती है
ReplyDeleteअब मजे की बात ए है की ए बात भी
जिंदा लोगों ने काही है
कुछ देर के लिए दुनिया का
ReplyDeleteगुणा-गणित भूल जाएं
दुनिया को खूबसूरत,
निगाहों से देख पाएं,
किसी के काम आए,
इसी में सकूं पाएं,