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Showing posts from March, 2023

Dukh

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 दु:ख  ****** परेशान मत हो  तुम अकेले नहीं हो बस यही बताना है अच्छा है तो कितना अच्छा होगा बुरा भी कितना बुरा होगा दोनों लम्हे कुछ आंसू और हंसी के साथ गुजर जाते हैं और फिर सब पहले जैसा वैसे ही चलने लग जाता है हमारी आदत ही कुछ ऐसी है इसलिए अपने दुखी होने और उस दुख को बरकरार रखने की एक सीमा तय करनी चाहिए और जिंदगी जिंदाबाद कहना चाहिए थोड़ा खुद को डाटना समझाना है एक-दो थप्पड़ लगाना है पर ध्यान रखना जोर से न लगे मुझे मुझसे प्यार है मेरे लिए एक कप चाय या कॉफी बहुत है इसके आगे वाला गम कम करने का जो साइंटिफिक तरीका है वह मुझे नहीं चाहिए क्योंकि मुझे होश में रहना है खुद को समझना है आज की कहानी जो एक कविता है उसी में मैं हूँ और तुम भी हो तो आओ ढूंढे कहाँ-कहाँ मैं हूँ कहाँ-कहाँ तुम हो ©️Rajhansraju 🌹🌹🌹🌷🌷 घर वापसी  *** कदमों को बस संभालते हुए पगडंडियों से गुजर जाना धीरे-धीरे ही सही रास्ते पर चलने का तरीका हम रोज सीखते हैं फिर भी पूरी तरह चलना कहाँ सीख पाते हैं कहीं पहुंचकर जब खुद को देखते हैं यहीं ऐसे ही पहुंचना था जब सोचते हैं शायद कुछ कमी रह गई मुझे अब तक सलीके से चलना नहीं आया आस पास खुद

Hindu Dharm

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  सत्य सनातन ********** हम सनातनी हैं हिंदू हैं जो सबको पूजते हैं और किसी को नहीं पूजते जहाँ कोई शर्त नहीं है किसे कैसे पूजना है  चाहे तो वह कुछ न माने  बन जाए चार्वाक  बनाए अपने नियम  अपनी सुविधा के अनुसार  जहाँ किसी को बंधन में बांधा नहीं जाता  उसे किसी खास ढांचे में  ढ़ाला नहीं जाता  क्योंकि यह तो अपनी-अपनी समझ और खोज का नाम है जो जितना खुद को खोज ले जितने गहरे उतर सके उतर ले अपनी सामर्थ्य-समझ के अनुसार अपना इश्ट चुन ले  या फिर गढ़ ले गुरु शरणागत होकर तत्वमसि से  अहम् ब्रह्मास्मि की यात्रा उसे ही करनी है या फिर उसका नाम जपकर ही भवसागर पार हो ले या फिर वह कुछ नहीं माने लड़ता रहे और मंदिर में जाकर कहे ईश्वर नहीं है इस संसार में और तुम सदैव ऐसा कहते रहो जिस पर किसी को आपत्ति ना है आओ तुम्हारा स्वागत है बैठ कर बात करते हैं  उसी को हम शास्त्रार्थ कहते हैं बस तनिक ठहरो प्रसाद सबको देना है तुम महज आहार समझ लेना मेरे लिए तुम्हारा ऐसा होना उसी की मर्जी है मुझे तुम ऐसे ही स्वीकार्य हो ऐसे ही रहो जब तक रह सकते हो अपने ज्ञान अज्ञान के साथ क्योंकि उसकी सत्ता पर कोई फर्क नहीं पड़ता  वह है कि नहीं