Mera shehar

मेरा शहर 

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कितना मुश्किल है 
खुद को बचाए रखना,
खासतौर पर उन परिंदे को
जिनमें थोड़ी गोश्त होती है,
हमारे शहर भी कुछ ऐसे ही हैं,
जो अब भी इंसान की तरह जीते हैं,
तभी तो उनके  नाम बदल जाते हैं,
और उसका कत्ल भी होता है,
उसका लहू बहता है,
मातम पसर जाता है,
उसके श्मशान बन जाने का,
शोर भी होता है,
सुना है आज वो मर गया,
जिसके जश्न की खबर भी छपी है,
वह किसी गैर मजहब,
बिरादरी का शहर था,
उसमें अब भी कुछ गोश्त बाकी है,
शायद इस वजह से,
धमाके कुछ रुक-रुक के हो रहे हैं,
दूसरे शहर के लिए नारे लग रहे हैं,
अब यहाँ पूरी खामोशी है,
कहते हैं अमन कायम हो गया,
पर वो शहर अब नहीं रहा,
कुछ भी सही सलामत नहीं है,
जो जिस्म जिंदा हैं,
वो पूरी तरह खाली है,
उनके सामने पूरा शहर मर गया,
और न जाने कितनों का,
वजूद भी खत्म हो गया,
शहर कभी तन्हा नहीं होता,
वह अपने हर,
शख्स के साथ रहता है,
तभी तो जब कोई,
किसी दूसरे शहर जाता है,
उसकी पहचान में,
उसके शहर का नाम आता है,
अब हम हर उस शहर के लिए,
दुआ करते हैं,
जो पूरा जिस्म है
जिसकी सांसे चल रही है,
उससे मिलना तो बस यही कहना,
तेरे चाहने वालों की,
अब भी कमी नहीं है,
उनके सपनों के लिए,
तेरी अब भी उतनी ही जरूरत है,
इसी उम्मीद के लिए
खुद को बचाए रखना,
जब हम मीलों सफर कर चुके हों,
फिर कभी यूँ ही मिले,
और मै हँस पडूँ,
कि हाँ!
ए मेरा शहर है
©️rajhansraju
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(२)
शहर जिंदा है

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सड़क पर आते जाते,
कुछ यूँ  हुआ कि,
आमने सामने आ गए,
दोनों जल्दी में थे।
एक का रास्ता गलत था,
पहला नाराज हुआ,
उसके गलत होने की शिकायत की,
दूसरा शरीर से मजबूत था,
भड़क गया गाली देने लगा,
जाति धरम की बात आने लगी।
तभी लगा कोई चिंगारी कैसे?
शोलों में बदलती है,
फिर हवा चलती है,
और एक पूरे शहर पर,
बदनुमा दाग लग जाता है।
अच्छा हुआ शहर वाले,
समझदार निकले
दोनों को फटकार लगायी।
ताकत का फैसला करना है,
चलो किसी अखाड़े में कर लो,
कमबख्ततों!
जो हरदम रिसता हो,
शहर को,
वो घाव मत दो,
उसे तकलीफ होती है,
क्यों कि यह शहर,
जिसमें हम रहते है,
जिंदा है।
©️rajhansraju
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(३)
उम्मीद

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 तुम्हारी ख्वाइश में,
उसी जगह,
न जाने कहाँ-कहाँ, 
घूम के आ जाता है,
उम्मीद है कि तुमने,
अब तक यह रास्ता, 
बदला नहीं होगा,
न जाने कितने लोग, 
इसी राह को तकते है,
कुछ तो देखने मिलने का दावा करते हैं,
बाकियों को तो सुनने पर ही यकीन है,
आज़ ठहर के वो तेरा दिदार कर लेगें,
इसी कोशिश मेंखुशी-खुशी,पूरी उम्र,
न जाने कब गुज़र जाती है
©️rajhansraju 
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(४)
मेरे शहर में 
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पिछले दिनों एक क़त्ल हुआ था 
हाँ ! वह लड़की थी, 
ढेरों सवाल इसलिए भी उठे थे, 
उसके सही गलत होने कि, 
ठंडी जिस्मों ने खूब चर्चा की,
सुनने में आया है, 
पुलिस ने जाँच पूरी कर ली है,
कोई कातिल अब तक सामने नहीं आया,
जिन पर शक था, सब बरी हो गए,
सभी ने एक दूसरे को शुक्रिया कहा। 
लड़की के घर वालो के पास,
कोई जवाब नहीं है,
सिवाय बेबसी के,
अब भी उसका, वैसे ही इंतज़ार,
इतना बज़ गया, 
आने वाली होगी, क्यों नहीं आयी ?
माँ दरवाज़े से लौट आती है,
अपने में ही खोयी सी,
उसकी तलाश में, 
न जाने कहाँ खो जाती है?
अखबारों के लिए, "वह" अब खबर न रही,
कल शाम ही तो नई वारदात हुई है,
इस बार कोई बच्चा था,
पहचानना मुश्किल था ,
शायद ! लड़का है??
©️rajhansraju 
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Comments

  1. कहते हैं कब्र में सुकून की नींद आती है
    अब मजे की बात ए है की ए बात भी
    जिंदा लोगों ने काही है

    ReplyDelete

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