Hundred
समुंदर
जो तुम्हारी हद और पहुंच में नहीं है
उसे बांधने की कोशिश नाहक कर रहे हो
सोच लो समुंदर बांधने निकले हो
जिसकी कोई पैमाइश नहीं है
समुंदर सच है यह जान लो
सपने देखने में कोई बुराई नहीं है
जागती आंखों को
उजाले की आदत पड़ने दो
दिन की हकीकत से
दो चार होने दो
रात आएगी और नींद भी
हसीन सपनों को वहीं रहने दो
उन सपनों कि याद
सुबह तक
बची रह जाए तो हंसना है
भूल जाए तो अच्छा है
कौन रोज याद रखे
इस खयाली दुनिया को
सच से रूबरू हो जा
सफर लम्बा है
चल अब कहीं और चलें
जब तुम नदी के किनारे बैठकर
सिर्फ दुनिया की सोचते हो
उसकी तलहटी में जा नहीं सकते
नदी दूर से कितनी समझ आएगी
जिसे सिर्फ देखकर
समझा नहीं जा सकता
उसकी अपनी एक दुनिया है
जिसे नदी ने बनाया
संभाल रखा है
जिसने जिंदगी में
कभी समुंदर देखा नहीं है
किसी ने कोई कहानी
सुना दी है समुद्र की
तुम्हें लगता है
तुम बांध लोगे उसे
मुमकिन है
मगर जगना नहीं है
सपने में सब हो सकता है
तुम समुंदर बांध सकते हो
मगर वह सपनों की ही दुनिया होगी
जिसमें मनमाफिक तुम्हारा समुंदर होगा
यह समुद्र तुम्हारे लिए अच्छा है
उसके किनारे बैठा हुआ है
समुंदर से अनजान किनारे को
समुंदर की सरहद समझता है
जैसे समुंदर की इसके दुनिया नहीं है
समुंदर कितना बड़ा है
उन्हें इस बात का
बिल्कुल अंदाजा नहीं है
समुंदर की दुनिया
कितनी बड़ी कितनी गहरी है
यह कहने की बात नहीं है
अच्छा है आदमी समुद्र को
जितना भी समझता है
उसका टापू
उसे जरूरी है
ए और है कि
सब समुंदर से घिरा है
©️ Rajhansraju
संत कबीर
*****
कबीर का होना आना-जाना
सब बहुत मुश्किल है
क्योंकि कबीर के बगैर
काम चल ही नहीं सकता
ऐसे में कबीर जब तक
दुनिया में रहते हैं
उन्हें रुसवाईयां सहनी पड़ती हैं
कबीर के जाते ही
कबीर की तलाश शुरू हो जाती है
उनका कहा सच
उस वक्त समझ में नहीं आता
वह कबीर है जो कबीर को समझता है
ऐसे ना जाने कितने कबीर आते रहे हैं
और आते रहेंगे
फिर वह अपनी बात
अपनी साखी में कहते रहेंगे
उनके शब्द जब गूंजेंगे
लोग नाराज हो जाएंगे
क्योंकि इससे पहले
उन्होंने ऐसी खरी खरी सुनी नहीं थी
ऐसा ही होता है उन्हें मालूम है
मगर क्यों कह रहे हो
इन कानों को सुनने कि आदत नहीं है
वह मीठे शब्द सुनते रहे हैं
सच से दूर हमेशा जाते रहे हैं
जब कबीर ने पहली बार उनसे कहा
यह सच तुम्हारा है
इस आइने में खुद को देखो
अब जिन लोगों को अपनी शक्ल पर
कोई शक नहीं था
वो भला आइना क्यों देखते?
जिंदगी में क्या-क्या किया है
यह भी उन्हें अच्छी तरह पता है
सही और गलत में जो फर्क होता है
किसी और से कहना भी नहीं है
क्योंकि सबको मालूम है
वह कितने अच्छे बुरे हैं
भला कौन नहीं जानता?
मगर इस सच को कैसे कह दें
क्योंकि कबीर सच्चे हो जाएंगे
उसे अपनी झूठी शान
और न जाने कौन सी इज्जत बचानी है
इसकी एक ही शर्त है
वह दूसरों पर उंगली उठाए
और आसमान पर थूके
ऐसे में कबीर का विरोध
बहुत आसान होता है
क्योंकि कबीर की यही ताक़त है
ऐसा हो ही नहीं सकता
कबीर की निंदा न है
इसके लिए तुम्हें
बस भीड़ बनना है
भेंड़ की तरह चलना है।
वह शोर मचाता फिर रहा है
आंख पर पट्टी है
जो एकदम काली
रोशनी हर तरफ है
मगर उसके लिए अंधेरा है
वो लोग जिनकी आंखें ठीक हो
उजाले से डरते हों
उनके लिए दिन बहुत मुश्किल है
कबीर को मालूम है
ए भी अफसाना
जो जाग रहे हैं उसको
जगाना नहीं है
इस भीड़ के अपने मायने हैं
हर तरफ अब कबीर के चर्चे हैं
एक दिन एक अजीब सी भेष भूषा में
थके परेशान लोग कबीर से मिले
कबीर ने ढ़ाढस बंधाया
वैसे भी वो कबीर को पहचानते नहीं थे
कबीर ने कबीर को
पराजित करने का रास्ता बताया
यह काम कोई संन्यासी कर सकता है
बस उसे ढूंढ़ना है
जब तुम्हें कोई संन्यासी मिल जाए
तो मुझसे भी मिलाना
कैसे पहचानोगे
मुझे भी बताना
कबीर को कबीर से मिलना है
चलो कबीर को ढूंढते हैं
भला कबीर का चोला कैसा होगा
किस जाति का होगा
वह कौन सा मंतर पढ़ता होगा
किस तीरथ में रहता होगा
उसके लिबास का रंग कैसा होगा
अब ए भी तय करना है
आखिर ए कौन तय करेगा
कौन कैसे करेगा संन्यासी कि पहचान ?
इसमें भी एक समस्या है
यह सामर्थ्य तनिक भी होगी जिसमें
वह संन्यास कि तरफ प्रस्थान कर चुका होगा
मौन हो चुका होगा
अपनी दुनिया में खोया
अपना आकाश समुंदर गढ़ रहा होगा
पराजित होने और करने का भाव
खत्म हो गया होगा
वह जो कबीर की वानी समझे
ढूंढने किसी को कहीं न जाए
अपनी काशी खुद बन जाए
पिंड दान का मोहताज रहे न
अवध में उसके
राधेश्याम रहे
ऐसा सतसंग करे कबीर
अंतस देखो
काहे खुद से भागे दूर
यह निज यात्रा है
और कुछ नहीं
जो कबीर को समझे
हो जाए कबीर
©️RajhansRaju
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सौ
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ऐसा सतसंग करे कबीर
ReplyDeleteअंतस देखो
काहे खुद से भागे दूर
यह निज यात्रा है
और कुछ नहीं
जो कबीर को समझे
हो जाए कबीर
©️RajhansRaju
मन तो मेरा रोशनी से भर दिया है
ReplyDeleteपर उसूलों ने अकेला कर दिया है
-अशोक रावत
बहुत मुश्किल है बंजारा मिजाजी,
ReplyDeleteसालीका चाहिए आवारगी में ।
©️निदा फ़ाज़ली
जागती आंखों को
ReplyDeleteउजाले की आदत पड़ने दो
दिन की हकीकत से
दो चार होने दो
🙏🙏🙏bhut khub👏👏👏
ReplyDeleteसभी को आभार
ReplyDeletea wonderful creation
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