Roshani
रोशनी
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एक किरण
जब गुजरती है,
किसी अंधेरे से,
वह कितना भी घना हो,
मिट जाता है,
दिया उम्मीद है,
हजारों हसरतो की,
हम भी रौशन कर ले,
अपने उसी कोने को
©️rajhansraju
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कभी छांव चाहिए,
ए हम लोग,
बड़े अजीब हैं,
जो है,
बस वही नहीं चाहिए,
आँख खोलिए,
रोज...
हमारे लिए,
एक नई सुबह है,
अब चहकने के लिए,
और क्या चाहिए..
©️rajhansraju
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(3)
अछूत
©️rajhansraju
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(2) धूप और छांव
कभी धूप,कभी छांव चाहिए,
ए हम लोग,
बड़े अजीब हैं,
जो है,
बस वही नहीं चाहिए,
आँख खोलिए,
रोज...
हमारे लिए,
एक नई सुबह है,
अब चहकने के लिए,
और क्या चाहिए..
©️rajhansraju
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(3)
अछूत
तुम कैसे हो, मै कैसा हूँ.
जीवन का रंग क्यों ऐसा है,
सबका रंग सबकी जात,
कहती है कुछ ऐसी बात,
जीवन पथ पर पर,
चलते साथ,
चलते साथ,
दूर रह जाते क्यों हाथ,
एक स्पर्श की होती चाह,
पर रंग जात आती है राह,
एक राह पर चलते जाते,
दूर कदम, मिल न पाते,
मै जीतूंगा,
मै बड़ा हूँ,
मै बड़ा हूँ,
चाहे तन्हा ही खड़ा हूँ,
न बढ़े कदम,
न बढ़े हाथ,
न बढ़े हाथ,
तन्हा कोई नहीं साथ,
जात रंग का भेद न छूटा,
अहंकार क्यों न टूटा,
मानके तुमको सूत,
बना रहा मै अछूत,
मेरी पवित्रता इतनी कमजोर,
स्पर्श मात्र से हो जाती चूर,
भागता रहा मै,
लिए जात,
लिए जात,
तुम रहे स्थिर निर्विकार,
बिना जात,
बिना रंग,
बिना रंग,
हर दम सबके साथ..
©️rajhansraju
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(४)
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➡️(16) Meta Bharat
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(४)
शोर इतना है कि सच शरमा के,
न जाने कहाँ छुप जाता है,
भरोसा कैसे करे कोई,
जब शक रहनुमाओ पर होता है।
खुद की हौसला अफजाई,
पीठ थपथपाई का गजब दौर है,
सच झूठ का मेल जो दिखता है,
सब मीडिया का खेल है।
कातिल मेरा कौन है?
इसका फैसला अब कैसे करूँ?
जिस पर सबसे ज्यादा ऐतबार था,
कहना आता हो तो,
कितना आसान है,
कुछ भी कह लेना।
इसी कहने के लिए.
एक कलाकर चाहिए,
जो किसी भी परिस्थिति में,
अपने शब्द, आकार, रंग,
आवाज, को सही तरीके से,
इस्तेमाल करना जानता है।
ए बात अलग है कि,
आमतौर पर जो तमाम तरह की,
शक्लें,
वह अपने आइने में दिखाता है,
वह हमें पसंद नहीं आती
"और तो और"
हम अपनी शक्लों को,
पहचानने से भी इंकार करते रहते हैं,
जबकि अपना चेहरा देखे,
बहुत लम्बा वक्त गुजर चुका है,
और हमारी यादाश्त,
उसी किसी लम्हें में कैद है।
वह कहता फिर रहा है,
वही एक लम्हा उसका है,
जबकि सफर तो,
लम्हों की नदी है,
जिसमें नाव नहीं,
लम्हें चलते हैं,
©️rajhansraju
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(६)
अकेलापन
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ऐसा करते है,
थोड़ी ईमानदारी से,
बात करते हैं,
कुछ सच कहते हैं,
और चुप होकर,
उसकी सुनते हैं
तो यूँ ही,
बात सिर्फ उसकी नहीं है,
बल्कि हम सबकी है,
फिलहाल वो बोल रहा है,
चलो सुनते है,
यही चलन खत्म हो गया है
कमबख्त कोई,
किसी की सुनता नहीं है
©️rajhansraju
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कितना आसान है,
कुछ भी कह लेना।
इसी कहने के लिए.
एक कलाकर चाहिए,
जो किसी भी परिस्थिति में,
अपने शब्द, आकार, रंग,
आवाज, को सही तरीके से,
इस्तेमाल करना जानता है।
ए बात अलग है कि,
आमतौर पर जो तमाम तरह की,
शक्लें,
वह अपने आइने में दिखाता है,
वह हमें पसंद नहीं आती
"और तो और"
हम अपनी शक्लों को,
पहचानने से भी इंकार करते रहते हैं,
जबकि अपना चेहरा देखे,
बहुत लम्बा वक्त गुजर चुका है,
और हमारी यादाश्त,
उसी किसी लम्हें में कैद है।
वह कहता फिर रहा है,
वही एक लम्हा उसका है,
जबकि सफर तो,
लम्हों की नदी है,
जिसमें नाव नहीं,
लम्हें चलते हैं,
©️rajhansraju
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(६)
अकेलापन
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ऐसा करते है,
थोड़ी ईमानदारी से,
बात करते हैं,
कुछ सच कहते हैं,
और चुप होकर,
उसकी सुनते हैं
तो यूँ ही,
बात सिर्फ उसकी नहीं है,
बल्कि हम सबकी है,
फिलहाल वो बोल रहा है,
चलो सुनते है,
यही चलन खत्म हो गया है
कमबख्त कोई,
किसी की सुनता नहीं है
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⬅️(18) Mera Shehar*********************
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न जाने किसकी तलाश मे पूरी उम्र गुजर जाती है
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