adhura

अधूरा 


एक बात कहूंँ
मैं कभी
मुकम्मल नहीं होना चाहता
क्योंकि मेरा अधूरापन ही
मुझे तुम्हारे साथ
बनाए रखता है
खुदा बनने की चाहत
पत्थर बना देगी
सुख-दुख का फर्क मिटा देगी
मैं हंसना चाहता हूंँ
रोना चाहता हूंँ
मुझे झगड़ना है उलाहने देना हैं
पीठ पीछे
उसके बारे में तमाम बातें करनी हैं
यही ढ़ेर सारी कमियां
मुझे इंसान बनाए रखती हैं
फिर मैं क्यों
बन जाऊं खुदा
जब जिंदगी में जिंदादिली
इसी से आती है
मैं अपनी नाकामियों का
बोझ भी उठाना चाहता हूंँ
जरा जरा सी बात पर
मुस्कुराना चाहता हूं
यह अधूरेपन के बिना संभव नहीं है
मैं क्यों पहुंच जाऊं
सबसे ऊंची जगह
जहां मेरे सिवा कोई नहीं हो
मैं अपनों के साथ रहना चाहता हूंँ
यह ताकत और ऊंचाई
अकेला कर देती है
कभी-कभी अधिक समझदारी भी
वहीं पर ले जाती है
जहां कुछ भी कहने को बचता नहीं है
फिर अपनों के साथ रहकर भी
मौन पसर जाता है
क्योंकि सब समझदार है
सब जानते हैं
एक दूसरे को समझाने की
जरूरत कहांँ रह जाती है?
सबकी अपनी दुनिया है
उसमें खोए हुए हैं
यह जिंदगी कितनी बेहतर है
बेहतरीन ढंग से चल रही है
वही अपने-अपने रास्ते
इसके सिवा कुछ भी नहीं है
सबने अपने नजरिए से
एक दूसरे को परखा
सही गलत भी साबित कर दिया है
बहुत अरसा हो गया
एक दूसरे से बात किए
हालांकि पूरा होना
किसी के लिए संभव नहीं है
और अधूरेपन के साथ जीते रहना है
एक दूसरे को ऐसे ही
हमने तन्हा छोड़ दिया है
और मान बैठे
एक दूसरे के बारे में
न जाने कौन-कौन सी बातें
वक्त अपने सफ़र पर
आगे बढ़ता रहा
हालांकि सब कुछ
वहीं वैसे ही ठहरा हुआ है
जो मोड थे जिंदगी के
अब भी वहीं रुके हुए हैं
कहने सुनने के लिए भी कुछ है
ऐसा लगता नहीं है
एक छोटा सा काम करना
जब कभी अकेले हो
लगे बेकार हो
तुम्हारे पास तुम्हारे लिए वक्त है
बस पीछे मुड़कर देखना
वह देखो वह मोड
अब भी वहीं है
बस वहां लौट नहीं सकते
हालांकि उम्र और वक्त
एक साथ चलते हैं
वक्त तो कभी
बूढ़ा पुराना नहीं होता
पर हमारी अपनी मियाद है
जो वक्त के साथ ढ़ल जाता है
वक्त अहर्निस
वैसे ही चल रहा है
हम न जाने कब ?
अर्द्ध विराम से
पूर्ण विराम तक आ गये
©️ RajhansRaju

अलविदा

काश वह चला जाता
तो
हम ऐसे नहीं रहते
कोई जाता क्यों नहीं
एक बार आने के बाद
हरदम वैसे ही बरकरार रहता है
जैसे था कभी हमारे पास
आज भी वैसे ही
वहां पर
वह बचा हुआ है
उस कोने में वैसे ही
ठहरा हुआ है
बहुत हुआ
अलविदा
अब चलता हूंँ
मुझे अकेले ही बहुत दूर जाना है
कितना बोझ रखूं
जब कुछ काम का नहीं है
तुम अपनी राह चलो
मैं अपनी चलता हूंँ
ऐसे ही कई सदियां बीत गई
सोचा मुड़कर देखूंँ
कहांँ पर हूंँ
तुमसे कितना दूर आ चुका हूंँ
उम्मीद ... शायद ...
अब तुम
कहीं नजर न आओ
पर यह क्या
तुम तो मेरे साथ चल रहे हो
मैं ही छोड़ने को राजी नहीं हूंँ
बस कहने को कुछ भी
कहता रहता हूंँ
©️ RajhansRaju

हुनर 

सबसे अच्छा सस्ता खाना
कहां मिलता है
इसका जवाब सबको मालूम है
घर में
जहां सिर्फ खाना नहीं बनता है
इसमें नोक झोंक वाले
प्यार का तड़का भी होता है
उसने आज कम क्यों खाया
कहीं भूखा तो नहीं रह गया
तबीयत तो ठीक है न
यह फिक्र हर वक्त शामिल होती है
और खाना बनाना खिलाना
मात्र कुछ भी पकाने
और परोसने भर का काम नहीं होता
उसमें भाव और भंगिमा का भी
अजब मिश्रण होता है
जो खाने को सिर्फ खाना नहीं रहने देता
उसे और भी बहुत कुछ बना देता है
यही वजह है कि हर शख्स
बचपन का स्वाद
पूरी उम्र तलाशता रहता है
और सब कुछ
उसी स्मृति में बीतता रहता है
यह रसोई
कहीं किसी चूल्हे में
आग जलने से शुरू हो जाती है
इसके लिए थोड़ा सा
हुनर और धैर्य चाहिए
क्योंकि आग सहेजना
कोई आसान काम नहीं है
और यह धीरे-धीरे
अभ्यास से ही सीखा जाता है
©️RajhansRaju

अकेला आदमी

वह आदमी
जो सबसे दूर अकेला खड़ा है
जिसे लोग जिद्दी पागल कह रहे हैं
चर्चे तो उसी के हैं
जिसे लोग गलत कह रहे हैं
जबकि जो भीड़ का हिस्सा बनकर
खुद को पूरा समझते हैं
वह बेचारा हो गए हैं
उनकी कोई पहचान नहीं है
यह भीड़ किसी एक तरफ चलती है
जहांँ कदमों के निशान नहीं होते
यह रास्ते रौंदकर बढ़ते हैं
किसी आदमी की पहचान नहीं होती
इसमें शामिल
वह बेचारा आदमी
खुद को ताकतवर समझता है
एक जैसी गूंजती आवाज को
अपनी आवाज समझता है
जबकि यह शोर है
जिसमें वह गुम हो गया है
अभी उसके हाथ में लाठी है
कल खंजर था
ऐसे ही न जाने
कल क्या होगा ?
उसने जो आग लगाई थी
वह मकान ठंडा नहीं हुआ हैं
दूर तक पानी का बंदोबस्त नहीं है
भीड़ में शामिल
हर शख्स के पास दियासलाई है
आग लगाने की ताकत
उसने भीड़ से पाई है
उसे लगता है यह घर उसका नहीं है
इसके जल जाने में
उसको भला नुकसान ही क्या है
वह तो नदी के पास रहता है
जहां पानी की कमी नहीं है
वह सारे काम निपटाकर घर लौटता है
अब अकेला है
अपना चेहरा अपना सा है
उसके चारों तरफ कोई भीड़ नहीं है
क्योंकि उसके अलावा अब कोई नहीं है
भूख है प्यास है दुख है तकलीफ है
मतलब जो सिर्फ उसकी चीज हैं
अब उसके पास है
एहसास करने का वक्त है
उसके चारों तरफ का शोर थम गया है
अब क्यों खुद की आवाज घुट रही है
मेरे पास वाली नदी कहां गई
यह वह जगह तो नहीं है
जहां हम रहते थे
वहांँ तो ऐसा विराना नहीं था
लगता है यहां भी वही एक भीड़ आयी थी
जिसमें मैं नहीं था
वह अब एकदम मौन है
कहने को कुछ बचा नहीं है
पर क्या करें वह भी तो
ऐसे ही भीड़ का हिस्सा था
सही गलत से कोई वास्ता नहीं था
यह क्या
वह अकेला आदमी अब भी वहीं मौजूद है
जिसने भीड़ बनने से इनकार कर दिया था
ऐसे ही भीड़ से दूर होकर
जब हर शख्स अपने घर गया
वह अकेला आदमी
उसे सही लगने लगा
इस भीड़ के भी अजब कायदे हैं
अब उस आदमी के साथ चल रहे हैं
उसके जयकारे लग रहे हैं
©️ RajhansRaju


सुबह होते ही
उसने आहिस्ता से
किनारा छोड़ा दिया
सब गहरी नींद में थे
कौन कब किससे छूटा
यह पता नहीं चला
©️ Rajhansraju


आहिस्ता-आहिस्ता चलकर मिलेगी मंजिल

पीछे छूट जाने का डर हमें बेचैन बनाए रखना है कई बार तो हम बस एक काम से दूसरे काम, एक इच्छा से दूसरी इच्छा को पूरा करने की ही दौड़ में लगे रहते हैं और यह भूल जाते हैं की लंबी दौड़ धीमी रफ्तार से ही पूरी की जा सकती है बात चाहतों को कम करने की नहीं है बस हमें इस तरह आगे बढ़ते रहना है कि हम वह ऊबड़-खाबड़ रास्तों में भी अपना संतुलन बनाए रख सके।


कीमती हैं आपके सपने

सपनों के बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं है इसलिए अपने सपनों की अहमियत को समझें,आपका जन्म इस दुनिया में आकर सिर्फ बेतहाशा भगाने के लिए नहीं हुआ है। ज्यादातर लोगों को अपने सपने पहचानने में परेशानी होती है क्योंकि उन्हें अपने सपने और अव्यावहारिक लगते हैं उन सपनों को साकार करने के लिए हौसले की जरूरत होती है अपने सपनों को मूर्त रूप देने के लिए समय की आवश्यकता होती है दुख की बात यह भी है कि ज्यादातर लोग जिंदा दिखते तो हैं, लेकिन वास्तव में जी नहीं रहे होते हैं।
इस हिसाब से सपने देखना रईसी वाला काम है हमारे पास मकान की किस्तें चुकाने, बड़ों की, अपनों की देखभाल करने जैसे ज्यादा जरूरी काम होते हैं तो प्रश्न उठता है कि क्या हम वास्तव में जिंदा है



क्या है वास्तविक खुशी

अक्सर लोग सोचते हैं की शानदार नौकरी चुनने के बाद उनके जीवन में शांति और ठहराव आ गया है लेकिन होता इसके विपरीत है यदि मैं अपने पिछले कम से ही खुश होता तो अभी तक शायद मर चुका होता आपको यह अजीब लग सकता है लेकिन मैं बहुत ज्यादा तनाव की स्थिति में था लेकिन मेरे सपनों ने मुझे एहसास दिलाया के खुश रहने के लिए मुझे कुछ और करना पड़ेगा इसलिए मैंने अपने मन की बात सुनी और धीरे-धीरे सारे दबाव खत्म होने लगे रफ्तार धीमी करके ही मुझे चीजें स्पष्ट दिखाई दी, हालांकि अपने सपनों के पीछे भागना बेहद झल्लाहट भरा और थका देने वाला काम है सपने साकार करने के दौरान बहुत से उतार-चढ़ाव देखने पड़ते हैं लेकिन मुझे यह भी पता है कि यदि मेरे सपने इतना महत्व रखते हैं तो आपको भी सच्ची खुशी अपने सपनों को साकार करके ही मिलेगी


रफ्तार पर नियंत्रण जरूरी

इसे थोड़ा समझना होगा क्योंकि हमें अपनी गति को कम करना है पर आगे भी बढ़ते रहना है जैसे यदि हम रोजाना कुछ देर कसरत करेंगे तो कुछ समय बाद उसके परिणाम दिखने लगेंगे इससे तनाव कम होगा और मन भी शांत रहेगा जब तनाव कम होता है तो हम बिना प्रयास के ही बेहतर महसूस करने लगते हैं जब भी मन उदास हो तनाव हो या कोई उलझन हो तो सैर पर निकल जाएं, यह नहीं कह कर रहा हूं कि तनाव दूर करने के लिए काम करना छोड़ दे बस अपनी रफ्तार पर काबू रखने का प्रयास करें।


जिंदगी खूबसूरत है

क्या आप मौलिक हैं मेरे छोटे से रेस्तरां में एक ग्राहक ने जब मुझसे पूछा तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा नहीं मैं सिर्फ एक बुजुर्ग हूंँ यह सच भी है क्योंकि 50 साल की उम्र में किसी कॉलेज जाने वाले युवा की तरह फुर्ती नहीं हो सकती असल में मैं अपने रिश्तेदार की सबसे उम्र दराज कर्मचारी हूं पिछले 3 सालों से मैं इस रेस्तरां को चल रही हूं और यह मेरी 3 साल पहले की जिंदगी से बिल्कुल विपरीत है बीते 16 सालों में मैं अपने पिता के साथ एक वित्त कंपनी चल रही थी और सब कुछ बढ़िया चल रहा था 45 साल की उम्र में मेरे पास शानदार कैरियर और खूबसूरत परिवार था। यों कहिए कि सब जरूर से ज्यादा अच्छा था अपने बीते जीवन को देखकर मैं खुद ही बहुत ज्यादा भावुक हो गई मैं सब कुछ बहुत अच्छा करने के प्रयास में इतना उलझ गई की जाने कब मेरी रफ़्तार तेज होने लगी और फिर एक दिन आया, जब मुझे थोड़ा थाम कर अपनी वास्तविकता और निर्णय का अवलोकन करना जरूरी लगा, मेरी तेज रफ्तार मुझे मार रही थी लेकिन अपने स्पेन यात्रा के दौरान मेरी सारी सुविधाएं दूर हो गई और मैं अपने अंदर बढ़तेआत्मविश्वास का अनुभव किया मेरे अंतर्मन से आवाज आई की बस अब रुक जाओ।
वैसे यह सच भी है कि मेरा काम मुझे पागल कर रहा था अंधाधुंध पैसा कमाने के बावजूद भी मेरे मन में शांति नहीं थी लेकिन आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो उन दिनों का धन्यवाद करती हूं क्योंकि मेरी उस समय ने ही मुझे अपने सत्य के साथ शांति से जीना सिखाया जब आप किसी स्थिति में उलझे होते हैं तब कोई ज्ञान की बात समझ नहीं आती क्योंकि तब आप सिर्फ सुकून भरी सांस लेने के बारे में सोचते हैं
©️सैम प्लेविंस

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यदि आप खुद को ऊंँचा उठाना चाहते हैं तो अपनी अध्यात्मिक चेतना को जागृत करना ही पड़ेगा और इसके लिए जो धार्मिक आर्केस्ट्रा होता है उससे आगे जाना पड़ेगा क्योंकि यह महज धन-बल का प्रदर्शन होता है और आप सिर्फ शोर बन कर रह जाते हैं जबकि इसके लिए भक्ति और समर्पण चाहिए जहां अध्ययन, चिंतन-मनन की आवश्यकता है, धन-बल और प्रचार से दूर रहना है, सच्चा, अच्छा और ईमानदार होना है और यह जैसे ही सोचते हैं हमें लगने लगता है कि ऐसा कैसे संभव है? जबकि हमारे बीच ही ऐसे साधक और संन्यासी होते हैं, बस हमारे पास ही वह दृष्टि नहीं होती कि हम उन्हें पहचान सके क्योंकि हमें तो खास भेष-भूषा और मेकअप किए हुए लोगों की आदत है ऐसे में कई बार हमारे बीच कोई सन्यासी न जाने कब से मौजूद होता है और हम उससे ठीक से मिल नहीं पाते और फिर अचानक से वह हमारे बीच से कहीं और चला जाता है क्योंकि संन्यासी किसी एक जगह ठहरता नहीं है, बस वह किसी पड़ाव पर कुछ समय के लिए हमारे साथ होता है, हम उसे पहचानें या न पहचानें इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता ...
©️ Rajhansraju


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Comments

  1. वक्त अहर्निस
    वैसे ही चल रहा है
    हम न जाने कब ?
    अर्द्ध विराम से
    पूर्ण विराम तक आ गये
    ©️ RajhansRaju

    ReplyDelete
  2. एक जैसी गूंजती आवाज को
    अपनी आवाज समझता है
    जबकि यह शोर है
    जिसमें वह गुम हो गया है

    ReplyDelete
  3. क्या बात है

    ReplyDelete
  4. अच्छा है

    ReplyDelete
  5. जिंदगी की कहानी ऐसे ही कहते रहिए

    ReplyDelete

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