Ishq

इश्क़ 

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वह इश्क के इजहार में,

दुनिया की हर बात कहता रहा
इश्क कैसे किया जाता है
उसका जो पैमाना है
कायदे की किताब पढ़ता रहा
इश्क पर खरा उतरना था
वह सब कुछ
बड़ी खूबी से करता रहा
इश्क को जैसे
वही बुलंदी पर ले जायेगा 
मतलब परचम फहराएगा
इसी कोशिश में
उसे लगने लगा
अब वह उसके बगैर
नहीं रह सकता
उसे कहीं और चलना चाहिए 
इसी कोशिश में एक दिन
जब वह नदी की 
आगोश में खोई हुई थी
वह तो सिर्फ नदी से
मुहब्बत करती है
उसके आसपास कौन है
इसका उसे एहसास ही नहीं था
पर! यह मोहब्बत करने वाले
कहां मानते हैं?
अपने इश्क का इजहार
पूरे अधिकार से करते हैं
उसे हर वक्त
अपने साथ रखना चाहते हैं
इसी ख्वाहिश में
उसे नदी के दामन से खींच लाया
अपने मजबूत हाथों से
बहुत दूर ले आया
मनमाफिक तरीके से
जीना चाहता है
उसकी हदें इश्क में
तय करता है
न जाने कब तलक
भागता रहा
एक ही चाहत है 
उनके दरमियां
कोई और न हो
पर! इस एक तरफा इश्क में
अक्सर जिससे इश्क का दावा
किया जाता है
उसे तो पता ही नहीं होता, 
उससे कोई इस तरह
बेपनाह मुहब्बत करता है। 
आशिक अपनी 
बेखबरी में इस तरह 
खोया हुआ है  
उसे महबूब की 
रजा से कोई मतलब नहीं है, 
जबकि वह सिर्फ नदी की है
यह किसी से छुपा नहीं है 
उसी के लिए बनी है। 
तुम्हें मालूम है
तुम्हारी मोहब्बत की कीमत
उसे क्या खोकर चुकानी होगी 
जरा गौर से देखो
जिसे तुमने
अपनी बांहों में थाम रखा है
उसकी नब्ज रुक चुकी है
तुम्हारे पास
एक ऐसी देह है
जिसे कुछ देर बाद
बर्दाश्त नहीं कर पाओगे
तुम्हारे इश्क की मियाद
बस इतनी ही है
जब तक इससे 
दुर्गंध नहीं आती है। 
अब नदी से बहुत दूर आ चुके हो
तुम्हारे इश्क की कीमत
उसने अदा कर दी है
नदी से नाता
सदा के लिये टूट गया है
अब इस बगैर सांस वाली देह का
नदी से क्या लेना
जो तुम नदी को
यूँ टूटकर, हारकर
वापस करने आए हो, 
सब जानते हैं 
नदी मना नहीं करती
उसने अपना दामन फैला रखा है
जो सबके लिए खुला है
बड़े आहिस्ता से
अपनी तलहटी के
किसी कोने में 
अपने बच्चे को छुपा लेती है।
अगर सच में
तुम्हें किसी से मुहब्बत है
तो तुम्हें यह ध्यान रखना होगा
जिसे तुम जल परी कह रहे हो
वह एक मछली है
जो सिर्फ पानी में रहा करती है
वह तभी तक खूबसूरत है
जब तक जिंदा है
जिंदा रहने की शर्त
उसके लिए यही है
वह नदी में रहे 
तुम किनारे बैठ कर
उससे जितना चाहे
मुहब्बत कर सकते हो
पर नदी से
जुदा नहीं करना 
क्योंकि उसके सांस में
नदी बहती है
बगैर नदी
वह होती नहीं है
©️Rajhansraju

********

(२) 

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खुदा से इश्क है उसको,
हरदम ए कहता रहता है,
पर! उसे खुद पर भरोसा नहीं है,
कि वह सच में,
जिससे इश्क करता है,
वो सिर्फ एक नाम है,
कि कहीं रहता भी है?
जो थोड़ी दुश्वारियोंं से,
परेशान हो जाता है,
जबकि सच ए है कि,
लोगों कि दुनिया बहुत छोटी है,
जिसमें न तो खुदा की जगह है,
और न इश्क की गुंजाइश है,
तो जो इश्क करते हैं,
उन्हें खुद पर यकीं करना होगा,
उसकी बनाई दुनिया में,
थोड़ी सी जगह ,
इश्क की खातिर रखना होगा,
जो हो रहा है,
अभी उतना बुरा नहीं है,
अच्छा होने की बहुत गुंजाइश है,
थोड़ा सा वक्त दे, धीरज रख,
क्योंकि ए काम भी,
जो इश्क करते हैं,
उन्हें ही करना है,
यकीं रख खुद पर,
नहीं तो इश्क पर,
वो खुदा तेरा है,
तूँ उससे जुदा नहीं है।
©️rajhansraju
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(३)

 हुनरमंदी

कुछ लोगों को, 
अब भी यकीन है,
नारों, प्रतीकों से कुछ नहीं होता,
फिर उनके खंडित होने पर भय कैसा?
अगर सच है तो डर कैसा?
और नहीं है तो?
फिर बचाने की फिक्र कैसी?
तूँ मुकम्मल है कि अधूरा,
ए फैसला हो जाने दे,
अब तुझे भी उसी आग से गुजरना है,
बहुत शोर मचाया करते थे,
अपनी हुनरमंदी का,
बुत तुमने भी बना लिया है,
खुद के अक्श का,
चिंगारियां किसकी हैं,
सच तो ए है,
अब ए पता चलता नहीं,
बस आग जल रही है,
उसके सर कोई इल्जाम नहीं है,
वो तो सिर्फ जल रही है,
उसे किसी से वास्ता नहीं है,
©️Rajhans Raju
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(४)

मैं 

कौन? 
यह प्रश्न किससे है?
कई बार यह समझना,
बहुत मुश्किल हो जाता है,
जो गूंजता रहता है,
सदा खुद में,
आखिर कौन हूँ?
"मैं"
सभी सवाली हैं,
फिर भला?
किसको कौन जवाब देगा
सब एक जैसे,
प्रश्न सूचक चेहरे,
जैसे सब तलाश रहे हैं,
क्या?
यह भी तो मालूम नहीं है,
पर!
कुछ तो है,
जो मिल नहीं रहा,
वह कमी जो खटकती है,
शायद! उसी की तलाश,
सबको यहाँ-वहाँ
लेकर चलती है।
 ©️rajhansraju
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⬅️(29) Dahlij
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➡️(27) Rangrez
दुनिया को हसीन बनाने का काम 
वही अपना "रंगरेज" ही तो करता है
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ए दर्द भी अच्छा है, 
ए गम भी सच्चा है, 
वो सुर्ख गुलाब की चाहत में, 
हर्ज ही क्या है? 
पर! इस मौसम पर 
इख्तियार किसका है?  
कुछ दरख्त ऐसे हैं, 
जो सिर्फ बरसात में हरे होते हैं, 
ए शबनम से इश्क करने वाले, 
पत्तियों से नाराज रहते हैं, 
जो उनके माशूक का दर है, 
वहाँ हर वक्त, 
कोई और क्यों रहता है? 
जबकि उससे मिलने का, 
बस एक छोटा सा वक्त मुकर्रर है, 
किसी पौधे के पास, 
आहिस्ता नंगे पाँव, 
नरम धूप के आने से थोड़ा पहले, 
खुदको समेट कर, 
नि:शब्द हो जाना पड़ता है। 
अब थोड़ा सा गौर से देखो
तेरे हर तरफ शबनम है 
और तूँ, 
अपनी बाँहों की हद देख, 
जितना चाहे समेट ले, 
वो तो आसमान है, 
समुंदर है, 
Rajhans Raju 
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न जा क्या है जो मुझमें, 
हर वक्त रहता है, 
मैं लाख कोशिश कर लूँ, 
तब भी, 
कहीं किसी कोने में, 
मेरा वो दलिद्दर रहता है
©️Rajhansraju 
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Comments

  1. हर रास्ता उसे के दर पर जाता है

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