haq
मुखौटा और चेहरा
है बड़ा अजीब सा
सच्ची बात है
लग रहा अजीब सा
आईना लिए
वह सामने खड़ा रहा
कोई सामने से
गुजरता क्यों भला
सबको मालूम है सच
क्यों जाहिर करे
क्या है क्या नहीं है वह,
हाल ऐसा है
यहां सभी का
चेहरा नहीं मुखौटा है
चेहरा लग रहा है बस
जो दावा कर रहा है
सच्चा और अच्छा है
वह चेहरा बेचने का
हुनर जानता है
बाजार में खड़ा है
कीमत चाहता है
न जाने कितने चेहरों से
चेहरा ढक लिया है
रोज उसका नया चेहरा है
वह शख्स दुबारा
किसी को मिलता नहीं है

बहुत दिन तक
यह खेल चलता रहा
बहुरूपियों कि कमी
कहां थी बाजार में
देखते देखते
यह कारोबार चल गया
और भी लोग
आ गए मैदान में
सबको मालूम चल गया
तूंँ वह नहीं है
जैसा सबको दिख रहा
सबकी तरह तूंँ भी
महज दुकानदार है
अब जो कह रहा
वह बड़ा अजीब है
तूंँ आदमी जैसा है,
बस आदमी नहीं है
अभी उसने रोना रोया है
क्या-क्या बुरा है
कुछ अच्छा नहीं हो रहा
जिम्मेदार कौन है
आइना नहीं देख रहा
हाथ में उसके अपनी तकदीर है
कौन कहे किससे
सबका यही हाल है
सच बोलना
आसान काम है नहीं
लेनी पड़ती है जिम्मेदारियां
जो बुरा हो रहा
देखता नहीं अब,
वह कोई आइना
न जाने कैसे कब
वह आइना हो गया
©️ Rajhans Raju
कवन जाति
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कवन जाति हो जाति बता दो
आगे ना कुछ कहना होगा
वोट कहां पर पड़ेगा किसका
ए भी क्या कहना है
हमको मालूम है
तुमको भी
खेल अनोखा जाति बोध का
सबने कसके पकड़ा है
अपनी अपनी सामर्थ्य भर
सबने देखा परखा है
गौर से देखो
किसके हाथ में किसका झंडा है
सोसल इंजीनियरिंग चल रही है
असली तिकड़म यही है
कैसे साधा जाए सबको
किसको किससे खतरा है
यह साबित करते रहना है
अपनी जाति वाले को
लठैत बनाके रखना है
उसकी गलत फहमी बनी रहे
बस यही जतन करना है
अपनी जाति वाला नेता
उसके लिए अच्छा है
भइया की सरकार बनेगी
अपना ही तब राज चलेगा
पुलिस प्रशासन की ऐसी तैसी
जैसा चाहे मैं करुंगा
हर जाति वाले का
ऐसा ही सपना है
उसकी जाति वाला गुंडा भी
उसके लिए अच्छा है
जो सत्ता में आते ही
अपनी तिजोरी भरता है
चंद दिनों में ही देखो
कैसे महल में रहता है
यह धंधा पुश्तैनी है
तुमको नहीं कुछ मिलना है
झंडा डंडा सीधा कर लो
चुनाव आ गया है
नेता जी पुचकारेंगे
कंधा भी सहलाएंगे
चंद दिनों में ही
तुम किनारे लग जाओगे
पांच साल बाद
फिर ऐसे ही दर्शन पाओगे
यही सब
ऐसे ही फिर दुहाराएंगे
और जनता भी वैसे ही
पीछे पीछे दौड़ेगी
अपनी जाति वाला है
ए क्या कम उपलब्धि है
अपना झंडा अपना डंडा
नेता ने दे रखा है
और कदमों पर अपने तुमको रखा है
जब जरूरत होगा
तुम्हारे ऊपर चढ़ जाएगा
ऐसे ही उसके चरणों में
तुम बिछते जाओगे
कसके ठोकर मारेगा तुमको
जब कुर्सी पर चढ़ जाएगा
काम उसी का होगा तब
जो चढ़ावा जढ़ाएगा
ऐसे ही गुलामों की
बड़ी जरूरत होती है
सही गलत जो न देखे
जाति को लेके अंधा हो
इससे फर्क नहीं पड़ता
वह सवर्ण, दलित, पिछड़ा हो
©️ Rajhans Raju
फासला
बीत गया सब
जैसे बीत जाता है
ढ़ल गई उम्र धीरे-धीरे
पता कहांँ चला
मुड़ के देखा फासला बहुत है
मैं जहां था
अब भी वही हूंँ
फिर क्या बदल गया
जो पहले जैसा ना रहा
यह फासला
जिसे मैं समझ रहा
वह अपनी जगह ठहरा हुआ है
या चल रहा
उसे भी ऐसा लग रहा है
वह भी ढ़ल रहा है
सुबह देखा था जिसे
वह अब भी वहीं है
बस कहीं कोई ढल गया
रात हो गई है
वह अब सो रहा
सब स्थिर है नहीं नहीं
हर पल सब बदल रहा
फासला वैसे ही बरकरार है
जो स्थिर लग रहा
वह भी अपनी गति से चल रहा
©️ Rajhans Tiwari
🌹❤️🙏🙏🌹🌹



























Bhut khub
ReplyDeleteअब मैं कुछ कहना नहीं चाहता
ReplyDeleteसुनना चाहता हूंँ
एक समर्थ सच्ची आवाज
यदि कहीं हो।