Pinjar।The Skeleton

 पिंजरा 

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(१)
अपने घर में, 
परिंदा देखकर, 
खुश होते हैं, 
उसकी आवाज में, 
आवाज मिला देते हैं, 
ए भी अच्छा है, 
जुबान नहीं समझते, 
वो दिन-रात अपने घर, 
आसमान की बातें करता है, 
तुमसे मोहब्बत नहीं है, 
ए भी कहता रहता है, 
हर बार उसके कहने का, 
कुछ और मतलब गढ़ लेते हो, 
जबकि उसकी ख्वाहिश, 
सिर्फ़ इतनी है, 
वह.... 
इस पिंजरे से आजाद, 
होना चाहता है..
©️rajhansraju
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(२)

कहनी है 

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वह खास अंदाज से अपनी बात कहता रहा,
धीरे-धीरे उसकी कहानियों पर यकीं होने लगा,
अब उसके अलावा कोई चर्चा नहीं होती,
कहानी वाला सच हर तरफ बिखरा है,
कुछ और जानने की जरूरत नहीं है
क्यों कि जो सच है,
इतना हसीन नहीं है
फिर वो ख़ाब से क्यों जागे?
और किसी के खाब को,
झूँठा कह दे?
चलो कुछ तो है,
जिसके लिए,
उसे नींद आ जाती है,
उन्हीं कहानियों के सपने,
अपने हिसाब से बुन लेता है,
ऐसे ही पूरे दिन की थकान,
बस! एक नींद से
मिटा देता है।
©️rajhansraju
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(३)

परिंदा और पिंजरा 

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आजाद बंदों को अपनी, 
एक दुनिया चाहिए
परिंदे को, पिंजरा छोड़कर,
उड़ जाना चाहिए।
पर! भूल गया है उड़ना
अब बेचारा क्या करे?
रोशनी इतनी है, 
आँख खुलती नहीं
शोर चारों तरफ है, 
कुछ सुनाई देता नहीं
भीड़ में अकेला हैं, 
कोई दिखाई देता नहीं
फिर शिकायत, 
भला किससे करे
ए रास्ता,
उसने खुद चुना है
सुनहरे
पिंजरे 
के लिए ।।
©️rajhansraju
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Comments

  1. शहर का आदमी हूँ,
    लोगों से अपनी बात कहता हूँ,
    सुनने वालों को दास्तनें बहुत भाती हैं,
    सब यही कहते हैं
    मैं कहानियां,
    बहुत अच्छी कहता हूँ..

    ReplyDelete

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