asha astha

आशा की आस्था 

asha ki  astha

माँ 

कर्मों का पुण्य है 

यह जीवन की महत्वाकांक्षा

"आस्था" की आकृति है 

या "आशा" पर भरोसा

कीचड़ में "नीरज" है 

या "राम से जीवन" है "राजकुमारी"  

या दुनिया को चलाने वाली है?  

सृष्टि की पालन करता है 

हर एहसास दिल को छूकर  

गुज़रा करता है। 

सड़क किनारे चल रहे 

उस अनाथ में भी

उसे शायद 

कुछ अपना सा दिखता है 

इसलिए हर दिन 

माँ को सलाम करता है

©️AsthaMishra 

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आस्था मिश्रा का कविता संग्रह 

आस्था कि आकृति 

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बारिश

एक बूंद का गिरकर 

ढेरों छोटी छोटी बूंदों में बदलना  

देखते ही देखते 

चारों ओर पानी ही पानी हो जाना

उन बेघर बच्चों का 

बारिश और पानी के साथ 

कनोखा रिश्ता होना 

उस अनजान से रिश्ते का 

एक बंधन में बंध जाना 

जाने या अनजाने में 

उसे खूब छेड़ना

बारिश का एक एक बूंद को 

खुद में महसूस करना 

भीगे हुए तन को जानबूझकर 

बार बार भिगोना 

उस बरसते हुए पानी में 

ढेर सारी कागज की कश्तियों को चलाना 

अपनी हर कश्ती को 

दूर तक भेजने की ख्वाहिश रखना

घरवालों से जमकर डांट सुनना

लेकिन फिर भी बारिश को देखते ही 

मन ही मन झूम उठना

सुनहरे से मौसम में 

ढेर सारे ख्वाबों को बुनना 

और बारिश की 

एक बूंद का गिरकर 

ढेर सारी बूंदों में बदल जाना

©️AsthaMishra 

09/08/2013

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मौनी अमावस्या 

पल पल बीते 

गिन -गिन बीते। 

मेला आया

सबको बुलाया

हर दिन हमने उत्साह से बताया

मौन की अमावस्या है

मौन की ही प्रार्थना है

सिर पर गठरिया लादे 

मंजिल तक पहुंचना था

रास्ते का तो पता न था

फिर भी मंजिल दिखती थी

अंजान सी जगह पर 

गंतव्य स्थान के लिए 

मार हुआ करती

मैं वही यूही चुपचाप हुआ करती थी

लोगों की आस्था को 

समझने की कोशिश किया करती थी

मुस्कुरा मुस्कुरा रास्ता 

बता कर दिखा कर खुश हुआ करती थी

उस अनजान भीड़ (ईश्वर) ने 

करोड़ों को खींचा था। 

मोक्ष प्राप्ति की प्रार्थना ने 

जीवन को सुख में आनंद दिया था। 

सभी मोक्ष प्राप्त की कामना में जुटे थे। 

प्रशासन ने भी अपनी तीर कमान कसे थे 

पूरे प्रदेश को 

हमारे जिले इलाहाबाद में रोकना जो था

इस मोड में उस मोड़ तक 

गोल गोल नचाया था। 

सभी ने बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ 

अपने कदमों को बढ़ाया था। 

हर पल कुछ नया साथ देखने को मिलता था। 

यूं ही सब कुछ सकुशल हुआ था। 

आखिर होते होते 

कुछ लोगों को इस स्टेशन पर मोक्ष मिला था

मोक्ष ने भी बड़ी श्रद्धा और इमानदारी से 

अपना कदम उन्हीं लोगों की ओर बढ़ाया था

जिन्होंने मिलकर उसे बुलाया था

और धीरे धीरे लोगों को दफनाया था

अगर देखा जाए चाँद पर भी दाग है

लेकिन फिर भी वह खूबसूरत है

तो यह तो इतने बड़े पर्व में 

कुछ लोगों की ही बात है

मौन की प्रार्थना तो सफल रही 

पर अब देखना तो यह है 

हमारी और आप की प्रार्थना.. 

©️AsthaMishra 

11/12/2013

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छोटा भाई 

कहते कहते चला गया

यूँ ही कुछ चुरा गया 

चार दिन का मोह था

फिर भी मुझे रुलाया गया

नन्हें नदी में कदमों से 

मेरे पास आ गया

प्यार से प्यार का 

एहसास करा गया 

दीदी दीदी क्या है

मुझे बहुत कुछ बताया गया। 

दिल के एक हिस्से में 

अपना भी घर बन गया। 

डांटने पर डरता था

फिर भी मेरे पास रहता था। 

कुछ भी कहने पर 

खिलखिलाकर हंसता था। 

वह भी शायद मुझसे 

थोड़ा प्यार करता था। 

©️AsthaMishra 

29/04/2013

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चौखट 

हर शाम चौखट पर एक दिया जलता है,

लौ कुछ दूर तक ही होती है,

खूब सारे विश्वास के साथ 

मंदिर में घंटियां बजा करती हैं,,

भगवान-धर्म 

और ईमान की बातें हुआ करती है,,

मन से नहीं बल्कि तन से उन्हें ढूंढा जाता है,,

हर वक्त उनसे नई फरमाइशे हुआ करती है,,

ना करने वालों को अईश्वरी 

और नास्तिक कहा जाता है,,

बड़ा ही मजेदार मुद्दा लगता है

पुजारी पूजारन को 

(जिसका पूजा में मन नहीं लगता) डाटा करते हैं,,

राक्षस पूजा नहीं करती,,

मरोगी तो नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी,,

बातों से तो ऐसा लगता है 

जैसे सबने अपनी जगह 

चित्रगुप्त जी के बगल में तय करके रखी है,,

जिंदगी को मजेदार और आसान ना बना करके,,

बड़ा ही कठिन और संघर्ष मय बना रखा है,,

चाह तो बहुत बड़ी होती है,,

लेकिन क्या ऊपर वाले (ईश्वर) के भरोसे??

वह तो सिर्फ 

जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी दे सकता है,

फिर उसकी आस क्यों??

बाकी तो हमें ही करना है,,

बिना मेहनत के तो 

एक वक्त का भोजन भी नसीब नहीं होता है,

यह तो बहुत बड़ी बात है,,,

निश्चल निस्वार्थ मन से 

उन्हें (ईश्वर)याद करके तो देख,,

सारी चीजें अपने आप आसान लगने लगेंगीं,,

पाने की आस और खोने के डर को 

भुला कर तो देख,

सबको 

कुछ न कुछ मिलेगा 

कुछ वक्त लगेगा,

सब्र का फल मीठा-मीठा 

धीरे-धीरे पकेगा

आस्थामिश्रा

11/2/2012

©️AsthaMishra

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 " मेरा क्रोस्थवेट स्कूल"

आज कुछ खास है,,

इंतजार तो बहुत था आज का,,

लेकिन बिछड़ने का साया साथ है,,

जब वह पहली बार कंधे पर बैग रखें,,

नन्हे नन्हे कदमों को आगे बढ़ाया था,,

मुस्कुराते हुए चेहरे की 

ढेर सारी शिकन के साथ 

हंसकर पांव बढ़ाया था,,

खुद को गिरने से बचाया था,,

उन कदमों को "तहशीन मैम" ने संभाला था,,

हिंदी का ज्ञान "अनुराधा मैम" ने कराया था,,

जिंदगी के संघर्ष से आगे बढ़ना 

"अनीता मैम" ने सिखाया था,,

दुनिया का मुकाबला करना 

"रेनू मैम " ने समझाया था,,

थोड़ा परेशान होने पर 

"रंजना मैम" मां जैसा समझाया था,,

ऐसे ही हमने अपना बचपन गुजारा था,,

फिजिक्स केमिस्ट्री का भारी-भरकम पाँव 

हम पर आया था,,

हमारी सारी teachers ने मिलकर बहुत संभाला था,,

जनपद से मंडल मंडल से 

राज्य स्तर पक्की प्रतियोगिता में 

प्रिंसिपल मैम ने अपने 

chatter box (मैं) को पहुंचाया था,,

बदमाशियां को डांटा  

गुस्सा कर समझाया था 

"मंजू मैम" ने,,

ना पड़ने पर थप्पड़ का एहसास कराया था 

"ममता मैम" ने,,

हर तरह की बातों को खुलकर 

प्यार से हंसकर समझाया था 

"प्रीति शिवपुरी" ने,,

एक अच्छी सी राह, 

एक अच्छी दिशा दिखाई थी 

हमारी सभी मैम ने,,

जिंदगी के मुकाम तक पहुंचना सिखाया था,,

और आखिरकार मेरी 

"शिखा मैम" ने 

इलाहाबाद best teacher का 

गौरव जो पाया था....

©️AsthaMishra

सुनहरी यादें मेरे स्कूल की मेरी टीचर की

आस्था मिश्रा

27/2/2012

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           "Mother's day"

आज मेरा एक बार फिर से जन्म हुआ,

दुनिया की सबसे बड़ी खुशी आज मुझे मिली,

मेरी बेटी मेरी बाहों में खिली,

चंद दिनों बाद मां कहकर ,,

मेरे आंचल में छिपी,,

ढूंढी तो "हैप्पी मदर्स डे" कहकर भाग गई,,

उसने कहा तो मुझे माॅ ही होगा,,

मेरे कानों की फेर ने एक नया दिन,

बना दिया होगा,,

जिस शब्द को सुनने के लिए,,

मेरे कान बरसो तरसे थे,

कुछ ऐसा ही कह 

उसने मुझे रुला दिया होगा,,

और हर दिन मेरे लिए 

खास मदर्स डे बना दिया होगा।।

©️AsthaMishra

आस्था मिश्रा

12/5/2013

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 "थोड़ी सी खुशी"

आज मैं बहुत खुश हूं,,

ना जाने क्यों?

ऐसा लगा जैसे,,

मेरी जिंदगी का मुकान,

मेरे बहुत करीब है,,

मेरे सपनों की उड़ान भी मेरे नसीब है,,

पूरे घर को मुझ पर गर्व है,,

नाक ऊंची होने के साथ मेरी बिटिया है ,,

कहने में फक्र है,,

रिजल्ट आने की खुशी और डर में,,

सब ने जाने कैसे,, 

डंडा और लड्डू को चुनते चुनते,,

आंसुओं को चुन लिया,,

मां पापा की उन भरी हुई आंखों ने 

मुझसे बहुत कुछ कह दिया,,

मेरी थोड़ी सी सफलता की खुशी ने,

मेरे साथ सबको बहुत कुछ दे दिया।।

©️AsthaMishra

आस्था मिश्रा

5/6/2013

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"प्राकृतिक दृश्य"

वह सब कुछ 

जो एक सपना हुआ करता था,,

वह बचपन में 

एक प्राकृतिक दृश्य मन में बसा करता था,,

वह पहाड़,, वह नदी, वह झील,,

वह उगता हुआ सूरज,,

उन झीलों के बीच 

एक गांव हुआ करता था,,

कुछ खूबसूरत सी 

झोपड़ियां दिखा करती थी,

तो वही!

नल के पास खड़े लोगों में 

आपस में कुछ बातें हुआ करते थी,,

वो मन भी कितना बावरा था,,

जो इन चीजों को सोचा करता था,,

वह कल्पनाएं भी कितनी खूबसूरत थी,,

जो कल मेरे सामने थी,,

कल्पनाओं की जिंदगी 

या जिंदगी की कल्पना,,

जो, कुछ पल के लिए ही सही 

पर मेरे साथ हुआ करते थी,

हर झोपड़ी की अपनी 

चमक हुआ करती थी,,

लौह कुछ दूर तक ही होती थी,,

लेकिन उजाले से रोशन 

पूरी दुनिया हुआ करती थी।।

©️AsthaMishra

आस्था मिश्रा 

(एक सुहाने सफर में प्रत्यक्ष देखा गया दृश्य)

28/6/2013

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  "सुहाना सफर"

सुबह का मौसम है,,

"स्वप्न"में "नील" आकाश है,,

"रवि"का तो पता ना हैं,,

फिर भी सबको कुछ दूर जाना है,,

मन की "आस्था" के साथ,

"साधना" की "ज्योति" को "संचित" करते हुए,,

उस "आकांक्षा" तक पहुंचना है,

जहां जगह की थोड़ी कमी है,,

फिर भी डोर बहुत लंबी है,,

लेकिन आपसी प्रेम से दुनिया बंधी है,,

महाकाल "आशुतोष" के राज्य से,, 

"शशि"की संध्या तक,,

एक ही "आशा" होती है,,

प्राचीन (प्राची),, 

पर्वत जिसे श्री कृष्ण ने 

अपनी उंगली पर उठाया था,,

ठीक वैसे ही,, 

रूप स्वरूप के पर्वत शिखर पर 

माता बसा करती हैं,,

गुड़हल "नीरज" माला 

प्रसाद देने की होड़ मचा करती है,,

सब कुछ सकुशल होने के पश्चात,,

उसी "खुशी"हाली के साथ, 

घर को लौटा करते हैं।।

©️AsthaMishra

आस्था मिश्रा

7/7/2013

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    "College"

सारे दिन खो गए हैं,,

अब ना ही किसी का डर है,,

और ना ही किसी का भय,,

अब आगे जाने क्या क्या होगा???

यहां तो सब एक दूसरे से 

अनजानो जैसा व्यवहार करते हैं,,,

हर कोई अपने लिए ही परेशान रहता है,,

और फिर लड़के लड़कियों की

चांदी ही‌ चांदी  है,,

आजादी का खूब जम कर फायदा उठाते हैं,

बन ठन कर फैशन परेड में आते हैं,,

दिन भर घूम घूम बतियाते हैं,,

बातें भी छोटी-छोटी नहीं 

बहुत लंबी लंबी हुआ करती हैं,,

फोन का सही उपयोग सदा करा करते हैं,,

जाने अनजाने में मां-बाप की विश्वास का 

गला भी घोट दिया करते हैं,,

और अपनी भाषा में सब इसी को 

"कॉलेज लाइफ" कहते हैं।

©️AsthaMishra

आस्था मिश्रा

9/11/2013

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स्कूल की मस्ती 

तुझे रोज सोचा,,

रोज याद किया,,

जाने कहां चली गई तू,,

तेरी याद रोज रोज आती है,,

भुलाना चाहूं भी तो भुला ना पाती हु,,

कहां गए वो दिन??

जब हम,,

सबसे छुप-छुपकर चोरी चोरी 

class bunk किया करते थे,, 

हर हर वक्त एक दूसरे को छेड़ा करते थे,,

हर कोई बहुत बहुत डांटता था,,

यह लड़कियां दिन भर 

ना जाने क्या करती है??

कहां गई वह खुशियां??

कहां गए वह लम्हे??

खो गई सारी बातें,, 

बिछड़ गए सारे लमहे,,

मिलने पर तो आज की बातें होंगी 

ना की कल की यादें।

©️AsthaMishra

आस्था मिश्रा

9/11/2013

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Comments

  1. सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं
    ऐसे ही लिखते रहिए
    शुभकामनाएं

    ReplyDelete

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