Love letter | एक खत लिखते हैं : let's write a letter

खत से जब खबर, 

आया-जाया करती थी

बहुत कुछ सोचने समझने का, 

मौका मिल जाता था

अब हर उस बात की, 

जिसकी खबर नहीं होनी चाहिए, 

वह सबसे ज्यादा चर्चा में रहती है, 

खत ठहरने का मौका देता था

इस बहाने जो वक्त मिलता

अक्सर उसमें संभल जाता था

शिकायतें इस ठहरन में

अपना वजूद खो दे देती थी

ऐसे ही कई बार वह खत लिखता

पर किसी को भेज नहीं पाता

क्योंकि जो शब्द आकार ले लेते हैं

वह कभी बेकार नहीं जाते

कहीं किसी कोने में ठहर जाते हैं

अचानक किसी पल, 

प्रासंगिक होकर उठ खड़े होते हैं, 

जिंहे उस वक्त समझा नहीं गया था, 

हलांकि वह उस वक्त भी, 

ऐसे ही मौजूद था, 

उसने शोर नहीं मचाया था, 

किसी पन्ने में कैद हो गया था, 

उसकी तलाश में रहने वाले, 

उसे पन्ना दर पन्ना ढूंढते हैं, 

जो कभी किसी खत का, 

हिस्सा नहीं बन पाए, 

क्योंकि खत पर, 

किसी न किसी का नाम होता है, 

जिस पर पता लिखा होता है 

जबकि उसके खत,

एकदम बेतरतीब हैं, 

किसके लिए कौन सा पन्ना है, 

यह पता नहीं चलता, 

बस इस बात का यकीन करना है 

सबके हिस्से में एक खत है

जिसका हर एक शब्द उसके लिए है

हम भी उसी पन्ने की तलाश में

न जाने कितने पन्ने पलटते रहते हैं

शायद मेरे नाम वाला खत

मुझे मिल जाए

©️Rajhansraju

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(1)

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खरीदार ने बड़ी खूबी से, 

कीमत लगाई, 

दुकानदार ने दुःखी होकर, 

थोड़ा सा चेहरा लटकाया, 

चलिए हुजूर आपकी हुयी, 

आपके लिए यही सही, 

खरीदार बहुत खुश था, 

दुकानदार उससे भी ज्यादा, 

क्योंकि खरीदार को, 

असली कीमत का अंदाजा नहीं था, 

दोनों के चेहरे खिल गये, 

दोनों ने खूब मजे लेकर, 

सहूलियत के हिसाब से, 

चालाकी की कहानी कहते रहे, 

और हकीकत से बेखबर बने रहे, 

इस अइयारी में, 

बहुत कुछ छूटता और टूटता है, 

जिसकी कद्र नहीं है, 

वह ईमान और भरोसा है, 

©️Rajhansraju 

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(2)

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आसमां अनंत है

एकदम ख्वाहिशों की तरह

जहाँ तक भी पहुंच जाओ

यह पहले जितना ही, 

दूर होता है, 

जबकि हम, 

जो बिना हद के है

उसे बे-हद करीब 

समझते रहते हैं 

©️Rajhansraju 

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(3)

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कुछ रास्ते

हर आते-जाते शख़्स को

थोड़ा आराम मिल जाए

इस ख्याल से 

किनारों को क्यारियों से भर लेते है 

जिसमें दरख्तों के आशियाने रहते हैं 

जो अपनी छांव से 

रास्ते की धूप नर्म कर देते हैं 

मुसाफिर का अंतहीन सफर

कुछ आसान हो जाता है 

©️Rajhansraju 

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(4)

********

हलांकि 

इन दिनों 

जिस रास्ते से गुजरता हूँ 

तेरी गली के जैसे ही 

मोड़ नजर आते हैं 

बहुत करीब से देखता हूँ 

रुकना चाहता हूँ 

मगर वो छांव वाला दरख़्त

नजर नहीं आता 

फिर लगा 

शायद! यह वो गली नहीं है 

जिसकी अनजानी तलाश में

मैं अब भी सफर में हूँ

वह मेरी जमीं मिलती नहीं है 

जिसके लिए मैं सफर में हूँ 

©️Rajhansraju 

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(5)

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ए जाने का सिलसिला 

हर बार भीतर 

बहुत कुछ खाली कर जाता है

ऐसे ही मैं पूरी भीड़ में 

अकेला हो जाता हूँ 

मेरा छांव छूट गया 

जहाँ सकून से बैठता था 

मेरे सभी हम उम्र

इस दौर में आ चुके हैं

जहाँ अब यह थमता भी नहीं है

बस थोड़ा ठहर-ठहर कर

हमारे यतीम होने की खबर आती है

मैं किसी से कुछ 

कह भी नहीं पाता हूँ 

©️Rajhansraju 

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(6)

********

तसल्ली है

उसने लौटकर देखा

सब सही सलामत है

घर वैसे ही खाली-खाली है

सुकून से एक लम्बी सांस ली

किसी को कोई आवाज नहीं दी

आइने के सामने से गुजरा

लगा कोई और भी रहता है

गौर से देखा बड़ी तसल्ली हुई

उसका हमनाम 

एकदम उसके जैसा है 

©️rajhansraju

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(7)

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आंसुओं की भाषा

एक रुके समुंदर की कहानी है

जो बहुत देर तलक किनारे पर ठहरा था

चांद के थोड़ा और करीब आते ही

रुकी हुई बूंदे ज्वार-भाटा बन गयी

चल पड़ी उन दरख्तों की तरफ

जिन्होंने न जाने कब से

किनारों को बांध कर रखा था

जो नमी की कमी में

मुरझाने लगे थे

उनको हरा रहने के लिए 

यह खारा पानी जरूरी है 

©️Rajhansraju 

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(8)

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जमाने की नजर में

ऊँचाई पर बैठा शख़्स

बहुत खास होता है

उसके बारे में भीड़

तमाम फैसले कर लेती है

जमीन का आदमी उसी जगह

पहुँचने के सपने देखता है

जबकि वह तन्हा है

लोगों की हसरतें देखकर

किसी तरह मुस्करा देता है 

और यह कह नहीं पाता 

वह तो जमीन की चाहता में

यहाँ पर जिंदा है 

©️Rajhansraju 

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(9)

******

मन कागज की नाव 

कहाँ तक ले जाएगी

पानी से कुछ डर-डर कर 

किनारे-किनारे चलता है 

जबकि उस पार का रस्ता, 

दरिया से गुजरता है 

एक किनारे कितना भी चल लो 

दूजा न मिलता है 

हवाओं के रुख पर भी 

सफर निर्भर करता है 

कागज की फिकर में 

कब तक इस पार रहेगा 

मन बैरागी कर ले

उस पार उतर जाएगा 

©️Rajhansraju 

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(10)

********

वह बावरी सी इश्क में 

उसके बहे जाती है

समुंदर की ख्वाहिश में

हर नदी प्यासी रह जाती है

उसके कान में हिम शिखर ने

आहिस्ता से कहा 

तूँ यहाँ कब तक ठहरेगी

तेरा घर तो समुंदर है

नदी अपने सफर पर चल पड़ी

खुद न जाने कितनी जिंदगी

तो कभी रास्ता बनाती रही

हलांकि उसने पानी का

एक भी कतरा पिया नहीं

अब समुंदर से जिसे इश्क हो

वह कतरे की परवाह क्यों करे

खुद में समुंदर जीने लगी

उसे मालूम नहीं था

समुंदर बनने की एक शर्त है 

मिठास खो जाती है 

एक मीठी नदी 

सदा के लिये 

खारा हो जाती है 

©️Rajhansraju 

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(11) 

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दुआओं की बारिश 

कुछ इस तरह हो

हर शख़्स भीगता रहे

खूबसूरत सुबह हो

मगर उस आदमी के साथ

कोई आदमी टिकता नहीं

एक बहुत बुरी आदत है

कमबख्त सच कहता है 

©️Rajhansraju 

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(12) 

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जमीं से रिश्ता बनाए रखिए 

ऊँचाई का कोई भरोसा नहीं है 

क्योंकि जिस कील की नोक पर

वह शख़्स खड़ा है

न जाने उसके नीचे कितनी

कीलें जड़ी हैं

आखिरी कील किस पर टिकी है

यह ऊपर से पता नहीं चलता है

उसको गुमान है ऊँचाई का

जबकि कीलें जंग से रिश्ता रखती हैं

ऐसे में आसमान से जमीन का रिश्ता

बहुत तकलीफ देता है

उस मलंग फकीर को देखो

जमीन से आसमान जोड़कर रखता है 

©️Rajhansraju 

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(13)

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बहुत पुराना सा,

कुछ इधर-उधर,

बिखरा रखा है,

थोड़ी सी धूल जम है,

जरा सा हाथ फेरा,

वह पहले जैसा हो गया,

थोड़ी सी अंगड़ाई ली, 

नाराजगी से पूछा, 

कहाँ थे अब तक,

मैंने खुद को कोसा,

खैर खुद से कितनी देर,

नाराज होता, 

एक दूसरे का बाजू थामा,

निकल पड़े

उसी तफरी की दुकान पर

©️Rajhansraju 

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(14)

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वह उसकी चौखट पर 

रोज दिया जलाता है 

इस रोशनी में 

उसे उम्मीद की किरण नजर आती है 

वह अपनी हार जीत 

उसी को सौंप देता है 

जीवन में अच्छा बुरा जो भी मिला है 

अब उसकी क्या प्रवाह करें 

जब दिया उसी की मर्जी से जलता हो 

तो वह किसी और से क्या कहें

©️Rajhansraju 

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(15)

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मैं तुझे खुद में, 

सुनना चाहता हूँ 

हर पल गुनगुनाना चाहता हूँ

मेरी हसरत यही है

तेरे जैसा होना चाहता हूँ 

आसमान नाप लेना चाहता हूँ 

पर क्या कहूँ 

तूँ तो आसमानी परिंदा है 

पिंजरे में कहां कब तक ठहरता है 

जब जी चाहता है 

बहुत दूर चला जाता है

©️Rajhansraju 

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(16)

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वह अपनी धुन में खोया 

न जाने क्या-क्या करता रहता है 

कुछ पूछो तो 

हर बार एक कहानी कहता है 

जिसे सुनकर हंसी आती है 

पर कुछ सोचकर  

न जाने क्यों आंख डब डबा जाती है 

यही तो है जिंदगी का 

सबसे खूबसूरत दौर 

जहां घरौंदा और खिलौनों की 

सबसे ज्यादा फिक्र होती है 

खुद के होने में 

जैसे कोई बात ही नहीं है 

वह तो दुनिया में 

खूबसूरती भरता है 

हर चीज को बेपनाह मोहब्बत से 

गले लगा लेता है 

यही वजह है 

जब कोई शख्स 

किसी बच्चे को 

खेलते देखता है 

वह भी अपने बचपन में 

लौट जाना चाहता है

©️Rajhansraju 

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(17)

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वह दूर जाने की जिद में

रोज निकलता है

सांझ होते-होते 

उसी चौखट पर खुद को पाता है

न जाने कैसे? जहाँ से चला था 

वहीं रह जाता है 

यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा है 

वह नाकाम कोशिश करता रहा है 

चौखट में भी सांकल नहीं लगती 

मकान का दरवाजा बड़ा बेबस हैं 

उसे घर की पहरेदारी करनी हैं 

हर दस्तक यहीं से गुजरती है 

उसने आहिस्ता से हाथ रखा

पूरा दरवाजा खुल गया 

वह आहट अच्छी तरह पहचानता है 

©️Rajhansraju 

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(18)

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अल्फाज़ कम नहीं हैं तेरे पास

और गहराई में उतरता भी है

पर तलाश तेरी 

तुझको ठहरने नहीं देती

फिर नदी को रोकना

अच्छा भी तो नहीं

मगर नदी को 

किनारों की हिफाजत करनी है

यह जिम्मेदारी उसे ही समझनी है

उसे बहना है

जरा आहिस्ता-आहिस्ता 

©️Rajhansraju 

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(19)

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दुनियादारी 

बगैर सिक्के के नहीं चलती 

जब उसे यह इल्म हुआ

तबसे वह पोशाक में 

कोई जेब नहीं रखता 

बगैर सिले कपड़े पहन कर

किसी कब्र में 

बड़ी बेफिक्री से सोता है 

यहाँ न कोई जागता है

न जगाता है

मुर्दों की नींद

कभी टूटती नहीं है 

©️Rajhansraju 

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(20)

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लिखना चाहूँ

एक ऐसी कहानी 

या फिर एक ऐसी कविता 

जो पूरी हो

पर आजतक वो कहानी

मैं ढूंढ नहीं पाया 

जिसे पूरा आकार दे पाता

मेरी हर कविता अधूरी रहती है

जिसे पूरी करने की कोशिश में

एक नई अधूरी कविता लिखता हूँ

यह अधूरापन एक तलाश है

शायद कुछ पूरा बन जाए 

इस कोशिश में रोज 

कुछ आधा-अधूरा गढ़ता रहता हूँ 

©️Rajhansraju 

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(२१)

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आधा तुम आधा हम

आओ वहीं चलते हैं

उन पगडंडियों के सहारे

जहाँ दूर कोई मुकाम नजर नहीं आता

हम सिर्फ चलते रहें

एकदम वक्त की तरह

जो सिर्फ सफर करता है

जिसे कौन मुसाफिर है

और रास्ते कहाँ ले जाएंगे

इस बात से बेखबर

अपने पहिए पर सवार

बस चलता रहता है

वैसे ही हम एकदम अधूरे

बेखबर अनजान 

एक दूसरे से बिना कुछ पूछे 

चलते रहें 

बस एक दूसरे के साक्षी हों 

बिना किसे उम्मीद के 

अनंत यात्रा के मेरे अधूरी साथी 

एक दूसरे के सारथी बन जाते हैं 

शर्त यही है कि किसको 

कौन, कहाँ ले जा रहा है 

इसका पता दोनो को न हो, 

अनंत की यात्रा का यही नियम है 

जहाँ सिर्फ चलना है

और अधूरा रहना है 

©️Rajhansraju

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Comments

  1. ये जो है बचपन के आंसू होते हैं
    ये बहुत जादू वाले होते है
    ये जब भी निकलते हैं तो
    कुछ ज्यादा ही दे जाते है
    ये जो समुद्रर कही ये आशूओ का
    घर तो नहीं... घर तो नही

    ReplyDelete

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