आत्महत्या | Killing oneself

खुदकुशी 

वैसे भी, 
यहां हमेशा के लिए कौन आया है, 
फिर किसी को मार देना, 
या खुद को मार लेना, 
अच्छा तो नहीं है, 
एक न एक दिन, 
यह जिंदगी, 
खुद ही खत्म हो जाती है, 
क्योंकि सदा के लिए, 
कोई यहां रहता नहीं है, 
फिर इसको ऐसे खत्म कर देना, 
अच्छा नहीं है, 
वजह कुछ भी हो, 
तुम्हें हो सकता है, 
वाजिब लगती हो, 
अब कोई रास्ता नहीं है, 
यही सोचा हो, 
पर यकीन मानो, 
यह रास्ता ठीक नहीं है, 
रोज हादसे होते रहते हैं, 
जिंदगी का कोई मोल नहीं है, 
माना जीना इतना आसान नहीं है, 
पर यह बात तो सबको मालूम है, 
इसमें कुछ नया तो नहीं है, 
जिंदगी बड़ी मुश्किल से चलती है, 
जिसमें सिर्फ रोटी की, 
जरूरत नहीं होती है, 
सवाल केवल रोटी का हो, 
बस जिंदा रहना हो, 
तब किसी को दिक्कत नहीं है, 
पर ऐसा होता नहीं है, 
और भी बहुत कुछ है, 
न जाने कौन सी कमी, 
कब अखरने लगती है, 
सब कुछ के बीच, 
अनायास एक उदासी चली आती है, 
तन्हाई घेर लेती है, 
अच्छा लगने का सिलसिला, 
थम सा जाता है, 
आदमी थकता है, हारता है, 
अपनी ही उम्मीदों पर, 
खरा नहीं उतर पाता है, 
मगर उसकी जिंदगी से, 
ऐसी दुश्मनी ठीक नहीं है, 
उसे खत्म करना, 
बिल्कुल भी अच्छा नहीं है 
कोई और मार दे, 
या खुद ही खुद को मार ले, 
इस तरह से जाना भला, 
किसे अच्छा लगता है, 
तुम्हें मालूम है, 
यह जिंदगी, 
सिर्फ तुम्हारी नहीं है, 
इसके साथ बहुत सारे लोग जुड़े हैं, 
और जब कोई मरता है तो, 
वह अकेले नहीं मरता है, 
उसके साथ, 
तमाम रिश्ते-नाते भी मर जाते हैं, 
एक सन्नाटा बड़ी खामोशी से, 
अंदर पसर जाता है, 
सबके अंदर थोड़ा-थोड़ा, 
कुछ मर जाता है, 
यकीन मानो यह कभी भरता नहीं है, 
टीस देता है, 
बहुत चुभता है,
वजह यही है कि वह,
पूरी तरह कभी मरता नहीं है। 
उस पेड़ को देख रहे हो ना, 
वह जब सूख जाता है, 
या काटा जाता है, 
उसकी कमी खटकती है, 
बहुत साल तक एक ही जगह, 
यह ठहरा हुआ था, 
तब जाकर पेड़ बना था,  
जानते हो जिंदगी की अपनी मियाद है, 
बगैर किसी कोशिश के, 
हर शख़्स चला जाता है, 
क्योंकि सदा के लिए, 
यहां रुक नहीं सकता है, 
जाना पड़ता है, 
जिस पर अपनी मर्जी नहीं चलती, 
हादसे भी रोज होते रहते हैं,  
किसी को शिकायत भी नहीं करनी पड़ती, 
तो फिर ऐसी दुश्मनी खुद से क्यों? 
जिसमें खुद को ही मारना पड़ता है, 
माना तुम्हारे पास मुश्किलें बहुत थी, 
जिंदा रहना इतना आसान काम नहीं है, 
जब कभी ऐसी उलझन हो, 
कुछ फैसला करना हो, 
देख लिया करो अपने आसपास, 
ऐसे ही चल दिया करो सड़क किनारे, 
कुछ गुमसुदा सा बिना पहचान के, 
मुफलिसी में रहते लोगों को, 
गौर से देखना है, 
बस! जरा सा ठहर कर, 
कैसे जिंदगी चलाते हैं, 
बिना कुछ के, 
वह जानबूझकर मरते नहीं है, 
उनको किसी से शिकायत नहीं है, 
जिनके पास कुछ नहीं है, 
दुनिया का सारा बोझ, 
यही तो उठाते हैं, 
वैसे इस हत्या को, 
आत्महत्या कहा गया है, 
वास्तव में तुमने खुद का कत्ल किया है, 
जिसकी पूरी सजा मिलनी चाहिए, 
यह ऐसा मुकम्मल अपराध है, 
जिसके पूरा होने के बाद, 
अपराधी बच निकलता है, 
उसे कोई सजा नहीं मिलती, 
तुमने यही रास्ता चुना, 
तुम शातिर निकले, 
हत्या का अपराध किया है, 
और बहुत दूर चले गये हो, 
मैं तुमको क्या कहूँ, 
तुमसे सहानुभूति रखूँ, 
या  नफरत करूँ, 
मुझे समझ नहीं आता, 
ए तो सबको मालूम है, 
जिंदगी की डोर, 
बहुत कमजोर होती है, 
न जाने कब किससे छूट जाती है, 
मगर यह डोर आहिस्ता से, 
पकड़ में हो तो, 
जिंदगी चलती रहती है, 
कितना भी बुरा दौर हो, 
उसके बाद भी, 
कुछ न कुछ कुछ होने की, 
संभावना बनी रहती है, 
खुद से इतनी उम्मीद करना, 
भी अच्छा तो नहीं है, 
कोई हर चीज़ पर खरा उतरे, 
यह मुमकिन नहीं है,
तूँ आदमी है, खुदा तो नहीं है। 
नाकाम होने में कुछ नया नहीं है 
ए हसीन कहानियों का दौर है, 
जिसे कुछ वक्त के बाद, 
तुझे कहना है, 
दुखी होना, 
टूट जाना उसी का हिस्सा है 
जिंदगी ऐसे ही चलती है, 
लम्हों के साथ धीरे धीरे, 
पूरी उम्र गुजर जाती है, 
वह लम्हा-लम्हा इस तरह जीता है, 
हर बात पर बेवजह हंस देता है, 
अपनी नाकामियां बड़े शौक से, 
सहेजता रहता है 
©️Rajhans Raju

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(2)

कत्ल 


यह क़त्ल का सिलसिला नया नहीं है, 
जगह कौन सी थी, 
कौन मारा? किसने मारा? 
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, 
वह अब हमारे बीच नहीं है, 
बात यही सही है, 
यह सदियों से होता आया है, 
मरने-मारने का सिलसिला चलता रहा है, 
हलांकि मौत के बाद, 
तमाम तरह के जिक्र होते हैं, 
क्यों और कैसे की कहानियां, 
हर जगह कही जाती हैं, 
पर किसी भी हालात में, 
किसी का मरना अच्छा नहीं है, 
पर क्या कहा जाए, 
यह सिलसिला थमता नहीं है, 
लोग मर रहे हैं, 
कोई बता रहा था, 
वह फला जाति, नस्ल, 
मजहब का आदमी था, 
इसलिए मारा गया, 
पर मौत को कहां पता था,
उसकी जाति कौन सी है, 
उसका रंग क्या है, 
मारने वाला भी, 
किसी ने किसी जात का होता है, 
वह भी एक दिन मरता है, 
तो मरने का सिलसिला, 
कभी खत्म नहीं होता है, 
मगर इस तरह से मरना, 
अच्छा नहीं है, 
जो भी यहां आता है, 
उसको एक उम्र मिली है, 
जिसे वह जीता है, 
फिर इस जहां से रुखसत हो लेता है, 
इस रुखसती का तरीका, 
जब कोई किसी और तरीके से, 
तय कर देता है, 
तब वह क़त्ल बन जाता है, 
यह काम वह खुद भी करता है, 
जब अपने को मार लेता है, 
तब इस कत्ल को, 
हम खुदकुशी कहते हैं, 
हालांकि यह भी अपराध है, 
बस किसी और की, 
जरूरत नहीं पड़ती है, 
वह अपना कातिल खुद है, 
फिलहाल कुछ भी हो, 
इस तरह से मरना अच्छा नहीं है, 
क्योंकि मरने के बाद, 
किसी की वापसी संभव नहीं है, 
ऐसे में हर हाल में, 
इस कत्ल को टाला जाना चाहिए, 
हालात कितने भी बुरे हों, 
कोई और रास्ता निकालना चाहिए,
वह आदमी कैसा भी हो,
बातचीत करना चाहिए,
क्या पता वह कुछ और हो,
हमारी कहानी से मेल न खाता हो
किसी दूसरे रंग या शक्ल में,
पता चले मेरा ही अक्स हो, 
जबकि मैं कहानियों से घिरा हूँ, 
जो किरदार सच में सामने है, 
उससे मिलता नहीं हूँ, 
यह कहानी गढ़ना एकतरफ़ा नहीं है 
वह भी मेरे बारे सुनी-सुनाई, 
कहानियां कहता है, 
जिसका मुझसे मतलब नहीं है, 
ऐसे ही कहानी का डर, 
हर आदमी को डराता है, 
जबकि भीड़ बहुत है, 
मगर सब एक जैसे हैं, 
ए पता करना मुश्किल नहीं है, 
थोड़ी देर साथ बैठना, 
बातचीत करना है, 
यह मुश्किल हर जगह आ रही है, 
यूँ ही बेवजह घंटों बातें करना, 
एक दूसरे का हाल पूछना, 
चलन से दूर होता जा रहा है, 
सब बहुत खामोश रहते हैं, 
घरों में जब बहस नहीं होती, 
समझ लो खुलके बातचीत नहीं होती, 
रूठना, मनाना, गुस्सा दिखाना, 
अपने पन की निशानी है 
किसी बहाने, 
हाल पूछते रहना जरूरी है 
ऐसे वह थकता नहीं है
अभी बहुत कुछ कहना है, 
मिले तो बताता हूँ, 
जिसके पास कहने सुनने को, 
कुछ दोस्त हैं, 
उसको उलझनों से निकलने में, 
कोई परेशानी नहीं होती 
वह अपना चेहरा, 
बड़ी आसानी से देख लेता है, 
एक दम बड़ी वाली परेशानी से 
कोई पहले ही निपटकर आया है 
उस वक्त रास्ता मैंनें ही बताया था 
अब सब मिलकर हंसते हैं 
आगे क्या होना है सबको पता है 
परेशानियों का हल यही है 
थोड़ा सा बातचीत करना है 
चंद दोस्त बनाना है।
©️Rajhansraju 


*******************
(3)

शहीद 

**********
थोड़ा-थोड़ा करके,
बड़े जतन से,
एक माँ ने बच्चे को पाला,
थोड़ा सयाना हुआ,
फौज की वर्दी बहुत खिलती है,
बहुत जज्बाती है,
वतन और माँ में फर्क़ नहीं करता,
उसकी छुट्टी मंजूर हो गई थी,
घर आना था,
तभी सीमा पर सियासत गरमाने लगी,
लकीर की जिम्मेदारी,
दोनों तरफ की माँ ने सभाला,
क्योंकि कीमत उसे ही चुकानी है,
बेटा पहली बार,
इतने लोगों को लाया है,
कुछ बोलता नहीं,
अंतहीन खामोशी ओढ़ के आया है,
सारी रश्म बड़े सलीके से निभाई गई,
सीमा पर अब भी लड़ाई जारी है,
दोनों तरफ खामोश बच्चों की,
घर वापसी हो रही है,
धीरे-धीरे वह आंकड़े बन जाते हैं,
सच तो यह है,
पूरी दुनिया,
युद्ध से प्रेम करती हैं,
कोई कहे युद्ध नहीं होगा,
तो वह झूठ बोलता है,
सोचिए यह सिलसिला,
कब से चल रहा है,
थमता क्यों नहीं,
क्योंकि किसी भी युद्ध में जो मरते हैं
उनका इससे कोई वास्ता नहीं होता
इसके नियम वह तय करता है
जो कभी युद्ध भूमि में आता नहीं,
वह सियासतदार और व्यापारी है,
सत्ता का पुजारी है,
वह दुनिया के हर देश में रहता है,
किसी देश को जितना खतरा रहता है
उसकी कुर्सी उतनी मजबूत रहती है
Rajhans Raju
******************
                             ********

(4)

**********

चलो एक काम करते हैं,
वही..
लुका-छुपी वाला खेल,
याद है न..
वैसे ही खेलते हैं,
और एक दुसरे को..
ढूंढ लेते हैं,
Rajhans Raju

************

(5)

********************
वो जो कभी मिलता नहीं,
बस तलाश रहती है,
नाम उसका कुछ भी नहीं,
जिसकी आशा रहती है,
सफर दर सफर,
लोग कम होते रहे,
कुछ ने,
कुछ तो पाया,
चलो अच्छा हुआ,
कश्ती में सफर करने वाले,
अपने-अपने किनारे उतरते रहे,
वो भी क्या करते ?
जितना समझना था,
समझ लिया..
थक कर,
नदी को समुंदर
कहने लगे,
जबकि वो कुछ ही दूर था,
बेसब्र लहरें आवाज दे रही थी,
फासला चंद कदमों का था,
शायद!
वह नाव और नदी से,
थक गया था,
तभी किनारे पर,
नर्म घास दिखी,
बहुत दिनों से,
सोया नहीं था,
उसके सामने हरी वादियां थी,
अब नदी बेकार लगने लगी,
उसके होने का मतलब नहीं था,
अब यही हरे घास का मैदान
उसके लिए सारा जहाँ था।
सफर ऐसा ही है,
जिंदगी का,
सबने थककर,
कहीं न कहीं लंगर डाल दिया है,
जबकि नदी अब भी,
समुंदर को मीठा करने का,
खाब देखती है,
ए नाव भी बड़ी अजीब है,
जो पानी से बनी है,
जिसे बहने के सिवा,
कुछ आता ही नहीं है।
©️Rajhansraju

********

(6)
********
दुनिया की हकीकत
देखकर हंसी आ जाती है
तमाम चालाकियों के बाद भी
कुछ नहीं बदलता
थककर लौट आना
पहाड़ अब भी वहीं है
सबसे बड़ा दरख़्त
कहीं गया ही नहीं
बस पहले से ऊँचा होता गया
जो जड़ों से जुड़े हैं
वह आज भी मजबूती से
टिके हैं
©️Rajhansraju

*********

(7)
****************
कुएं के मेढ़क
पिंजडे में रहने वालों,
तुम्हारी ए दुनिया बहुत छोटी है।
उड़ना मत खो जाओगे,
क्योंकि दुनिया बहुत बड़ी है।।
-rajhansraju

*******

(8)
****************
न जा क्या है जो मुझमें,
हर वक्त रहता है,
मैं लाख कोशिश कर लूँ,
तब भी,
कहीं किसी कोने में,
मेरा वो दलिद्दर रहता है
©️Rajhansraju

*********

(9)

********
आँखों का क्या दोष है,
एक रंगीन चश्मा लगा है,
जिसे जैसे चाहो,
वैसे देख लो,
बस!
शीशा ही तो बदलना है।
Rajhans Raju

*******
अच्छा है
कभी-कभी अनजाने में
उसका खो जाना
अब हम
नये सफर पर निकलेंगे
कुछ भूली
कुछ याद आती
पगडंडियों के सहारे
न जाने किस सफर के लिए
किस रास्ते पर निकले हैं
©️Rajhansraju

*********

 (10)
************
इतनी शर्तों को,
कोई,
निभाए कैसे?
सच कहके,
रिश्ता,
कोई
बचाए कैसे?
दौर हो मंहगाई का,
तो कैसे?
वैसे ही चले सबकुछ,
जबकि जेब है खाली,
ए बात किसी को,
बताए कैसे?
©️ rajhansraju

******

(11)  
************
और कुछ नहीं,
सिर्फ़ खुद से,
वादा करते हैं,
इससे बेहतर बनेंगे,
और बेहतर बनाएंगे,
कोई शिकायत नहीं,
जो भी है अपना है,
बस चलते रहे,
तो कारवाँ बढ़ जाएगा,
थोड़ा धीरज रखना है,
साहस करना है,
एक दूसरे का,
हाथ पकड़कर,
साथ चलना है,
जिम्मेदारियां बहुत बड़ी है,
हर हाथ में पूरा हिन्दुस्तान है,
#rajhansraju

**********

(12)  
*********
यह तिरंगा मेरी पहचान है
आन बान और शान है
मेरी जान है 
गान है अभिमान है
खेत है खलियान है
सरसो है धान है
जवान है किसान है
मान है सम्मान है।
तिरंगा मेरी पहचान है।
मेरा जहान है आसमान है
माँ का आंचल है
आंख का काजल है
नूर की बरसात है
योग है ध्यान है
शहीद का परिधान है
एक ही अरमान है
हाथ में तिरंगा
भारत गान हो
बस इतनी पहचान हो
जय हिंद जय भारत
सदा जिन्दाबाद हो
©️Rajhansraju

**********

(13)

************
दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए
जब तक न साँस टूटे जिए जाना चाहिए
~ निदा फ़ाज़ली

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती

कुछ लोग यूँही शहर में हम से भी ख़फ़ा हैं
हर एक से अपनी भी तबीअ'त नहीं मिलती
★★★
निदा फ़ाज़ली

मरना ही मुकद्दर है तो फिर लड़ के मरेंगे,
खामोशी से मर जाना मुनासिब नहीं होगा।
मुन्नवर राणा

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना
★★★
निदा फ़ाज़ली

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है
★★★
निदा फ़ाज़ली

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो

यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
★★★
निदा फ़ाज़ली

जिंदगी के फलसफे को समझना चाहिए
रिश्ते कैसे भी हो उसको निभाना चाहिए
⭐⭐सम्राट

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं

गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम
हर क़लमकार की बे-नाम ख़बर के हम हैं
★★★
निदा फ़ाज़ली

मौसम बदले, न बदले
हमें उम्मीद की
कम से कम
एक खिड़की तो खुली रखनी चाहिए।
~ अशोक वाजपेयी

आप ने झूटा वादा कर के
आज हमारी उम्र बढ़ा दी
- कैफ़ भोपाली

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Comments

  1. तुम बहुत कीमती हो
    बस खुद को संभालने कि जिम्मेदारी
    तुम्हें ही उठानी है

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