आत्महत्या | Killing oneself
खुदकुशी
वजह यही है कि वह,
पूरी तरह कभी मरता नहीं है।
कत्ल
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शहीद
बड़े जतन से,
एक माँ ने बच्चे को पाला,
थोड़ा सयाना हुआ,
फौज की वर्दी बहुत खिलती है,
बहुत जज्बाती है,
वतन और माँ में फर्क़ नहीं करता,
उसकी छुट्टी मंजूर हो गई थी,
घर आना था,
तभी सीमा पर सियासत गरमाने लगी,
लकीर की जिम्मेदारी,
दोनों तरफ की माँ ने सभाला,
क्योंकि कीमत उसे ही चुकानी है,
बेटा पहली बार,
इतने लोगों को लाया है,
कुछ बोलता नहीं,
अंतहीन खामोशी ओढ़ के आया है,
सारी रश्म बड़े सलीके से निभाई गई,
सीमा पर अब भी लड़ाई जारी है,
दोनों तरफ खामोश बच्चों की,
घर वापसी हो रही है,
धीरे-धीरे वह आंकड़े बन जाते हैं,
सच तो यह है,
पूरी दुनिया,
युद्ध से प्रेम करती हैं,
कोई कहे युद्ध नहीं होगा,
तो वह झूठ बोलता है,
सोचिए यह सिलसिला,
कब से चल रहा है,
थमता क्यों नहीं,
क्योंकि किसी भी युद्ध में जो मरते हैं
उनका इससे कोई वास्ता नहीं होता
इसके नियम वह तय करता है
जो कभी युद्ध भूमि में आता नहीं,
वह सियासतदार और व्यापारी है,
सत्ता का पुजारी है,
वह दुनिया के हर देश में रहता है,
किसी देश को जितना खतरा रहता है
उसकी कुर्सी उतनी मजबूत रहती है
Rajhans Raju
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(4)
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चलो एक काम करते हैं,
वही..
लुका-छुपी वाला खेल,
याद है न..
वैसे ही खेलते हैं,
और एक दुसरे को..
ढूंढ लेते हैं,
Rajhans Raju
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(5)
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वो जो कभी मिलता नहीं,
बस तलाश रहती है,
नाम उसका कुछ भी नहीं,
जिसकी आशा रहती है,
सफर दर सफर,
लोग कम होते रहे,
कुछ ने,
कुछ तो पाया,
चलो अच्छा हुआ,
कश्ती में सफर करने वाले,
अपने-अपने किनारे उतरते रहे,
वो भी क्या करते ?
जितना समझना था,
समझ लिया..
थक कर,
नदी को समुंदर
कहने लगे,
जबकि वो कुछ ही दूर था,
बेसब्र लहरें आवाज दे रही थी,
फासला चंद कदमों का था,
शायद!
वह नाव और नदी से,
थक गया था,
तभी किनारे पर,
नर्म घास दिखी,
बहुत दिनों से,
सोया नहीं था,
उसके सामने हरी वादियां थी,
अब नदी बेकार लगने लगी,
उसके होने का मतलब नहीं था,
अब यही हरे घास का मैदान
उसके लिए सारा जहाँ था।
सफर ऐसा ही है,
जिंदगी का,
सबने थककर,
कहीं न कहीं लंगर डाल दिया है,
जबकि नदी अब भी,
समुंदर को मीठा करने का,
खाब देखती है,
ए नाव भी बड़ी अजीब है,
जो पानी से बनी है,
जिसे बहने के सिवा,
कुछ आता ही नहीं है।
©️Rajhansraju
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(6)
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दुनिया की हकीकत
देखकर हंसी आ जाती है
तमाम चालाकियों के बाद भी
कुछ नहीं बदलता
थककर लौट आना
पहाड़ अब भी वहीं है
सबसे बड़ा दरख़्त
कहीं गया ही नहीं
बस पहले से ऊँचा होता गया
जो जड़ों से जुड़े हैं
वह आज भी मजबूती से
टिके हैं
©️Rajhansraju
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(7)
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कुएं के मेढ़क
पिंजडे में रहने वालों,
तुम्हारी ए दुनिया बहुत छोटी है।
उड़ना मत खो जाओगे,
क्योंकि दुनिया बहुत बड़ी है।।
-rajhansraju
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(8)
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न जा क्या है जो मुझमें,
हर वक्त रहता है,
मैं लाख कोशिश कर लूँ,
तब भी,
कहीं किसी कोने में,
मेरा वो दलिद्दर रहता है
©️Rajhansraju
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(9)
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आँखों का क्या दोष है,
एक रंगीन चश्मा लगा है,
जिसे जैसे चाहो,
वैसे देख लो,
बस!
शीशा ही तो बदलना है।
Rajhans Raju
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अच्छा है
कभी-कभी अनजाने में
उसका खो जाना
अब हम
नये सफर पर निकलेंगे
कुछ भूली
कुछ याद आती
पगडंडियों के सहारे
न जाने किस सफर के लिए
किस रास्ते पर निकले हैं
©️Rajhansraju
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(10)
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इतनी शर्तों को,
कोई,
निभाए कैसे?
सच कहके,
रिश्ता,
कोई
बचाए कैसे?
दौर हो मंहगाई का,
तो कैसे?
वैसे ही चले सबकुछ,
जबकि जेब है खाली,
ए बात किसी को,
बताए कैसे?
©️ rajhansraju
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(11)
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और कुछ नहीं,
सिर्फ़ खुद से,
वादा करते हैं,
इससे बेहतर बनेंगे,
और बेहतर बनाएंगे,
कोई शिकायत नहीं,
जो भी है अपना है,
बस चलते रहे,
तो कारवाँ बढ़ जाएगा,
थोड़ा धीरज रखना है,
साहस करना है,
एक दूसरे का,
हाथ पकड़कर,
साथ चलना है,
जिम्मेदारियां बहुत बड़ी है,
हर हाथ में पूरा हिन्दुस्तान है,
#rajhansraju
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(12)
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यह तिरंगा मेरी पहचान है
आन बान और शान है
मेरी जान है
गान है अभिमान है
खेत है खलियान है
सरसो है धान है
जवान है किसान है
मान है सम्मान है।
तिरंगा मेरी पहचान है।
मेरा जहान है आसमान है
माँ का आंचल है
आंख का काजल है
नूर की बरसात है
योग है ध्यान है
शहीद का परिधान है
एक ही अरमान है
हाथ में तिरंगा
भारत गान हो
बस इतनी पहचान हो
जय हिंद जय भारत
सदा जिन्दाबाद हो
©️Rajhansraju
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(13)
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दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए
जब तक न साँस टूटे जिए जाना चाहिए
~ निदा फ़ाज़ली
दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती
कुछ लोग यूँही शहर में हम से भी ख़फ़ा हैं
हर एक से अपनी भी तबीअ'त नहीं मिलती
★★★
निदा फ़ाज़ली
मरना ही मुकद्दर है तो फिर लड़ के मरेंगे,
खामोशी से मर जाना मुनासिब नहीं होगा।
मुन्नवर राणा
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना
★★★
निदा फ़ाज़ली
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है
★★★
निदा फ़ाज़ली
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
★★★
निदा फ़ाज़ली
जिंदगी के फलसफे को समझना चाहिए
रिश्ते कैसे भी हो उसको निभाना चाहिए
⭐⭐सम्राट
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं
गिनतियों में ही गिने जाते हैं हर दौर में हम
हर क़लमकार की बे-नाम ख़बर के हम हैं
★★★
निदा फ़ाज़ली
मौसम बदले, न बदले
हमें उम्मीद की
कम से कम
एक खिड़की तो खुली रखनी चाहिए।
~ अशोक वाजपेयी
आप ने झूटा वादा कर के
आज हमारी उम्र बढ़ा दी
- कैफ़ भोपाली
➡️(56) कुछ और भी
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(57)
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➡️ (1) (2) (3) (4) (5) (6) (7) (8) (9) (10)
(11) (12) (13) (14) (15)
तुम बहुत कीमती हो
ReplyDeleteबस खुद को संभालने कि जिम्मेदारी
तुम्हें ही उठानी है