Dahlij
दहलीज ******* रोशनी और अंधेरे के बीच, एक दहलीज है, वक्त का एक लम्हा, न जाने क्यों? कब से वहीं ठहरा हुआ है, अच्छा है बाकी सभी, इस पार है, नहीं तो उस पार है, उन्हें सिर्फ रोशनी, या अंधेरे से वास्ता है, दहलीज पर वो लम्हा, अब भी रुका है, उसके एक तरफ रोशनी है दूसरी तरफ घनघोर अंधेरा है, वह दोनों तरफ, देखता और सुनता है, अंधेरे-उजाले के चर्चे, सुनता रहता है, दोनों के बीच में खड़ा, मुस्कराता रहता ©️rajhansraju ***************************** (2) Delhi to Mumbai शर्म के सिवा सब है फक्र करने की वजह क्या अब भी बची है? अब किसी के मजहब का जिक्र मत करना बेहयायी में सब एक जैसे हैं कफन ओढ ली है जमीर मरे एक अर्षा हो गया। फिर वजह का जिक्र होगा कोई सियासत, कोई मजहब का, अजीब सा वजूद गढ़ रहा होगा। ए सही है यही होगा ठेकेदार चिल्ला रहा होगा फिर जो सबसे कमजोर होगा सारा इल्जाम उसी पर लगेगा बहुत होगा कुछ देर शोर मचेगा जल्द ही बोर हो जाएंगे सब भूल जाएंगे उसी मरे ज़मीर में लौट जाएंगे। ©️Rajhansraju ******