Yatharth
यथार्थ ********* सुबह के वक़्त, नुक्कड़ की दुकान पर, काफी भीड़ थी, कई रंगों के, बैनर पोस्टर लिए लोग खड़े थे। भरपूर नाश्ता किया, दोपहर में, कहीं और खाने का प्रबंध था, शहर में एक दिन की मजदूरी, कम से कम दो सौ रूपए है, इससे कम में कोई तैयार न था, जैसे तैसे साथ में , नाश्ते और खाने से बात बन गई, बंद कराने की तयारी पूरी हुई, नए लाठी डंडे दिए गए, कुछ नए नारे तख्तियों पर लिखे, नेताजी ने क्रीज़ टाईट की, कुछ ने कुरता-पजामा, तो कुछ ने चमचमाती, सफ़ेद पैंट शर्ट पहनी, पैरों में बड़ी कंपनी का स्पोर्ट शू। मीडिया चौराहे पर तैनात है, नेताजी का जलूस चल पड़ा, कुछ ठेले, खोमचे वालों को हडकाया, साईकिल, रिक्शे से हवा निकाली, कमज़ोर दुकानदारों की शटर गिराई, बड़ी दुकाने ज्यादातर इन्हीं की थी, पास खड़ी गाड़ियों में, इन्हीं का सामान था। चौराहे पर, किसी ...