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Love letter

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 एक खत लिखते हैं  let's write a letter  खत से जब खबर,  आया-जाया करती थी बहुत कुछ सोचने समझने का,  मौका मिल जाता था अब हर उस बात की,  जिसकी खबर नहीं होनी चाहिए,  वह सबसे ज्यादा चर्चा में रहती है,  खत ठहरने का मौका देता था इस बहाने जो वक्त मिलता अक्सर उसमें संभल जाता था शिकायतें इस ठहरन में अपना वजूद खो दे देती थी ऐसे ही कई बार वह खत लिखता पर किसी को भेज नहीं पाता क्योंकि जो शब्द आकार ले लेते हैं वह कभी बेकार नहीं जाते कहीं किसी कोने में ठहर जाते हैं अचानक किसी पल,  प्रासंगिक होकर उठ खड़े होते हैं,  जिंहे उस वक्त समझा नहीं गया था,  हलांकि वह उस वक्त भी,  ऐसे ही मौजूद था,  उसने शोर नहीं मचाया था,  किसी पन्ने में कैद हो गया था,  उसकी तलाश में रहने वाले,  उसे पन्ना दर पन्ना ढूंढते हैं,  जो कभी किसी खत का,  हिस्सा नहीं बन पाए,  क्योंकि खत पर,  किसी न किसी का नाम होता है,  जिस पर पता लिखा होता है  जबकि उसके खत, एकदम बेतरतीब हैं,  किसके लिए कौन सा पन्ना है,  यह पता नहीं चलता,...

Killing oneself

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खुदकुशी  वैसे भी,  यहां हमेशा के लिए कौन आया है,  फिर किसी को मार देना,  या खुद को मार लेना,  अच्छा तो नहीं है,  एक न एक दिन,  यह जिंदगी,  खुद ही खत्म हो जाती है,  क्योंकि सदा के लिए,  कोई यहां रहता नहीं है,  फिर इसको ऐसे खत्म कर देना,  अच्छा नहीं है,  वजह कुछ भी हो,  तुम्हें हो सकता है,  वाजिब लगती हो,  अब कोई रास्ता नहीं है,  यही सोचा हो,  पर यकीन मानो,  यह रास्ता ठीक नहीं है,  रोज हादसे होते रहते हैं,  जिंदगी का कोई मोल नहीं है,  माना जीना इतना आसान नहीं है,  पर यह बात तो सबको मालूम है,  इसमें कुछ नया तो नहीं है,  जिंदगी बड़ी मुश्किल से चलती है,  जिसमें सिर्फ रोटी की,  जरूरत नहीं होती है,  सवाल केवल रोटी का हो,  बस जिंदा रहना हो,  तब किसी को दिक्कत नहीं है,  पर ऐसा होता नहीं है,  और भी बहुत कुछ है,  न जाने कौन सी कमी,  कब अखरने लगती है,  सब...

anything

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नजरिया  सही-गलत, अiच्छा-बुरा साथ-साथ चलते हैं नीम के कड़वे पत्ते दवा बनते हैं वह चोला पहन फकीरों का धंधे तमाम करता है आदमी अच्छा है  इस बात के नारे लग रहे हैं कोई देखता सुनता नहीं है  चारों तरफ भीड़ बहुत है।  अपने आसपास देखता हूँ  जिनके ऊपर बड़ा इल्ज़ाम है वही बेहतरीन लाजवाब है चलन है इस तरह खोटे का, कोई उसे पलटकर देखता नहीं है  सही-गलत का एक तरफा फैसला अपनी सहूलियत से करता है जबकि सब कुछ अधूरा है हर सिक्के के दो पहलू हैं एक तरफा नजरिया सही नहीं है Rajhans Raju  ******************** (2) एक बार बचपन में दरख़्त की कहानी सुनी थी  उस पर बहुत खूबसूरत फूल लगे थे  वह खुशबू आज तलक लोगों के जेहन में है उसके फूल और खुशबू की हर बुजुर्ग चर्चे करता है जैसे अब भी उसी के इंतजार  वह यहाँ ठहरा हुआ है  शायद इस बरस  दरख़्त उन फूलों से सज जाए ऐसे ही न जाने कब से  उसे तकते-तकते मैं बूढ़ा हो चला हूँ  कमबख्त इंतजार की आदत,  कुछ इस तरह बन गयी है, कह...