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Rahnuma

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रहनुमा  ********* क्या कहें और किसे दोष दें,  जिन्हें मंजर बदलना है,  वो अब भी सोए हैं,  उन्हें यकीन है,  कोई रहनुमा आएगा,  यह सोचकर  वो अपनी चादर खींच लेते है,  हालांकि..  वो पूरे जिस्म को ढकती नहीं,  पैरों को सीने से लगाकर,  खुद को समेट लेते हैं,  खुदा ऐसे बंदो के लिए,  करता भी क्या?  जिनके अक्ल पर पर्दा हो,  जिस्म जैसे,  उसी टूटी खाट का हिस्सा हो,  वर्षों से कुछ और उसने देखा नहीं,  रोशनी का सामना भला कैसे करेगा,  जो एक पुरानी मैली  सी चादर,  हटा सकता नहीं,  जिसमें लगे पैबंद की गिनती,  करना अब आसान नहीं है,  छेद इतने हैं कि उसका,  अपना कोई वजूद है,  यह भी लगता नहीं,  शायद!  कमाल उस खटिया में है,  जिसने अपने धागों में,  कोई उम्मीद बांध रखी है।  मै उस आदमी के पास से,  आँख बंद करके गुजर जाता हूँ,  मै क्यों कह दूँ रहनुमा हूँ तेरा,  खुद को तेरे हवाले यूँ ही कर दूँ,  जब खेल कुर्सी का है,  तेरी डोर कसके पकड़नी है,  तूँ बस जिंदा रहे इतनी ढील देनी है,  पर ए सच है जब,  हर बार मै अपने गिरेबान में झांकता हूँ, 

Pinjar।The Skeleton

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 पिंजरा  ******** (१) अपने घर में,  परिंदा देखकर,  खुश होते हैं,  उसकी आवाज में,  आवाज मिला देते हैं,  ए भी अच्छा है,  जुबान नहीं समझते,  वो दिन-रात अपने घर,  आसमान की बातें करता है,  तुमसे मोहब्बत नहीं है,  ए भी कहता रहता है,  हर बार उसके कहने का,  कुछ और मतलब गढ़ लेते हो,  जबकि उसकी ख्वाहिश,  सिर्फ़ इतनी है,  वह....  इस पिंजरे से आजाद,  होना चाहता है.. ©️rajhansraju ************************ (२) कहनी है  ******* वह खास अंदाज से अपनी बात कहता रहा, धीरे-धीरे उसकी कहानियों पर यकीं होने लगा, अब उसके अलावा कोई चर्चा नहीं होती, कहानी वाला सच हर तरफ बिखरा है, कुछ और जानने की जरूरत नहीं है क्यों कि जो सच है, इतना हसीन नहीं है फिर वो ख़ाब से क्यों जागे? और किसी के खाब को, झूँठा कह दे? चलो कुछ तो है, जिसके लिए, उसे नींद आ जाती है, उन्हीं कहानियों के सपने, अपने हिसाब से बुन लेता है, ऐसे ही पूरे दिन की थकान, बस! एक नींद से मिटा देता है। ©️rajhansraju *********************** (३) परिंदा और पिंजरा  ***

Alfaz

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सच्चाई  (1) तेरी आवाज से लगा,  तुझमें सच्चाई है,  पर!  तूँ जब करीब आया,  तेरे हाथ में,  किसी का..  झंडा था.. सिर्फ लब हिल रहे थे, उसमें आवाज नहीं थी, तूँ तो एक बुत निकला, जिसमें जान नहीं है, जो डोर से बंधा है, सारी हरकतें, किसी और की, महज एक उंगली, से होती है, अच्छा हुआ, तुझे, करीब से देख लिया, तूँ जिंदा नहीं है, ए पता चल गया। ©️Rajhansraju *********************** (2) सबर हम कैसे हैं? ए हमको, और उनको भी, तब पता चलता है, जब थोड़ा सा, वक्त बुरा होता है, हलांकि हमको, शिकायत बहुत है, और उनको भी, पर इस वक्त, एक दूसरे का सहारा बनना है थोड़ा सब्र कर पूरी उम्र हमें लड़ना है इसके लिए भी हमें साथ-साथ रहना है ©️rajhansraju *********************** (3) वहाँ कौन है  सुना है,  वो हर जगह रहता है उसे मिट्टी-सोने से कोई फर्क नहीं पड़ता है पूरी कुदरत वही रचता है फिर इन शानदार इमारतों में भला कौन रहता है? वैसे इन दरवाजों पर दस्तक भी जरूरी है लोगों के आने-जाने से, न जाने कितनों की, रोजी-रोटी चलती है। पत्थर तो हर जग