Posts

Saudagar

Image
सौदागर  ********* पूरी उम्र गुजर गयी,  कुछ भी समझने में,  खामोश हो गए परिंदे,  बोलते-बोलते,  बहुत है,  शाम को घरौंदे में,  लौट कर आना,  आखिर कब तक रहेगा  आसमान में,  जहाँ किसी का,  कोई ठिकाना नहीं है   वह तो सफर के लिए,  सिर्फ़ राह देता है,  वह भी अनंत,  जहाँ ठहरने की गुंजाइश नहीं है,  और तभी तक है,  जब तक सफर है,  उसकी ऊँचाई और दूरी का,  कोई पैमाना नहीं है,  इतनी भीड़ है,  बहुत तेज चल रहे हैं, इसके बाद भी,  सबको शिकायत है,  जैसे आज ही,  हर शख्स,  एक साथ,  सफर पर निकले है,  इस आपाधापी में,  खो जाने का डर,  इस कदर बैठा है,  कहता कुछ नहीं,  पर चेहरा कहाँ चुप रहता है,  किसी का भी रुक पाना,  मुमकिन नहीं लगता,  चलने की आदत,  इस कदर हो गई है,  वैसे भी लौटना,  कौन चाहता है,  शहर पूरी रफ्तार में है,  न जाने कहाँ,  पहुँचने की जल्दी है,  कहीं कोई ठहर कर,  कुछ देखता नहीं,  किस मुकाम पर है,  इसका अंदाजा लगता नहीं,  मगर जल्दी बहुत है,  यही कहता फिरता है,  कमबख्त कोई सुकून से,  कहीं ठहरता नहीं

Rishte-Naate। Relation। the condition of being related

Image
सख़्त बाप  ********  जैसा कि हर माँ-बाप,  अपने बच्चों के लिए परेशान रहते हैं,  वैसे ही वह बुजुर्ग भी,  उम्र के न जाने कितने पड़ाव,  पार करने के बाद भी,  यह फिक्र करने की आदत,  जाती नहीं।  दुनिया के लिए,  बच्चा कैसा भी लायक-नालायक हो,  बाप की बेबसी कुछ अजीब सी होती है,  हमारे यहाँ,  वह आमतौर पर,  रोता नहीं,  न रोने वाला बाप,  जिसकी इमेज,  एकदम,  "ही मैन" कि तरह होती है,  जो सबसे लड़ सकता है,  जिसका,  कोई मुकाबला नहीं कर सकता,  बच्चों को उनका हीरो खूब भाता है,  इस हीरोगीरी में,  धीरे-धीरे वह रोना भूल जाता है,  हरदम कड़क बना रहता है,  धीरे-धीरे ऐसा होना,  एक जरूरत बन जाती है।  जैसा कि लोग समझते हैं,  एक सख्त बाप,  परिवार की भलाई के लिए,  कितना जरूरी है,  इस भलाई की खातिर,  वह अपनी स्वाभाविक  हँसी-मुस्कराहट,  न जाने कब?  कहाँ छोड़ आता है।  पर वक्त लम्हों में,  अनंत की यात्रा धीरे-धीरे,  अहर्निश करता रहता है।  ऐसे ही,  बेमन.. अपने आप,  बच्चे कब बड़े हो जाते हैं,  दुनिया के किसी बाप,