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Dastak

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दस्तक   उसने कई बार दस्तक दी पर दरवाजा नहीं खुला कुछ देर ठहर कर फिर दस्तक दी अब भी दरवाजा नहीं खुला दरअसल उसको आते हुए घर वालों ने देखकर दरवाजा बंद किया था बच्चों को भी सहेज दिया कितना भी दस्तक दे दरवाजा मत खोलना वह थककर डेहरी पर बैठ गयी काफी देर तक बैठी रही फिर घर से चिल्लाने की आवाज आई यह इनका रोज का नाटक है शायद एक छोटा बच्चा दादी के लिए रो रहा था दरवाजा खुला... हाँ! यह इस घर की मालकिन है घर में जो कुछ भी है सब की वजह यही है आज बच्चे जिस मुकाम पर हैं इन्होंने ने ही बनाया है पर उम्र के एक पड़ाव के बाद शरीर और दिमाग थक जाता है पहले जैसा कहाँ कुछ रह जाता है बच्चों की उम्र कम ही थी तभी पिता का साया उठ गया था न जाने कितनी रातें जाग कर बिना कुछ खाए गुजारी थी बच्चों के लिए ही सब कुछ एक मां के लिए अपने लिए कुछ नहीं होता वह खुद को भूल जाती है जब बच्चों के पिता ने दुनिया छोड़ी थी उस वक्त.. उसकी उम्र बहुत ज्यादा नहीं थी चाहती तो किसी और से ब्याह कर लेती एक दूसरी जिंदगी बड़े आराम से अपना लेती पर बच्चों का मासूम चेहरा उनका हाथ उसके हाथ में था उसने सिर्फ बच्चों को देखा खुद की कोई फिक्र नहीं की दु

Hindu Jagriti

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आजाद परिंदे  यह आसमान में  उड़ने वाले आजाद पंछी  जिंहे देखकर  हर शख़्स में ख्वाहिश जग जाती है आसमान की ऊंचाई तो कुछ भी नहीं है  बस पर चाहिए  उड़ना आना चाहिए  आजादी का मुकम्मल मुकाम कहीं है?  जहां हद की भी कोई हद नहीं है  उसे ही तो आसमान कहते हैं  जिन हदों तक परिंदे जा सकते हैं  उसके आगे भी न जाने कितनी हदें हैं  आसमान कुछ ऐसे ही बना है और हम भी  कुछ इसी तरह की आजादी चाहते हैं  जहां कोई हद न हो  सिर्फ आसमान हो  चिड़ियों को देखकर  उसी हद की ख्वाहिश में जीते हैं  जो अनहद है  यह परिंदे  जो आसमान के सैलानी है  जिंहे देखकर हर शख़्स  उड़ने की चाहत रखता है  बदकिस्मती देखिए उन इंसानों की  वह परिंदों को  पिंजरे में कैद रखना चाहता हैं  जबकि किसी भी चिड़िया के लिए  यह तो सजा है  जिसे एक पंछी बखूबी समझता है  तेरी फितरत भी तो उसी परिंदे जैसी है  तूँ आसमान में उड़ना चाहता है  इसका मतलब तो यही है  पिंजरे का मतलब तूँ भी समझता है  चलो अब उड़ान का सच कहते हैं  चाहे जितनी ऊंचाई तक पहुँच जाएं पर आसमान में कोई ठहर नहीं सकता  उसे फिर इसी जमीन पर लौटना पड़ता है  सांझ को परिंदे लौट आते है  इसी साख पर  जहां उसक