The Memories Makes The Man। Smriti
स्मृति ******* बहुत दूर तक चला जाता हैं, जब सफर आसान हो जाता हैं, वह अब चलता नहीं, उड़ने लगा है, उसको पहिए नहीं, "पर" लग गए हैं, जी भरकर अपनी कहने, ठहरने-सुस्ताने का चलन, खत्म हो गया है, दरख्त सूखकर, खुद छांव तलाश रहा है, हर कुएं पर, रस्सी-बाल्टी हुआ करती थी, कहीं कोई राहगीर, प्यासा न रह जाए, वहीं पास में कुछ टूटे, पुराने, मिट्टी के बर्तन पड़े रहते, हर आदमी जो पानी भरने आता, थोड़ा बहुत पानी, इनमें भर देता था, चिलचिलाती धूप में, सभी को, पानी मिल जाता था, ऐसे ही यह सिलसिला, पूरे बरस चलता रहता, हर डाल पर चिड़ियों का, बुना हुआ, घोसला हुआ करता, जुगाली करती गाय-भैंसे, मानो पूरी दुपहरिया, मालिकों की चुगली कर रही हों, वहीं एक बुजुर्ग, झोपड़ी में बैठा रहता है, हर आने जाने वाले को, कुछ देर ठहरने को कहता है, खाली पानी, किसी को पीने नहीं देता, हाथ में थोड़ी सी, कोई मीठी चीज रख देता है, उस आदमी की याद में, वह बूढ़ा आदमी और मिठास, किसी के लिए, पूरी उम्र की सौगात बन जाता है। आने वाले समय में, य...