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कविता पाठ | Buddha : a journey

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बुद्ध - एक यात्रा *************** उसने कहा था एक दिन वक्त ठहर जाएगा मैं हंसता रहा यह कैसे हो सकता है अगर कुछ चलायमान है तो वह वक्त ही है जो किसी के लिए नहीं रुकता तब उसने कुछ नहीं कहा सिर्फ मौन धारण कर लिया था मुझे लगा उसके पास कोई जवाब नहीं है, ठीक उसी तरह जब ढेर सारे सवाल पूछे जाते तो बहुत से प्रश्नों के, जवाब नहीं देता बस मौन हो जाता ऐसे में लगता, उसके पास कोई उत्तर नहीं है अक्सर प्रश्न पूछने वाला अपने आप को श्रेष्ठ समझने लग जाता यहीं वह सबसे बड़ी भूल कर बैठता। क्यों कोई बुद्ध नहीं बन पाता जबकि बुद्ध बनना तो एक निरंतरता है यह कोई एक बुद्ध की बात नहीं है कभी किसी बुद्ध ने, आखरी बार जन्म लिया था जो अब जन्म नहीं लेगा ऐसा नहीं है यह तो एक परंपरा, खोज का नाम है जो सदा से होता रहा है बुद्ध बनने का अर्थ ही है मौन हो जाना जिन प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए थे आज भी न जाने कितनी बार, रोज पूछे जाते हैं बुद्ध के ज्ञान पर उंगलियां उठाई जाती हैं जबकि हकीकत यह है जो पूछा जा रहा है वास्तव में वह सवाल ही नहीं है मतलब

Be-Shabd

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बे-शब्द  ******** बहुत देर तक बोलता रहा ,   सुनता रहा , शब्दों के सहारे ,   न जाने ,   कितने अर्थ गढ़ता रहा , इनकी कारीगरी ,   बडी‌ बारीकी से ,   सब कहती रही , इस कहने सुनने का ,  शोर होने लगा , अब सुनने को,  कोई तैयार नहीं था , हर जगह,  कहने का सिलसिला,  चलता रहा , ऐसे में शब्द,  बिना अर्थ लगने लगे , पर बिना अर्थ के शब्द ? या फिर शब्दों के बिना ही ? हाँ ! जब वह खामोशी , हमारे बीच आयी थी , उस वक़्त....... शायद!  हमने एक दूसरे का , अर्थ , समझा था ©️rajhansraju  ********* ********************* (2) ****** ⬇️⬇️पुराने पन्ने पर नई बातें ⬇️⬇️ *******  "जय सियाराम"   *********** रावण का पुतला,  हर साल जलाते रहे ,   पिछली बार से,  और बडा‌ बनाते रहे , अब तो चारों तरफ,  उसकी फौज दिखती है ,   उसे ही देखने को भीड़ जुटती है , उसी की वैल्यू है ,   वह अनोखा है ,   सोचो किसी और के,  दस सीस देखा है , आज़ का सबसे बिकाऊ ,   कमाऊ ,  होनहार है ,   वही आदर्श है ,  उसी का सम्मान है , न मर्यादा चाहिए ,  न पुरूषोत