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meri chetna

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मेरी चेतना   ********** वह अपने, हसीन रंग पर इतराता रहा, चेहरा धुलने से घबराता रहा, खुद का सामना करना, बड़ा मुश्किल है, दूसरों को आइना दिखाता रहा, वह डरता है, पानी की आदत से, जो धीरे-धीरे, सारे निशान मिटा देता है, किसी के कुछ भी होने की। वह तो बहता, सभी रंग खुद में भरता है, वो उस रंगरेज के, इशारों पर चलता है, जो जहाँ,जैसा चाहे, अपने रंग भरता है। ©️Rajhansraju ********************** *************** to visit other pages     (1)   (2)     (4)   (5)   (6)     (8)   (10) (11)   (12)   (13)     (15) (16)   (20)   (25)   (33)   (38)   (44)   (50) (60)   (65)   (70) (72) *********** होली ****** नए रंग कि तलाश करता रहा,  न जाने कहाँ भटकता रहा जिंदगी ने तो हर जगह, खुशियों कि थैली रखी थी, मै कुछ और ढूँढता रहा, सब कुछ धुँधला,  नज़र आने लगा। फिर रंगों ने तरकीब निकली, हर थैली,  हर चेहरा,  एक जैसा कर दिया, मुस्कान आ गयी,  हाथ लग गयी, खुशियां बेवजह,  आज, भर गयी।  जेब तो खाली थी कब से, मेरे हँसते ही कुछ भर गयी। ख़त्म हुआ नहीं कुछ भी, पर ! इन रंगों से कुछ बात बन गयी ©️Rajhansraju ************ बे-सहारा बच्च

Kamala Kant Shukla

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 कमला कान्त शुक्ल  की  diary  ******************** मैं कमला कांत शुक्ल, मूलतः आजमगढ़ का रहने वाला हूँ,  प्रयागराज कर्मभूमि है, मुझे त्रिवेणी का तट बहुत ही प्यारा लगता है  यहाँ ऐसा लगता है जैसे मैं अपने दूसरे घर में हूँ  क्योंकि वही अपनापन, स्नेह  और प्यार  यहाँ भी महसूस होता है यह शहर कभी बेगाना नहीं लगा  क्योंकि मुझे..  यहीं कुछ बेशकीमती  रिश्ते मिले  जो जीवन पर्यन्त साथ रहेंगे यही ..  मेरा प्रयागराज  है  यहाँ की हर बात में एक बात है, यहां की गुनगुनी धूप में भी एक बात है यहां की ठंडी छांव में भी एक बात है यहां की गर्मी में एक बात है यहां की बरसात में भी एक बात है। यहां की हर बात में एक बात है। यहाँ की सर्दियों में एक बात है यहां की बसंत में भी एक बात है यहां की हर बात में एक बात है ©️KamalaKantShukla ************ मेरे पूजनीय अम्मा और पापा ************ मै कह नहीं पाता आप से कितना प्यार करता हूं मैं कह नहीं पाता आपसे आपके माथे की चिंता की लकीरें मुझे किस कदर परेशान करती हैं मैं कह नहीं पाता आपसे आपकी छोटी सी मुस्कान मेरा पूरा दिन बना देती है मैं कह नहीं पाता आपसे  मेर