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The Boat

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पानी की नाव *********** (1) वो जो कभी मिलता नहीं, बस तलाश रहती है, नाम उसका कुछ भी नहीं, जिसकी आश रहती है, सफर दर सफर, लोग कम होते रहे, कुछ ने, कुछ तो पाया, चलो अच्छा हुआ, कश्ती में सफर करने वाले, अपने-अपने किनारे उतरते रहे, वो भी क्या करते ? जितना समझना था, समझ लिया.. थक कर, नदी को समुंदर कहने लगे, जबकि वो कुछ ही दूर था,  बेसब्र लहरें आवाज दे रही थी, फासला चंद कदमों का था, शायद! वह नाव और नदी से, थक गया था, तभी किनारे पर, नर्म घास दिखी, बहुत दिनों से, सोया नहीं था, उसके सामने हरी वादियां थी, अब नदी बेकार लगने लगी, उसके होने का मतलब नहीं था, अब यही हरे घास का मैदान उसके लिए सारा जहाँ था। सफर ऐसा ही है, जिंदगी का, सबने थककर, कहीं न कहीं लंगर डाल दिया है, जबकि नदी अब भी, समुंदर को मीठा करने का, खाब देखती है, ए नाव भी बड़ी अजीब है, जो पानी से बनी है, जिसे बहने के सिवा, कुछ आता ही नहीं है। Rajhans Raju ***************************' (2) पानी ही है दरिया, सागर,  बादल, बारि

Parinda। The Man Who Wanted to Fly

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परिंदा *********  किसमें उसकी बेहतरी है   फैसले का ऐलान कर दिया  उसके चारों तरफ  हर चीज सुनहरा शानदार कर दिया।  वह समझता है, दिलोजान से मरता है,  यही कहता रहा,  सबसे उसके बारे में।  जरूरत की हर चीज,  बेशुमार भर दिया,  हर कोने में,  बस एक शर्त है,  इस मुहब्बत में,  उसे बोलनी है,  कोई और जुबान।  शुरू में थोड़ी तकलीफ हुई,  पर! वक्त के साथ सीख लिया,  कहे हुए को दुहराना बार-बार,  सभी खुश होते हैं,  सुनकर उसकी आवाज,  जबकि उसे मालूम नहीं है,  वह क्या कह रहा है,  जिसे सुनकर खुश हो रहे हैं,  इतना लोग आज,  परिंदे से प्यार जताने का,  ए नायाब तरीका है  उसके लिए छोटा सा,  खूबसूरत पिंजरा बनाना है,  बस इसकी छोटी सी कीमत है,  जो परिंदा चुकाता है,  उससे अनंत आकाश,  छूट जाता है,  और सदा के लिए,  पिंजरे का हो जाता है,  जहाँ परिंदा होने का एहसास,  धीरे-धीरे खत्म हो जाता है  पंख की ताकत,  उड़ान,  हौसला आसमान नाप लेने की,  अब उसमें बचती नहीं है,  उसकी पूरी कायनात,  पिंजरे के इर्द-गिर्द सिमट जाती है,  ए एकतरफा मोहब्ब