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Gadariya

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गडरिया गडरिया बेपरवाह दिखता है  उसके पास भेड़ बकरियों की  अच्छी खासी तादाद है  उसके हाथ में  एक लंबी सी लठ्ठ है  जिससे उनको हांकता है बकरियों को  लठ्ठ और गडरिए की आदत हो गई है  वह कोई आवाज निकालता है  बकरियां उसका मायने समझ जाती है  जिधर जा रही थी  अब वह रास्ता बदल देती हैं  गडरिया एकदम शांत  किसी छांव में बैठ जाता है  भेड़-बकरियां निश्चिंत  अपने काम में लग गई हैं इस तपती दुपहरी में   कुछ न कुछ  खाने को मिल जाता है  गडरिया दूर से उन पर  नजर गड़ाए रखता है  किसी अनचाहे जगह पर  जाने से उन्हें रोकना है  इनकी समझ बड़ी अनोखी है  कोई एक जिस तरफ चल दे तो बाकी भी उसके पीछे चल देती हैं  इसलिए बस उसी एक को  राह भटकने से  उसे रोकना है  यह जिम्मेदारी गडरिया की रहती है  इसके लिए उसके पास  उसका लठ्ठ जरूरी है  हम भी इन्हीं भेड़ों की तरह  अपने काम में लगे हैं  दूर गडरिया हम पर  नजर गड़ाए बैठा हैं  वह हमें  न जाने कहां-कहां लेकर जाता है वह अपनी लठ्ठ से हमको हांकता रहता है  ©️Rajhansraju 🌹🌹🌹🌹 अस्तित्व  मेरा होना उसका होना है  यह खुद की खुद तक यात्रा है  मेरा नाम उसका है  मैंने आवाज़ लगाई  कोई कहीं दू

Dastak

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दस्तक   उसने कई बार दस्तक दी पर दरवाजा नहीं खुला कुछ देर ठहर कर फिर दस्तक दी अब भी दरवाजा नहीं खुला दरअसल उसको आते हुए घर वालों ने देखकर दरवाजा बंद किया था बच्चों को भी सहेज दिया कितना भी दस्तक दे दरवाजा मत खोलना वह थककर डेहरी पर बैठ गयी काफी देर तक बैठी रही फिर घर से चिल्लाने की आवाज आई यह इनका रोज का नाटक है शायद एक छोटा बच्चा दादी के लिए रो रहा था दरवाजा खुला... हाँ! यह इस घर की मालकिन है घर में जो कुछ भी है सब की वजह यही है आज बच्चे जिस मुकाम पर हैं इन्होंने ने ही बनाया है पर उम्र के एक पड़ाव के बाद शरीर और दिमाग थक जाता है पहले जैसा कहाँ कुछ रह जाता है बच्चों की उम्र कम ही थी तभी पिता का साया उठ गया था न जाने कितनी रातें जाग कर बिना कुछ खाए गुजारी थी बच्चों के लिए ही सब कुछ एक मां के लिए अपने लिए कुछ नहीं होता वह खुद को भूल जाती है जब बच्चों के पिता ने दुनिया छोड़ी थी उस वक्त.. उसकी उम्र बहुत ज्यादा नहीं थी चाहती तो किसी और से ब्याह कर लेती एक दूसरी जिंदगी बड़े आराम से अपना लेती पर बच्चों का मासूम चेहरा उनका हाथ उसके हाथ में था उसने सिर्फ बच्चों को देखा खुद की कोई फिक्र नहीं की दु