meri chetna
मेरी चेतना ********** वह अपने, हसीन रंग पर इतराता रहा, चेहरा धुलने से घबराता रहा, खुद का सामना करना, बड़ा मुश्किल है, दूसरों को आइना दिखाता रहा, वह डरता है, पानी की आदत से, जो धीरे-धीरे, सारे निशान मिटा देता है, किसी के कुछ भी होने की। वह तो बहता, सभी रंग खुद में भरता है, वो उस रंगरेज के, इशारों पर चलता है, जो जहाँ,जैसा चाहे, अपने रंग भरता है। ©️Rajhansraju ********************** *************** to visit other pages (1) (2) (4) (5) (6) (8) (10) (11) (12) (13) (15) (16) (20) (25) (33) (38) (44) (50) (60) (65) (70) (72) *********** होली ****** नए रंग कि तलाश करता रहा, न जाने कहाँ भटकता रहा जिंदगी ने तो हर जगह, खुशियों कि थैली रखी थी, मै कुछ और ढूँढता रहा, सब कुछ धुँधला, नज़र आने लगा। फिर रंगों ने तरकीब निकली, हर थैली, हर चेहरा, एक जैसा कर दिया, मुस्कान आ गयी, हाथ लग गयी, खुशियां बेवजह, आज, भर गयी।...