Be-Shabd
बे-शब्द ******** बहुत देर तक बोलता रहा , सुनता रहा , शब्दों के सहारे , न जाने , कितने अर्थ गढ़ता रहा , इनकी कारीगरी , बडी बारीकी से , सब कहती रही , इस कहने सुनने का , शोर होने लगा , अब सुनने को, कोई तैयार नहीं था , हर जगह, कहने का सिलसिला, चलता रहा , ऐसे में शब्द, बिना अर्थ लगने लगे , पर बिना अर्थ के शब्द ? या फिर शब्दों के बिना ही ? हाँ ! जब वह खामोशी , हमारे बीच आयी थी , उस वक़्त....... शायद! हमने एक दूसरे का , अर्थ , समझा था ©️rajhansraju ********* ********************* (2) ****** ⬇️⬇️पुराने पन्ने पर नई बातें ⬇️⬇️ ******* "जय सियाराम" *********** रावण का पुतला, हर साल जलाते रहे , पिछली बार से, और बडा बनाते रहे , अब तो चारों तरफ, उसकी फौज दिखती है , उसे ही देखने को भीड़ जुटती है , उसी की वैल्यू है , वह अनोखा है , सोचो किसी और के, दस सीस देखा है , आज़...