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Laawaris। Hindi Poem about unknown person

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बेनाम-लावारिस  *********** चर्चा तो यहाँ भी है कत्ल का जो कि नया नहीं है हलांकि ए कत्ल किसने किया? इसका कोई चश्मदीद नहीं है, उसको किसी और ने मारा या फिर वह खुद ही कातिल था ए किसी को पता नहीं है। सच ए है कि वो जिंदा नहीं है, यकीनन कत्ल तो हुआ है। इसमें कोई शक नही है, ऐसे ही मुर्दों के मिलने का सिलसिला न जाने कब से चलता रहा। ए बिना नाम बिना पहचान के लोग। अरे! नहीं! ए पूरा सच नहीं है इनका भी घर है बस थोड़ा सा ढूँढना है न जाने कितनो का अब भी कोई पता नहीं है कैसे किस हाल में होंगे पर! अक्सर गुमनाम, लावारिस, बेजान जो किसी को नहीं मिलते यूँ ही धीरे-धीरे गुम हो जाते हैं उन्हें न तो श्मशान मिलता है और न ही कब्रिस्तान, उनके जाने की किसी को खबर नहीं होती, कोई मातम भला कैसे होगा? वो जिस घर का शख्स है, इससे अनजान, उसके इंतजार में रहता है, यह उम्मीद अच्छी है कि बुरी, क्या कहें? पर! उसके होने का भरोसा सब में, बहुत कुछ जिंदा रखता है। आज बहुत कुछ टूटा, घर के हर शख्स में कुछ खाली सा हो गया। क्या जरूरत थी जो उस

an atheist। Hindi Poem on Atheism। Kafir

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इच्छाधारी  ********* इच्छाधारी नाग-नागिन की कहानियाँ,  तो हम सबने सुनी है, जिसमें वो कोई भी रूप धारण कर लेते, बचपन! अगर गाँव में बीता हो तो, सिनेमा वाला दृश्य,  हर जगह मौजूद होता है, बस कल्पना को, डर वाली कहानियों के रंग से भरना है, ऐसे ही साँप से डरने पूजने, और मौका मिलते ही, मार देने का, अजब व्यवहार करते रहे, इसमें किसी के लिए कुछ भी गलत नहीं, हर आदमी, अपनी आस्था और कहानी गढ़ता है, पर साँप का जहर? बड़ा अजीब है, जो उसकी पहचान है इंसान उसी से डरता है, इसी डर से, तमाम विषहीन साँपो, की जान खतरे में पड़ जाती है, क्यों कि हमको पता नहीं चलता, किसमे जहर नहीं है, अक्सर इस अफरा तफरी में, बिना जहर वालों की जान चली जाती है, उनका सांप होना, उनके लिए सजा बन जाती है। खैर! अब तो शहर का जमाना है पर साँप के होने पर संदेह नहीं करना, आस-पास हमारे, अब सिर्फ, इच्छाधारी रहते हैं, जो हर वक्त रंग बदलते हैं, हमारे ही आस्तीनों में रहते हैं, जो खुद बीन बजाता है, दूध पूरा पी जाता है। उन सीधे साधे साँपो को, नाहक बदनाम करता है,