Ishq
इश्क़ ****** वह इश्क के इजहार में, दुनिया की हर बात कहता रहा इश्क कैसे किया जाता है उसका जो पैमाना है कायदे की किताब पढ़ता रहा इश्क पर खरा उतरना था वह सब कुछ बड़ी खूबी से करता रहा इश्क को जैसे वही बुलंदी पर ले जायेगा मतलब परचम फहराएगा इसी कोशिश में उसे लगने लगा अब वह उसके बगैर नहीं रह सकता उसे कहीं और चलना चाहिए इसी कोशिश में एक दिन जब वह नदी की आगोश में खोई हुई थी वह तो सिर्फ नदी से मुहब्बत करती है उसके आसपास कौन है इसका उसे एहसास ही नहीं था पर! यह मोहब्बत करने वाले कहां मानते हैं? अपने इश्क का इजहार पूरे अधिकार से करते हैं उसे हर वक्त अपने साथ रखना चाहते हैं इसी ख्वाहिश में उसे नदी के दामन से खींच लाया अपने मजबूत हाथों से बहुत दूर ले आया मनमाफिक तरीके से जीना चाहता है उसकी हदें इश्क में तय करता है न जाने कब तलक भागता रहा एक ही चाहत है उनके दरमियां कोई और न हो पर! इस एक तरफा इश्क में अक्सर जिससे इश्क का दावा किया जाता है उसे तो पता ही नहीं होता, उससे कोई इस तरह बेपनाह मुहब्बत करता है। आशिक अपनी बेखबरी में इस तरह खोया हुआ है ...