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Loktantra

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लोकतंत्र  ****** मेरी पार्टी जब तक.. सत्ता में नहीं है लोकतंत्र समझो प्यारे.. खतरे में बहुत है मैं जैसे ही चुनकर सत्ता में आऊंगा हर जगह देखना अपना झंडा लगवाऊंगा भाई भतीजा बेटा बेटी रिश्तेदार सेटल होंगे तभी संविधान बचेगा जब मेरे मन का होगा मेरी पार्टी जब तक सत्ता में नहीं है लोकतंत्र समझो प्यारे खतरे में बहुत है मीडिया का देखो खेल बड़ा निराला है कहीं रामराज कहीं सर्वनाश सारा है छपने छपाने दिखने दिखाने का खेल पुराना है दोनों का सच से नहीं वास्ता केवल पैसा प्यारा है मेरी पार्टी जब तक सत्ता में नहीं है लोकतंत्र समझो प्यारे खतरे में बहुत है लोकतंत्र बचेगा कैसे जब सारा मुफ्त का चक्कर है रेट सही मिल जाए तो सब बिकने को तैयार हैं अपनी जाति धर्म पर तूने सारा वोट डाला है अब शिकायत क्या करना जब राजा उनके भेजा है जयकार करो अब तुम सारी सत्ता मेरी है मेरी पार्टी है सत्ता में मेरा सब सुरक्षित है संविधान और लोकतंत्र की अब चिंता उनकी है जो पार्टी सत्ता में नहीं उनको यह चुनौती है मेरी पार्टी जब तक.. सत्ता में नहीं है लोकतंत्र समझो.. प्यारे, खतरे में बहुत है ©️Rajhansraju  ❤️❤️🌹🌹🌹 मेरा सफर  जो सबसे आसा

Nagarjun

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बाबा नागार्जुन की बातें बातें- हंसी में तली हुई सौजन्य चंदन में बसी  हुई बातें- चितवन में धुली हुई व्यंग्य बंधन में कसी हुई बातें उसांस में झुलसी रोस की आंच में तली हुई बातें- चुहल में हुलसी नेह-सांचे में ढली हुई बातें- विष की फुहार सी बातें- अमृत की धार सी बातें- मौत की काली डोर सी बातें- जीवन के दूधिया हिलोरे सी बातें- अचूक वरदान सी बातें घृणित नाबदान सी बातें- फलद्प्रसू सुशोभन, फल सी बातें अमंगल विषगर्भ शूल सी बातें क्या करूं मैं इनका ? मान लूँ कैसे इन्हें तिनका? बातें यही अपनी पूंजी यही अपने औजार यही अपने सोधन यही अपने औजार बातें साथ नहीं छोड़ेंगे मेरा बना लूँ वाहन इन्हें घुटन का घिन का क्या करूं मैं इनका? बातें साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा स्तुति करूं रात की, जिक्र न करूं दिन का? क्या करूं मैं इनका? ©️बाबा नागार्जुन 🌹🌹🌹🌹 रहा उनके बीच रहा उनके बीच मैं था पतित नीच मैं दूर जाकर गिरा,  बेबस उड़ा पतझड़ में, धंस गया आकंठ कीचड़ में सड़ी लाशें मिली उनके मध्य लेटा रहा आंखें मीच मैं उठा भी तो झाड़ आया नुक्कड़ों पर स्पीच, मैं रहा उनके बीच मैं था पतित मैं, नीच मैं ©️बाबा नागार्जुन 🌹🌹🌹🌹🌹