Kahawat
कहावत रीति निराली दुनिया के जो चलता रहे वह सही न जाने न समझे बस मैं सही कहने को भी कुछ नया नहीं बस मुझको भी कहना है कहके कुछ कहा नहीं बस दुहराया जो कहा गया है तेरी मति इसमें कहीं नहीं रटी रटाई दुहराकर सोचो क्या पाया है जो पास तुम्हारे अपना था वो भी अब रहा नहीं तुमसे अच्छी बच्चों कि दुनिया है जहां सब नया है न कोई भेद दुराग्रह है सब कुछ अजमाने कि ख्वाहिश है जानने कि इच्छा अनंत है खुश रहना आता है सच में बच्चा बने रहना बड़ा मुश्किल है क्योंकि सच्चा निश्छल होना है भाग दौड़ में पड़ाव उम्र के तमाम पार कर ली है इस दौरान न जाने कितने रंग बदले नये चोले में दिखता है ठग विद्या में माहिर है अपनों को ही ठगता है इस कारस्तानी में भूल भंयकर होती है निकला था जिस दुनिया को ठगने वह ठगों कि दुनिया है ठहर कर देखा खुद को हाथ नहीं था कुछ भी दामन उसका खाली है ©️ RajhansRaju आहट जब शब्द अपनी सीमा तय कर लेते हैं तब सिर्फ मौन रह जाता है यह शब्दों से कहीं ज्यादा गूंजता है हर तरफ उसके मौन के चर्चे हैं जिसे अब भी तुम सुन नहीं रहे हो क्योंकि तुम लगातार बोल रहे हो बहु