Chai
एक प्याली चाय मैंने कितनी बार कहा है चाय के लिए मत पूछा करो यही तो एक चीज है जिसे पीते हैं बस थोड़ी थोड़ी देर पर थोड़ी थोड़ी मिलती रहे तो क्या हर्ज है? और हर बार जब तुम पूछते हो तो लगता है तुम्हें बनाने में दिक्कत है या पिलाने में परहेज? पर हम तो ठहरे पूरे चहेड़ी चाय के लिए बेहया बन जाते हैं और मुस्कराहट के साथ पियेंगे क्यो नहीं पियेंगे कहके चाय का जयघोष कर देते हैं फिर कुछ देर में चाय हाजिर हो जाती है और जानते हैं कभी एक चाय किसी एक के लिए नहीं बनती मतलब न तो कप न चाय अकेले होती है चाय की यही खूबी है हमेशा साथ में पी जाती है वह आधी कप हो या पूरी इससे क्या फर्क पड़ता है बस चाय पीनी है इसलिए पीते हैं क्योंकि हम कुछ और नहीं पीते कुछ और पीने का मतलब तो समझ ही रहे हो अगर यह चाहते हो कुछ लोग कुछ और न पिएं तो फिर बस यूँ ही चाय पिलाते रहो वैसे चाय से आगे चाय पीने वाले जा भी नहीं पाते क्योंकि जो चाय पीते हैं उनकी हद चाय तक ही होती है हाँ कभी-कभी अच्छी कॉफ़ी मिल जाए तो अच्छा लगता है मगर कॉफी में वह चाय वाली बात नहीं आती है जैसे चाय में काफी वाली नहीं आती बस एक आदत पड़ जाती है ...