Dukh
दु:ख ****** परेशान मत हो तुम अकेले नहीं हो बस यही बताना है अच्छा है तो कितना अच्छा होगा बुरा भी कितना बुरा होगा दोनों लम्हे कुछ आंसू और हंसी के साथ गुजर जाते हैं और फिर सब पहले जैसा वैसे ही चलने लग जाता है हमारी आदत ही कुछ ऐसी है इसलिए अपने दुखी होने और उस दुख को बरकरार रखने की एक सीमा तय करनी चाहिए और जिंदगी जिंदाबाद कहना चाहिए थोड़ा खुद को डाटना समझाना है एक-दो थप्पड़ लगाना है पर ध्यान रखना जोर से न लगे मुझे मुझसे प्यार है मेरे लिए एक कप चाय या कॉफी बहुत है इसके आगे वाला गम कम करने का जो साइंटिफिक तरीका है वह मुझे नहीं चाहिए क्योंकि मुझे होश में रहना है खुद को समझना है आज की कहानी जो एक कविता है उसी में मैं हूँ और तुम भी हो तो आओ ढूंढे कहाँ-कहाँ मैं हूँ कहाँ-कहाँ तुम हो ©️Rajhansraju 🌹🌹🌹🌷🌷 घर वापसी *** कदमों को बस संभालते हुए पगडंडियों से गुजर जाना धीरे-धीरे ही सही रास्ते पर चलने का तरीका हम रोज सीखते हैं फिर भी पूरी तरह चलना कहाँ सीख पाते हैं कहीं पहुंचकर जब खुद को देखते हैं यहीं ऐसे ही पहुंचना था जब सोचते हैं शायद कुछ कमी रह गई मुझे अब तक सलीके से चलना ...