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Corruption। causes-and-consequences through a River

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भष्टाचार  ************ नदी को जानने का, दावा करने वाले, अपनी अपनी बात कहते रहे, और बड़ी-बड़ी योजनाएं, बनाई गई, इसमें सरकार का, हर महकमा शामिल हुआ, किसका हिस्सा कितना होगा, ए दस्तूर सबसे जरूरी था, जो देवता, जिस चढ़ावे का हकदार था, उसको उसका पूरा हक मिला, उनके कपड़े और तरीके, थोड़े अलग थे, जैसा कि सबका, अपना-अपना style होता है, इनमें कुछ लोग, अपने तरीकों से पर्यावरण, मतलब नदी और पेड़ के लिए, ज्यादा फोटोजेनिक थे, यानी कि विशेषज्ञ थे, ऐसे में यह लोग टीवी पर, अपनी चिंता, लगातार जाहिर कर रहे थे, और दुनिया के सामने, नई-नई समस्या रख रहे थे, वैसे हम भी बहुत सालों से, अपने पास बहने वाली नदी, देखते आ रहे हैं, मतलब जन्म से हमारा, नदी से रिश्ता है, वह कब कैसे बहती है, ए तो हम सब को मालूम है, हम नाव चलाते हैं, हर पल नदी के साथ रहते हैं, हमारे जीवन की डोर, नदी थाम के रखती है, हमारी रगों में, हरदम नदी बहती है,  एक माँ की तरह, हमारी जिम्मेदारी उठाती है, यह जिम्मेदारियां, अब बढ़ती जा रही हैं, यह उसे कमजोर बना रही है, उसकी स