Patang। kite fly without feathers

पतंग ******* पतंग डोर से कट के, दूर चली जाती है, उसे लगता है, वह आसमान की ऊँचाइयाँ, छू लेगी. हवा के झोंके, दूर-दूर ले जाते हैं, कहाँ फसेगी, कहाँ गिरेगी, कोई भरोसा नहीं होता. हवाओं का रुख, हमेशा एक सा नहीं होता, बिना डोर पतंग, कहीं भी गिर सकती है. जब तक डोर ने थामा है, हवा के सामने डटी, खूब ऊपर उठी है. डोर ने उसे आसमान की, छत पर बिठाया, पतंग ने ऊपर से दुनिया देखी, सब छोटा और खोटा नज़र आया, डोर की पकड़ का एहसास, कम हो गया, और ऊपर उठने, दूर जाने कि कोशिश में, डोर छूट गयी. पतंग अकेली, आसमान की हो गयी. हवाओं के साथ खेलती, उड़ती रही, कुछ देर में ही, हवाओं ने रुख बदल लिया, पतंग को डोर कि याद, आने लगी, अब वापसी का, कोई तरीका नहीं था. काफी देर तन्हा भटकती रही, आखिर थक गयी, किसी अनजानी जगह, बैठ गयी, डोर का इंतजार करने लगी .. #rajhan...