Corona Pandemic। The pain and agony
Kumar Vishwas "जवाब मांगेंगे" ये लोग एक दिन जवाब माँगेंगे!! शहर की रौशनी में छूटा हुआ, टूटा हुआ सड़क के रास्ते से गाँव जा रहा है गाँव... बिन छठ, ईद, दिवाली या ब्याह-कारज के बिलखते बच्चों को वापस बुला रहा है गाँव... रात के तीन बज रहे हैं और दीवाना मैं अपने सुख के कवच में मौन की शर-शय्या पर अनसुनी सिसकियों के बोझ तले, रोता हुआ जाने क्यूँ जागता हूँ, जबकि दुनिया सोती है... मुझको आवाज़ सी आती है कि मुझ से कुछ दूर जिसके दुर्योधन हैं सत्ता में वो भारत माता रेल की पटरियों पे बिखरी हुई ख़ून सनी रोटियों से लिपट के ज़ार-ज़ार रोती हैं वो जिनके महके पसीने को गिरवी रखकर ही तुम्हारी सोच की पगडंडी राजमार्ग बनी लोक सड़कों पे था और लोकशाह बंगले में? कभी तो लौट कर वो ये हिसाब माँगेंगे ये रोती माँएँ, बिलखते हुए बच्चे, बूढ़े बड़ी हवेलियो, ख़ुशहाल मोहल्ले वालो कटे अंगूठों की नीवों पे खड़े हस्तिनापुर! ये लोग एक दिन तुझसे जवाब माँगेंगे.. ©️Dr. Kumar Vishwas *************************** Corona warriors बड़ा होने का एहसास किया, सबसे