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आवारगी    एक आंसू भी हुकूमत के लिए खतरा है।   तुमने देखा नहीं आंखों का समंदर होना ॥ सिर्फ बच्चों की मोहब्बत ने कदम रोक लिए। वरना आसान था मेरे लिए बेघर होना॥ हमको मालूम है शोहरत की बुलंदी । हमने कब्र की मिट्टी को देखा है बराबर होते ।। इसको किस्मत की खराबी ही कहा जाएगा । आपका शहर में आना मेरा बाहर होना।। सोचता हूं तो कहानी की तरह लगता है।   रास्ते में मेरा तकना मेरा छत पर होना ।। मुझको किस्मत ही पहुंचने नहीं देती । वरना एक एजाज है उसे दर का गदागर होना ।। सिर्फ तारीख बताने के लिए जिंदा हूं।   अब मेरा घर में भी होना है कैलेंडर होना ।। एक कम पढ़े लिखे का कलम होकर रह गई । यह जिंदगी भी गूंगे का गम होके रह गई ।। शहर में चीखते रहे कुछ भी नहीं हुआ।   मिट्टी की तरह रेत भी नाम होके रह गई।।   कश्कोल में छुपी थी आना भी फकीर की । अब बे जबान सिक्कों में जम हो कर रह गई।।   इस वक्त की पढ़ी कभी दो वक्त की पढ़ी । यादें खुदा भी यादें सनम हो के रह गई ।। वह जिंदगी की जिस पे बड़ा नाज था कभी । कमजोर आदमी की कसम ...